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Hindi Section ( 14 Sept 2022, NewAgeIslam.Com)

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False Allegation of Extremism and Violence on the Prophet Muhammad (Peace Be Upon Him) – Part 1 नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर हिंसा और अतिवाद का झूटा आरोप

कनीज़ फातमा, न्यू एज इस्लाम

उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम

9 सितंबर 2022

नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर हिंसा और अतिवाद का झूटा आरोप केवल दुश्मनी और पूर्वाग्रह है

·         कुछ शरारती तत्व सामान्यतः नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर हिंसा और अतिवाद का झूटा आरोप लगाते हैं। यह आरोप केवल दुश्मनी और पूर्वाग्रह का इज़हार है।

·         मक्का फतह होने के दिन नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अफ्व व दरगुज़र की जो तारीखी मिसाल कायम की थी, इसके होते हुए उन पर हिंसा और संगदिली का आरोप लगाना उच्च स्तर की संगदिली और अन्याय की अज़ीम अक्कासी है।

·         नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का लाया हुआ दीन इस्लाम आखिर इतनी तेज़ी से क्यों फैला? यह राज़ भी नबी अकरम के रह्मतुल्लिल आलमीन होने में छिपा है।

·         जिस नबी को अल्लाह पाक ने सारे जहान वालों के लिए रहमत बना कर भेजा है उस नबी अकरम को बेरहमत साबित करने में कोई भी सफल नहीं हो सकता, क्योंकि जीत हमेशा सच्चाई और हक़ ही की होती है।

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कुछ शरारती तत्व सामान्यतः नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर हिंसा और अतिवाद का झुटा आरोप लगाते हैं। यह आरोप केवल दुश्मनी और पूर्वाग्रह का इज़हार है। इसकी वजह यह है कि नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अल्लाह पाक ने सारे जहान के लिए रहमत बना कर भेजा है।

नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पूरी ज़िन्दगी कलामे इलाही की सदाकत का सुबूत है। प्यारे नबी ने दुश्मनों की तरफ से तानों के तीर सहे और गालियाँ देने वालों को दुआओं से नवाज़ा। लेकिन उसी नबी ए रहमत पर हिंसा का आरोप अत्यंत ही एहसान फरामोशी की दलील है। सीरते रसूल के अध्ययन से यह बात बिलकुल साफ़ होती है कि जिन लोगों ने पुरी जिंदगी नबी करीम की जिंदगी का चराग बुझाने और उनके लाए हुए दीन के नूर को मिटाने की कोशिश कीं, उन्हीं लोगों को दोज़ख के दर्दनाक अज़ाब से बचाने की तमन्नाएं प्यारे नबी रहमत के सीने में हमेशा अंगड़ाइयां लेती रहीं।

आप तलाश करते थक जाएंगे मगर मानव इतिहास में ऐसी मिसालें मिलना मुश्किल होंगी कि जिन लोगों ने नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके सहाबा पर अत्याचार की अति कर दी थी, उन लोगों को नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने माफ़ कर दिया। मक्का फतह होने के दिन नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अफ्व व दरगुज़र की जो तारीखी मिसाल कायम की थी, उसके होते हुए उन पर हिंसा और संगदिली का आरोप लगाना इन्तहा दर्जे की संगदिली और अन्याय की अज़ीम अक्कासी है। उस मौके पर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन लोगों को माफ़ करने का एलान किया था जिन्होंने पिछले इकीस साल के समय में नबी अकरम और उनके सहाबा पर अत्याचार की हद कर दी थी। अफ्व व दरगुज़र के यह हैरान करने वाले प्रदर्शन केवल वही हस्ती कर सकती है जिसको अल्लाह पाक की बारगाह से रहमते आलम होने का सम्मान मिला हो।

नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का लाया हुआ दीन इस्लाम आखिर इतनी तेज़ी से क्यों फैला? यह राज़ भी नबी अकरम के रह्मतुल्लिल आलमीन होने में छिपा है। जो लोग नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अपना माल, अपनी जान व दौलत और सब कुछ कुर्बान करने के लिए बेताब थे तो इसकी वजह यही थी कि वह लोग नबी अकरम के रह्मतुल्लिल आलमीन होने और अख़लाक़ ए हमीदा और अद्ल व इंसाफ की अदाओं के शिकार हो चुके थे।

कुरआन करीम ने इस हकीकत को बहुत ही खुबसूरत अंदाज़ में बयान किया है:

अनुवाद: (तो ऐ रसूल ये भी) ख़ुदा की एक मेहरबानी है कि तुम (सा) नरमदिल (सरदार) उनको मिला और तुम अगर बदमिज़ाज और सख्त दिल होते तब तो ये लोग (ख़ुदा जाने कब के) तुम्हारे गिर्द से तितर बितर हो गए होते पस (अब भी) तुम उनसे दरगुज़र करो और उनके लिए मग़फेरत की दुआ मॉगो और (साबिक़ दस्तूरे ज़ाहिरा) उनसे काम काज में मशवरा कर लिया करो (मगर) इस पर भी जब किसी काम को ठान लो तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखो (क्योंकि जो लोग ख़ुदा पर भरोसा रखते हैं ख़ुदा उनको ज़रूर दोस्त रखता है। (सुरह आले इमरान 159)

उपरोक्त आयत इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि अल्लाह पाक ने अपनी विशेष रहमत से नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को नर्म दिल अता फरमाया है। इस आयत से यह भी इल्म होता है कि अगर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सख्त दिल और सख्त मिजाज़ होते तो लोग उनके पास जमा न होते। इसके साथ ही यह आयत करीमा नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपनी शान रह्मतुल्लिल आलमीनी के इज़हार करने का भी हुक्म दे रही है।

हक़ बात यह है कि इंसानों के साथ नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ठीक उसी तरह सुलूक किया जिस तरह का सुलूक करने की नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इस आयत में ताकीद के साथ हिदायत दी गई है। नबी अकरम की रहमत व शफकत और अफ्व व दरगुज़र पर आधारित खूबियों के वाज़ेह सुबूत के बावजूद कुछ शरारती तत्व उनकी मुबारक ज़ात में किसी भी तरह की खूबी देखना पसंद नहीं करते। उन खूबियों को जान बुझ कर नज़र अंदाज़ करके दर असल यह लोग नबी रहमत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर हिंसा, संगदिली और सख्त मिजाजी का दाग देखना चाहते हैं। लेकिन उनका यह ख्वाब कभी पूरा नहीं हो सकता क्योंकि जिस नबी को अल्लाह पाक ने सारे जहान वालों के लिए रहमत बना कर भेजा है उस नबी अकरम को बे रहमत  साबित करने में कोई कभी सफल नहीं हो सकता, क्योंकि जीत हमेशा सच और हक़ ही की होती है।

اللہم صل وسلم وبارک علیہ وآلہ وصحبہ اجمعین۔

 (जारी)

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कनीज़ फातमा सुल्तानी आलमा व फाज़ला हैं और वह न्यू एज इस्लाम वेबसाईट की नियमित स्तंभकार हैं।

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Urdu Article: False Allegation of Extremism and Violence on the Prophet Muhammad (Peace Be Upon Him) – Part 1 نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم پر تشدد اور انتہاپسندی کا جھوٹا الزام

English Article: False Allegation of Extremism and Violence on the Prophet Muhammad (Peace Be Upon Him) – Part 1

URL: https://www.newageislam.com/hindi-section/violence-prophet-muhammad-peace-part-1/d/127942

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