सुमित पाल, न्यू एज इस्लाम
1 मई 2022
अयोध्या के एक साधू ने 5 मई को ताज महल में पूजा की एक तकरीब का एलान किया और आरोप लगाया कि यह यादगार एक शिव मंदिर तेजोमहालय है।
ताज महल
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अयोध्या के एक साधू ने 5 मई को ताज महल में पूजा की एक तकरीब का एलान किया और आरोप लगाया कि यह यादगार एक शिव मंदिर तेजोमहालय है।
रोजनाम ओ, 24/10/2017 से राणा सफवी का हवाला, “जब मुमताज़ महल का इन्तेकाल हुआ तो उसे अकबराबाद में दफन करने का फैसला किया गया, उस समय आगरा इसी नाम से जाना जाता था, और उसके मकबरे की तामीर के लिए बेहतरीन जगह की तलाश शुरू हो गई। उसके गमज़दह शौहर उसकी आरामगाह को एक हकीकी जन्नत बनाने का फैसला पहले ही कर चुके थे। इसके लिए एक शानदार और अजीमुश्शान मकबरा निर्माण होना था। चूँकि ढांचा बहुत भारी था, इसलिए आर्किटेक्ट्स ने निर्णय किया कि इसे गहरे कुंवों के उपर बने हुए लकड़ी के बड़े बड़े सलेब से सहारा दिया जाए। इससे रेत स्थिर हो गए और ढेरों का काम किया। इस मकसद के लिए जो स्थान चुना गया वह जमुना नदी का किनारा था जो सबसे अधिक उचित लगता था। यह ज़मीन अकबर के जनरल राजा मान सिंह की थी जिसकी मुगलों के साथ रिश्तेदारियां थीं।“
ताज महल उस ज़मीन पर बनाया गया था जहां राजा जय सिंह की हवेली थी और उस ज़मीन पर किसी मज़हबी इमारत का कोई ज़िक्र नहीं है (सौजन्य से, Taj Mahal: The Illumined Tomb by W E Begley and ZA Desai) इसके अलावा, कवायद अर्थात इस्लाम के मज़हबी उसूलों के मुताबिक़, इस्लाम या किसी दुसरे मज़हब के पहले से ही मौजूद किसी मज़हबी ढाँचे पर कोई मकबरा नहीं बनाया जा सकता। यह इस्लामी मज़हबी दृष्टिकोण से नाजायज़ समझा जाता है।
पी एन ओक का दृष्टिकोण कि तेजोमहालय (एक हिन्दू मंदिर) को बाद में शाहजहाँ या मुगलों ने ताज महल का नाम दिया या इसका नाम बदल दिया, मुगलों की फ़ारसी भाषा से यह बिलकुल संबंध नहीं रखता, जो कि एक अत्यंत विकसित और शानदार भाषा है। शाहजहाँ के पास अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए फ़ारसी में ‘नए’ नामों की कमी नहीं थी। तो, वह क्यों ताज महल के लिए थोड़ी तब्दीली के साथ पुराने नाम तेजो महालिया को ही स्वीकार करते? शाहजहाँ के पास इस अजीमुश्शान मकबरे के लिए ‘ख्वाबगाह’ हयान’ और ‘शबिश्तान’ जैसे नाम थे, लेकिन उन्होंने ताज महल को ही पसंद किया।
ताज महल के बारे में एक और अफसान्वी बात यह कही जाती है कि शाहजहाँ ने इस शानदार इमारत की तकमील के बाद इसमें काम करने वाले कारीगरों के हाथ काट लिए थे। यह सफ़ेद झूट है। ताज महल की तामीर करने वाले लगभग 20000 कारकुन थे। कुछ के नाम अभी तक मौजूद हैं:
उस्ताद अहमद लाहौरी: अध्यक्ष वास्तुकार
तुर्क साम्राज्य के इस्माइल अफंदी: सेंट्रल डोम के डिजाइनर
फारस से मास्टर ईसा और ईसा मुहम्मद अफंदी: वास्तुकला डिजाइनर
बनारस, फारस से 'पुरो': पर्यवेक्षक वास्तुकार
काज़िम खान, लाहौर: गिल्डिंग
चिरंजी लाल, दिल्ली: मुख्य मूर्तिकार और संगीतकार
शिराज, ईरान के अमानत खान: मुख्य सुलेखक
मुहम्मद हनीफ: मेसन पर्यवेक्षक
शिराज के मीर अब्दुल करीम खान और मुकर्रमत: वित्तीय प्रबंधक, दैनिक उत्पादन
फ़ारसी में रिकार्ड उपलब्ध है कि इन तमाम लोगों ने बाद में असफ़हान में मस्जिदें और महलें निर्माण किये (जिसके बारे में फ़ारसी में मशहूर है। अस्फहान निस्फ़ जहां: अस्फहान आधी दुनिया है) और इरान और मध्य एशिया खुरासान में भी उन्होंने अपने फन के कई नमूने छोड़े। ताज महल की तकमील के बाद इसके कारीगरों ने दुसरे यादगारों के निर्माण में भी काम किया। क्या आप को लगता है कि उन्होंने यह यादगारें अपने हाथों के बिना निर्माण की हैं? अब समय आ गया है कि सच्चाई को स्वीकार किया जाए और देश के माहौल को खराब करने और लोगों के दिमाग को परागंदा करने से बचा जाए।
English Article: Taj Mahal Or Tejo Mahalaya, A Shiv Temple? Get The
Facts Straight
Urdu
Article: Taj Mahal Or Tejo Mahalaya, A Shiv Temple? Get The
Facts Straight تاج
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