न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
28 फरवरी 2023
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बलोचिस्तान जिले बरखान में 23 फरवरी 2023 को एक कुएं से तीन बोरियां बंद लाशों की बरामदगी से पाकिस्तानी समाज का एक अत्यंत क्रूर और दुखद पहलू सामने आया है। एक महिला और उसके दो बेटों को कुएं में फेंक दिया गया था जिन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया था और उनके शरीर पर हिंसा के भी निशान थे। पुलिस की जांच में जो कहानी सामने आई है वह दिल दहलाने वाली है।
चार साल पहले, यानी 2019 में, बलोचिस्तान के कबाइली सरदार और मवास्लात व तामीरात के वजीर अब्दुल रहमान खेतरान का अपने बेटे इनाम खेतरान से कबीले की सरदारी को लेकर रस्सा कशी चल रही थी। उनका बेटा उन्हें सरदारी से हटा कर खुद सरदार बनना चाहता था। अब्दुल रहमान खेतरान अपने बेटे को किसी मुकदमे में फंसाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने खान मोहम्मद मरी नाम के एक सिक्यूरिटी गार्ड से कहा कि वह उसके बेटे के खिलाफ झूठी गवाही दे। इस सिक्यूरिटी गार्ड ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। इसलिए अब्दुल रहमान खेतरान ने बदले में उसे ही एज झूटे केस में फंसा कर जेल भेजवाया और उसकी पत्नी, और उसके बेटों और बेटियों सहित उसके कबीले के छह लोगों को अपनी प्राइवेट जेल में कैद कर दिया। उनमें उनकी दो बेटियाँ और तीन बेटे भी थे। खान मोहम्मद मरी तीन साल के बाद जेल से रिहा हुआ तो उस वक्त तक उसकी बीवी, बेटे और बेटियाँ खेतरान की निजी जेल में कैद थीं और उन्हें अत्याचार सहना पड़ रहा था। खान मोहम्मद मरी ने रिहा होने के बाद तमाम बाअसर लोगों से उन्हें रिहा कराने की फ़रियाद की लेकिन मंत्री और सरदार अब्दुल रहमान खेतरान के असर व रसूख के आगे बेबस थे।
पिछले साल दिसंबर में खान मोहम्मद मरी की पत्नी ने किसी तरह से कैद से एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया जिसमें उन्होंने अपने हाथों में कुरान लिए हुए जनता और सरकार से उन्हें और उनकी बेटियों और बेटों को रिहा करवाने की अपील की। उन्होंने कहा कि खेतरान के लोग हर दिन उनकी बेटियों के साथ ज़्यादती करते हैं। पाकिस्तानी जनता और सरकार की बेहिसी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस वीडियो के मंज़र-ए-आम पर आने के बाद भी किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया और न ही कोई कार्रवाई हुई। वीडियो के जारी होने के दो महीने बाद इस महिला और उसके दो बेटों की हत्या करके उनकी लाशों को एक कुआँ में फेंक दिया गया।
लाशों के बरामद होने के बाद मरी कबीले के लोगों ने इस पर विरोध प्रदर्शन किया और वीडियो के बनने के आरोप में अब्दुल रहमान खेतरान पर अपहरण और हत्या का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने सरकार से खेतरान को गिरफ्तार करने और सजा देने की मांग की। इसके बावजूद चार दिनों तक पुलिस ने खेतरान को गिरफ्तार नहीं किया और न ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया। जब कबीलों का प्रदर्शन बड़ा हो गया और राष्ट्रीय मीडिया में इस मामले पर बहस होने लगी तो चार दिनों के बाद पुलिस और आतंकवादी विरोधी दल ने खेतरान को गिरफ्तार किया और उसकी निजी जेल पर छापा मार कर खातून के बेटों बेटियों को वहां से बरामद किया और कुछ अन्य अपराधियों को हिरासत में लिया। उनके पास से हथियार भी बरामद हुआ।
खेतरान ने अपनी साफ सफाई में कहा है कि यह काम उसके बेटे ने किया है क्योंकि वह उसे हटा कर खुद अपनी कबीले का सरदार बनना चाहता है। जांच में यह खुलासा हुआ कि खातून का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, वह खेतरान के बेटे ने ही किया था।
इस मामले के सामने आने के बाद और भी कुछ तथ्य सामने आए। यह केवल अब्दुल रहमान खेतरान का ही अपराध नहीं है बल्कि 2014 में भी दहशतगर्दी मुखालिफ स्क्वाड ने खेतरान की निजी जेल पर छापा मारा था। और 2006 में उसने दो कमसिन बच्चियों का अगवा करके उनकी जबरी शादी कराई थी। इस वाक़ए से पाकिस्तान ख़ास तौर पर बलोचिस्तान के कबायली इलाक़े में सरदारों और लीडरों के ज़ुल्म और वहाँ फैली हुई लाकानूनियत का अनुमान लगाया जा सकता है। पाकिस्तान जैसे आधुनिक मुस्लिम देश में वज़ीरों और जागीरदारों का निजी जेल रखना और कमज़ोरों को निजी जेलों में क़ैद रखना आम बात है। हैरानी है कि पुलिस उनकी निजी जेलों पर छापा तो मारती है मगर उन्हें सील नहीं करती और ख़िलाफ़-ए-क़ानून निजी जेल रखने पर उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करती।
सिंध के एक पत्रकार आजीज़ सिंघोर लिखते हैं कि सिंध में भी ऐसे प्राइवेट जेल हैं जहां जमींदार अपने बंधुआ मजदूरों को कैद में रखते हैं। उनके मुताबिक सिर्फ सिंध में एक सौ निजी जेलें हैं जो वहां के जमींदारों ने मकामी पुलिस की मदद से बनाई हैं। इन जमींदारों को अलग-अलग सियासी पार्टियों की हिमायत हासिल है। सिंध के पांच जिलों में लगभग अट्ठारह लाख बे-जमीन खेत मजदूर हैं। ये वह बंधुआ मजदूर हैं जो कर्ज ना चुकाने की वजह से गुलाम बना लिए गए हैं। सिंध के उत्तरी हिस्से में मौजूद बंधुआ मजदूरों की अक्सरियत मुसलमान हैं जबकि दक्षिणी क्षेत्र में मौजूद बंधुआ मजदूरों की अक्सरियत हिंदुओं के दलित और जनजातियों से संबंध रखते हैं। ये लोग दरिद्रता और गरीबी से मजबूर होकर सेठ साहुकारों से पेशगी नकद राशि लेने पर मजबूर होते हैं और बंधुआ मजदूर बनकर गुलामी की जिंदगी गुजारते हैं। इन ऋणों का ब्याज इतना उच्च होता है कि वे जीवन भर क़र्ज़ चुका नहीं सकते और पीढ़ी से पीढ़ी गुलामी की जिंदगी गुज़ारते हैं। इन मज़दूरों की निगरानी सिक्योरिटी गार्ड के ज़रिए की जाती है ताकि वे भाग नहीं सकें। क्योंकि ये लोग पूर्ण रूप से कैद में रहते हैं, इसलिए उनकी महिलाओं के साथ जिंसी जबर भी होता है। क़ानून इन ज़मींदारों और सरदारों के सामने बेबस होता है या फिर रिश्वत लेकर ताकतवर लोगों के जुर्म में शामिल हो जाता है। यही नहीं, इन गुलामों को और उनके बच्चों को ख़रीदा और बेचा जाता है।
यह सब सुनकर और पढ़कर ऐसा लगता है जैसे इस्लाम से पहले के अरब समाज की बातें सुन रहे हो जहां महिलाओं और पुरुषों को गुलाम बनाकर रखा जाता था। कर्ज पर ब्याज की दर इतनी उंची होती थी कि एक बार ब्याज पर कर्ज लेने वाला जीवन भर के लिए कर्जदार हो जाता था और फिर उसकी मृत्यु के बाद उसकी संतानें इस कर्ज का बोझ उठाती थीं।
यह बात कितनी शर्मनाक और अनैतिक है कि एक तथाकथित इस्लामिक देश में एक मंत्री ने किसी के कुंबे के सभी लोगों को अपनी निजी जेल में चार साल तक कैद रखा और उसकी बेटियों के साथ अवैध संबंध बनाए और कानून बेबस हो। वह स्त्री जेल से वीडियो भी जारी करती है उसके बाद भी जनता, सरकार और मीडिया बेहिसी का प्रदर्शन करते हैं और महिला और उसकी बेटियों की मौत के बाद ही जागरूक होते हैं।
खेतरान को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन पाकिस्तान के कानून और राजनीतिक प्रणाली और लाकानुनियत को देखते हुए इस बात का इमकान कम है कि खेतरान को सजा होगी। इससे पहले भी पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उसे अपराधी ठहराया है, लेकिन उसके बावजूद वह इलेक्शन जीतकर मंत्री बन चुका है।
इन घटनाओं से यह पता चलता है कि स्वतंत्रता के 75 साल के बाद भी पाकिस्तान उन्नयन की बदले में अवनति की ओर जा रहा है। न केवल आर्थिक अवनति की ओर बल्कि नैतिक अवनति की ओर भी। पाकिस्तान में जो थोड़ी-सी तहज़ीब और नरमी दिखाई देती है वह सिर्फ पंजाब के कुछ विकसित शहरों में है। और यहीं पर कुछ मुल्ला बैठे हैं जो यूट्यूब पर निकाह और तलाक और हैज और निफास के मसले बताते रहते हैं। पाकिस्तान का अधिकांश हिस्सा जहालत और असभ्यता की अंधकार में डूबा हुआ है।
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Article: Private Jails in Pakistan پاکستانی سرداروں اور زمینداروں کی
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