सुमित पाल, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
15 अगस्त 2022
समझदार पाठक इस बात से अवगत होंगे कि खिंजीर का गोश्त खाने वाले,
बेदीन रुश्दी उस समय
तक इस्लाम और खुदा से दस्तबरदार नहीं हुए जब तक उन्होंने शैटेनिक वर्सेज़ नहीं लिखी।
------
क्या यह अजीब बात नहीं है कि हम अपनी धार्मिक प्रतीकों, परम्पराओं और पुस्तकों के लिए उन लोगों को मार देते हैं जो हमें व्यक्तिगत तौर पर कभी तकलीफ नहीं देते। फ्रांसीसी इतिहासकार और प्राच्य मैक्सिम रोडिन्सन के यह शब्द मुझे उस लम्हे झिंझोड़ने लगे जब मैंने सूना की रुश्दी पर एक 24 वर्षीय युवा ने खंजर से वार किया है जो 1988 में द सैटेनिक वर्सेस के सामने आने के समय पैदा भी नहीं हुआ था। उसकी रुश्दी से कभी मुलाक़ात नहीं हुई और दोनों लोगों के बीच कोई व्यक्तिगत दुश्मनी भी नहीं थी। इसके बावजूद, हादी मातर ने उस महान लेखक पर अपने और मुसलमानों के कई नाज़ुक अकीदों की तौहीन करने पर खंजर से वार करने का मंसूबा बनाया।
-------
नाविल निगार सलमान रुश्दी
------
एक बार फिर यह सवाल दुनिया के तमाम समझदार लोगों के दिमाग में घूम रहा है कि ‘धार्मिक अकीदे इतने जबरदस्त कैसे हो सकते हैं कि एक जुनूनी को किसी ऐसे व्यक्ति को मारने या तकलीफ देने के लिए भड़का देते हैं जिसने उसे कभी तकलीफ न दी हो।
इससे यह भी नतीजा निकलता है कि क्यों अधिक से अधिक लोग धर्म और खुदाओं को छोड़ कर खुद को नास्तिक कह रहे हैं। याद रखें, यह कोई खेल तमाशा नहीं है। यह एक सोच समझ कर और शउरी फैसला है जो गुस्से या जल्दबाजी की हालत में नहीं लिया गया है। तमाम धर्मों के अनुयायिओं के जुनून और पागलपन को देख कर और एक खुदा के न होने पर मजबूत यकीन के पेशेनज़र, जो लोग अपने दिमाग को इस्तेमाल कर सकते हैं और आज़ादाना तौर पर सोच सकते हैं, धर्मों और खुदाओं को छोड़ कर सुकून से जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
समझदार पाठक इस बात से वाकिफ होंगे कि खिंजीर का गोश्त खाने वाले, बेदीन रुश्दी उस समय तक इस्लाम और खुदा से दस्तबरदार नहीं हुए जब तक उन्होंने शैतानी आयतें नामक किताब नहीं लिखी, जो असल में एक बोरिंग किताब है और उसका मकसद कभी भी इस्लाम का मज़ाक उड़ाना नहीं था। वह केवल एक उपेक्षित ‘मुसलमान’ था। लेकिन जब इस किताब को गुस्ताखाना करार दिया गया और आयतुल्लाह खुमैनी ने उसे कत्ल करने का फतवा जारी किया तो उसने इस्लाम को छोड़ दिया क्योंकि वह पुरे धार्मिक पहेलियों से मायूस हो चुका था। वरना, अगर आपको याद हो तो उसने माफ़ी भी मांगी थी और खुद को ‘एक नया मुसलमान’ भी कहने लगा था, हालांकि उसने बाद में यह लिखा कि मेरा इस्लाम कुबूल करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी।
पुरी दुनिया के मुसलामानों के पागलपन ने रुश्दी को इस्लाम, अल्लाह और तमाम इंसानों के बनाए हुए धर्मों और उनके मनगढ़त खुदाओं से दूर कर दिया। इसके ‘पढ़ेलिखे’ मुसलमान दोस्त इसलिए दुश्मन बन गए कि वह समझते थे कि सलमान ने मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और कुरआन का अपमान किया है।
गैर धार्मिक लोगों से अधिक धार्मिक लोग दूसरों को तकलीफ देते हैं। मैं पैदाइशी तौर पर बायाँ हाथ का था। मैं अब दोनों हाथों से काम लेता हूँ, एक बार क्वालालाम्पुर (मलेशिया) में एक मुसलमान प्रोफ़ेसर के घर में अपने बाएँ हाथ से खाना खा रहा था, मुझे प्रोफ़ेसर ने दाएं हाथ से खाना खाने के लिए कहा। मलेशिया में, अगर कोई खाना खाते समय अपना बायाँ हाथ इस्तेमाल करे तो उसे गैर इस्लामी समझा जाता है। बहर कैफ इस्लाम भी उन लोगों की तहकीर करता है जो अपने बाएँ हाथ का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि वह समझते हैं कि इब्लीस (शैतान) बाएँ हाथ का इस्तमाल करता है। मैं अब भी उस मलेशियाई मुसलमान का दोस्त हूँ। जो अब लंदन में है, लेकिन मैं उस अपमान को नहीं भुला। एक बेकार धार्मिक अकीदे ने हमारे रिश्ते को बिगाड़ दिया।
भारत में भी ऐसा ही हुआ, जब एक ‘शिक्षित’ हिन्दू खातून ने मुझे प्रसाद पेश किया तो मैंने फितरी तौर पर अपना बायाँ हाथ बढ़ा दिया। उसने मुझे प्रसाद नहीं दिया और अब भी मुझसे बात नहीं करती। तमाम धर्मों के बेवकूफों को तकलीफ पहुंचाने के लिए, मैंने अपना दायाँ हाथ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया हालांकि मुस्लिम जुनूनियों ने मेरी बीच की ऊँगली का पोरा काट दिया था। अफ़सोस, वह कभी मेरे दुश्मन नहीं थे।
आपका मज़हबी अकीदा ही आप को दुसरे शख्स को अपना दुश्मन समझने पर मजबूर करता है। तमाम मज़हबी लोगों के लिए, उनके तथाकथित दुश्मन और विरोधी असल में महज़ ख्याली दुश्मन हैं।
इस फोरम पर एक साहब मुझसे काफी नाराज़ हैं। मैं उनके लिए एक अछूत हूँ क्योंकि मैं उनके धर्म पर आलोचना करता हूँ, हालांकि व्यक्तिगत तौर पर हम कभी नहीं मिले। यह उसके उन विरोधाभासी मज़हबी अकीदों की वजह से है जिनकी वजह से वह मुझसे नफरत करते हैं। मुझे कोई आपत्ति नहीं, क्योंकि मैं जानता हूँ कि इस पर इस्लाम, कुरआन, मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, हदीस और सुन्नत की हुकूमत है। उसे दोषी न ठहराया जाए। बल्कि उसके मज़हब को आरोपी ठहराया जाए। वह इस्लाम और कुरआन की अस्पष्ट आयतों में पड़ कर अंधा हो चुका है।
इससे मुझे सलमान रुश्दी का मशहूर कौल याद आता है, “धरती की आध्यात्मिक जीवन के साथ कुछ बुरी तरह से खराब था.....उन लोगों के अंदर बहुत सारे शयातीन हैं जो खुदा पर विश्वास करने का दावा करते हैं।“ इसके बारे में सोचें और अपना मुहासबा करें। अब समय आ गया है कि तमाम अनुयायी अपने धर्मों के नमूनों, विशेषताओं और खराबियों का फिर से जायज़ा लें।
-----
English Article: Afterthoughts On Salman Rushdie Episode
Urdu Article: Afterthoughts On Salman Rushdie Episode سلمان رشدی کے واقعہ کے بعد
پیدا ہونے والے خیالات
URL:
New Age Islam, Islam Online, Islamic Website, African Muslim News, Arab World News, South Asia News, Indian Muslim News, World Muslim News, Women in Islam, Islamic Feminism, Arab Women, Women In Arab, Islamophobia in America, Muslim Women in West, Islam Women and Feminism