सुहैल अरशद न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
5 जुलाई 2021
जानवरों के साथ अच्छा सुलूक एक सभी समाज की पहचान है
प्रमुख बिंदु:
1. एक औरत को बिल्ली पर ज़ुल्म की वजह से मलउन किया गया
2. एक गुनहगार औरत को माफ़ कर दिया गया और उसे प्यासे कुत्ते
पर रहम करने की वजह से जन्नत में दाखिल कर दिया गया
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इंसान ने हमेशा जानवरों पर उनकी सेवाओं और उनके गोश्त और दूध के लिए निर्भर किया है। वह उनकी खाल और बाल से बहुत सी चीजें बनाता है। वह कुछ जानवरों जैसे बकरी, भेड़, गाय, ऊंट, गधे और कुत्ते को विभिन्न उद्देश्यों के लिए पालता है। इंसान कुछ जानवरों को परिवहन के साधन के तौर पर इस्तेमाल करता है। खुदा ने इन जानवरों के घरेलू इस्तेमाल की इजाज़त दी है ताकि उन्हें अच्छा खाना और अच्छी रिहाइश और अच्छा इलाज मुहय्या किया जा सके।
दूसरी तरफ खुदा किसी चींटी को भी बिला वजह तकलीफ देने या मारने को नापसंद करता है। इसी तरह, हमारा रब जानवरों या परिंदों को ज़ंजीर या पिंजरों में केवल तफरीह के लिए रखना भी नापसंद करता है।
बहुत से लोगों को अपने घरों में खुबसूरत परिंदों या तोतों को पिंजरे में रखना पसंद है। इसी तरह मदारी कहलाने वाले कुछ लोग बंदरों को ज़ंजीर में जकड़ कर रखते हैं और उनका इस्तेमाल लोगों को तफरीह फराहम करने के लिए करते हैं ताकि वह उन्हें रक्स करा सकें और रोज़ी हासिल करने के लिए गलियों में विभिन्न मज़ाहिया करतब दिखाएं। बेचारे बंदर वह सब कुछ करते हैं जो उनका मालिक उन्हें हुक्म देता है क्योंकि वह इससे बच नहीं सकते। यह जानवरों पर ज़ुल्म के ज़ुमरे में आता है और इस्लाम इसकी हिमायत नहीं करता है। इस विषय पर एक हदीस है। हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहु अन्हु ने रिवायत की कि नबी क्रीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि एक औरत को उसकी मौत के बाद जहन्नम में डाला गया क्योंकि उसने एक बिल्ली को कैद कर रखा था और खाना या पानी नहीं दिया यहाँ तक कि वह बिल्ली मर गई। (किताब बदउल खल्क, सहीह बुखारी, बाब 14; 700)
खुदा इंसानों को हुक्म देता है कि वह न केवल इंसानों पर बल्कि जानवरों पर भी रहमत और शफकत करे। जानवरों पर मेहरबान होते हैं उन्हें खुदा इनामों से नवाजता है। एक और हदीस शरीफ में है कि एक गुनहगार औरत को माफ़ कर दिया गया और उसे प्यासे कुत्ते को पानी पिलाने की वजह से जन्नत में दाखिल कर दिया गया।
यह दोनों हदीसें स्पष्ट करती हैं कि जानवरों के साथ अच्छा या बुरा सुलूक भी इंसान की आखिरत का फैसला कर सकता है।
English
Article: Putting Animals and Birds In Confinement Not Approved
By Islam
Urdu
Article: Putting Animals and Birds In Confinement Not Approved
By Islam جانوروں
اور پرندوں کو قید میں رکھنا اسلام کو منظور نہیں ہے
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