डॉक्टर गुलाम ज़र्कानी
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
4 मार्च, 2023
दो हफ्तों से दुनिया में ईसाई धर्म में उथल-पुथल है। कैलिफोर्निया के एक मशहूर पादरी ने ईसाई धर्म को त्याग कर इस्लाम में शरण ली है। ध्यान देने वाली बात यह है कि हिलेरिया हेगी पहले कई चर्चों से जुड़े रहे, पहले रूसी ऑर्थोडॉक्स, फिर ईस्टर्न कैथोलिक चर्च से जुड़े रहे। उन्होंने ईसाई पादरी की पदवी अदा करने के लिए लाज़मी शिक्षा सेंट नाज यांज, विस्कॉन्सिन से हासिल की थी और बिज़ंटाइन कैथोलिक पादरी बनाए गए। हाल ही में उन्होंने ईस्टर्न क्रिस्चियन चर्च की स्थापना की घोषणा की थी। इस तरह आप कह सकते हैं कि हिलेरिया हेगी ने दिल की शांति की तलाश में बहुत सारे दरवाजों पर दस्तक दी, लेकिन उनकी प्यास कहीं नहीं बुझी, अंततः इस्लाम के जश्मे के एक घोंट ने उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया।
पादरी हिलेरिया हेगी
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हिलेरिया हेगी का ईसाईयत के पादरी होने से लेकर इस्लाम तक का सफर कोई अचानक नहीं हुआ, बल्कि दो दशकों पर आधारित है। उन्होंने अपने एतेराफी बयान में बताया कि "मैंने 2003 में इस्लाम को स्वीकार करने का इरादा कर लिया था। मैंने इस्लाम धर्म की खूबसूरती देखी, मैंने इसमें गहराई व गिराई महसूस की और इसकी हक़ीक़त से प्रभावित हुआ। मैंने मस्जिद में ईमाम से इस्लाम को स्वीकार करने के बारे में भी जानकारी हासिल की। मैंने स्थानीय इस्लामी केंद्र से संपर्क किया और मुस्लिम दोस्त बनाये। ये अनुभव मेरे लिए बहुत खुशी देने वाले थे, लेकिन मैंने उस समय इस्लाम को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि मैं इसके अवामी प्रतिक्रियाओं से कुछ ख़ौफ़जदा था।"
इस्लाम से करीब होने की शुरुआत के संबंध में उन जानकारियों से महसूस होता है कि हीलेरिया हेगी, जो अब सईद अब्दुल्लतीफ से पहचाने जाते हैं, ईसाई धर्म में रहबानियत और इस्लाम में फिकरे तसव्वुफ़ की समानता तलाश करते रहे। इसलिए उन्होंने पश्चिमी दुनिया में तसव्वुफ़ के लिए प्रसिद्ध और मशहूर मौलाना रूमी और शेख इब्न अरबी के विचारों से लाभ उठाना शुरू किया, जो अंततः इस्लाम से वाबस्तगी पर मुंतज़ हुआ।
मीडिया में प्रस्तुत इस्लाम की छवि ने भी सईद अब्दुल लतीफ़ के इस्लाम स्वीकार करने में नकारात्मक भूमिका निभाई। इस्लामिक दुनिया में हत्या, खून और क्रूरता की खूनी घटनाओं ने ऐसा आभास दिया कि उन्हें कुछ समय के लिए यह लगने लगा कि इस्लाम कबूल करने के बाद समाज उन्हें एक आतंकवादी के रूप में देखेगा।
हालांकि, अपने प्रकाशित बयान में वे लिखते हैं कि मैंने कई बार कोशिश की, लेकिन हिम्मत नहीं हुई। समाज का कुछ भय, कुछ परिवारों के प्रतिरोध का विचार और फिर एक लम्बे समय तक एक बड़े उत्तरदायित्व के पद पर रहते हुए हजारों लोगों के प्यार और करुणा से वंचित होने की भावना ने एलाने हक़ की राह में बाधा बना रहा, लेकिन अंत में मैंने फैसला किया कि घर के बाहर ईसाई धर्म का प्रचार और घर के अंदर इस्लाम का प्रेम एक साथ लंबे समय तक नहीं चल सकता है, इसलिए मैं अपने इस्लाम का इजहार कर दिया।
जाहिर है, यह आश्चर्य की बात नहीं होती अगर यह एक सामान्य नागरिक या एक समकालीन शिक्षित व्यक्ति द्वारा इस्लाम स्वीकार किया गया होता, लेकिन यहां मामला एक प्रमाणित और अनुभवी पादरी से संबंधित था, जिसने ईसाई धर्म में सिद्धि प्राप्त की थी। यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। दुनिया भर में, बड़े ईसाई केंद्रों ने भी सफाई देने की कोशिश शुरू कर दी और पादरियों ने भविष्यवाणी तक कर दी कि वह व्यक्ति जल्द ही ईसाई धर्म में वापस आ जाएगा। इस तरह, वे अपने कौम, विशेषकर नई पीढ़ी के दिलों में उल्लिखित घटना के प्रभाव को कम करना चाहते हैं।
अंत में, मैं यह कहना चाहूंगा कि इस्लाम धर्म इतना आकर्षक, पारदर्शी और मजबूत तर्कों और सबूतों के साथ है कि अगर कोई व्यक्ति सत्य की खोज की भावना से इसे निष्पक्ष रूप से समझने की कोशिश करता है, तो वह इसका असीर हुए बिना नहीं रह सकता। वैसे यह अनुभव मुझे कई बार हुआ है, लेकिन ताजा घटना छह महीने पहले की है, जब एक सज्जन ने मुझसे संपर्क किया और अपनी चिंता से मुझे अवगत कराया कि मेरा बेटा एक गैर-मुस्लिम लड़की से शादी करना चाहता है। तो आप इसे समझाइए। दोनों से मेरी लंबी मुलाकात हुई और मैंने उस लड़की को समझाया कि हम दुनिया में सच को स्वीकार करते हैं और झूठ से दूर हो जाते हैं। इसलिए बेहतर यह है कि आप सत्य की खोज की भावना से कुछ दिनों तक सही रास्ते पर पहुँचने का प्रयास करें और मैं इसमें आपकी मदद करूँगा। उसे मेरी बात पसंद आई। मैंने कुछ किताबें दीं और उससे मुकद्दस बारगाह में लगातार इल्तिजा करने की तलकीन की, जिसने उसे पैदा किया। दो-तीन हफ्ते बाद दूसरी मीटिंग हुई तो मैंने पूछा कि जो कुछ पढ़ा है उसके बारे में कोई शंका या आपत्ति हो तो बताओ। उसने नहीं में अपना सिर हिलाया। इस्लाम की सच्चाई पर कुछ देर तक चर्चा हुई, फिर मैंने चलते-चलते उसे कुछ और किताबें दीं। तीसरी मुलाकात शायद भारत की यात्रा से लौटने पर हुई थी, जिस दौरान वह इन्शेराह सदर के साथ, वह दामने इस्लाम से वाबस्ता हो गई
संक्षेप में, लोग इस्लाम की हक़ीक़त को किताबों में पढ़ते हैं और आलिमों और ज्ञानियों की जुबानों से सुनते हैं, लेकिन काश वे मुस्लिम समाज में इस्लाम के प्रभावों को भी देखते। फिर आप यकीन जानिये कि हमें दावत तब्लीग़ की ज़रूरत नहीं पड़ती और न ही मुबाहिस और मुज़ाकरात और तफ़सीर और तालीफ़ात की। बस लोग हमारे अख़लाक और किर्दार, आदतें और अत्वार और रुसुम और मुआमलात में मज़हब इस्लाम की सच्ची तस्वीर देखते और इसके ज़ुल्फ़ के असीर होते चले जाते।
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Urdu Article: True Sufism and Islam حقیقی تصوف اور اسلام
English
Article: True Sufism and Islam: US Priest Hilarion Heagy and
His Conversion to Islam
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