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Hindi Section ( 27 Nov 2021, NewAgeIslam.Com)

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Pakistan: Imran Khan Promised A Return To Riyasat-e-Madina पाकिस्तान: इमरान खान ने रियासते मदीना की स्थापना का वादा किया है, तो वह इस्लामोफोबिया के खिलाफ फ्रांस सरकार द्वारा सख्त कार्रवाई की टीएलपी की मांग का विरोध क्यों कर रहे हैं?

अरशद आलम, न्यू एज इस्लाम

30 अक्टूबर, 2021

पाकिस्तान: टीएलपी का उग्रवाद फिर चरम पर

प्रमुख बिंदु:

1. टीएलपी एक बार फिर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ फ्रांस से संबंध तोड़ने और अपने राजदूत को निर्वासित करने का विरोध कर रही है।

2. पाकिस्तानी सरकार सख्त रुख अपनाने से कतरा रही है, जिससे स्थिति और खराब हो रही है।

3. इमरान खान ने रियासते मदीना को वापस सामने लाने का वादा किया है, तो अब उन्हें टीएलपी का विरोध क्यों करना चाहिए जबकि वह भी इसी बात की मांग कर रहे हैं?

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तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) एक बार फिर सक्रिय है। वे एक बार फिर मांग कर रहे हैं कि पाकिस्तान फ्रांस से संबंध तोड़ ले और उसके राजदूत को निष्कासित कर दे। टीएलपी का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को मानने से इनकार कर करके इस्लाम के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार कर रही है। यह याद किया जा सकता है कि फ्रांसीसी अखबार चार्ली हेब्दो ने इस्लामिक शहादत की इच्छा पर हास्य कार्टूनों की एक श्रृंखला शुरू की थी, जिसे दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा बेहद अपमानजनक पाया गया था। टीएलपी के लिए, जो कि एक ऐसी जमात है जिसने तौहीने मज़हब को अपना मुख्य मुद्दा बना रखा है उसे अपनी ताकत दिखाने का मौका मिला गया उन्होंने प्रमुख शहरों और राजधानी की घेराबंदी कर दी, जिससे पाकिस्तानी सरकार को उनके साथ बातचीत करने और उनकी अधिकांश मांगों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, कुछ महीने बाद, उसी सरकार ने टीएलपी को एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया जिससे उन लोगों को काफी राहत मिली जो मौलवियों के नेतृत्व वाली इस जमात के ब्लैकमेलिंग को रोकना चाहते थे। वही भ्रम अब भी पाकिस्तान सरकार के भीतर देखा जा सकता है। इसके एक मंत्री ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए तैयार हैं, जबकि अन्य ने बातचीत करने से यह आरोप लगाते हुए इनकार कर दिया कि टीएलपी भारत द्वारा वित्तपोषित संगठन है।

पाकिस्तानी सरकार का यह नुकसान और अंततः आत्मसमर्पण की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है और इसका मुख्य कारण राजनीतिक इस्लाम के साथ उसका संघर्ष है। अपनी घोषणाओं और नीतिगत उपायों के माध्यम से, इमरान खान की सरकार ने लगातार लोगों से वादा किया है कि वह उस पैगम्बराना दौर को पुनर्जीवित करेगी जब समानता, न्याय और कल्याण राज्य की नींव थी। कोई नहीं जानता कि यह दावा कितना सच है क्योंकि इनमें से अधिकतर अवधारणाएं पूर्व-आधुनिक समय में विलुप्त हो चुकी थीं। इस्लामी कानून में, उदाहरण के लिए, न्याय आधुनिक कानून के विपरीत, बहाली के बजाय बदले के सिद्धांत पर आधारित है। इसी तरह, इमरान खान जैसे मुसलमान दान को कल्याण के साथ जोड़ने की गलती करते हैं, जो स्पष्ट रूप से बेतुका है। आधुनिक कल्याण एक कौमी रियासत के साथ शुरू होता है जो व्यक्तिगत नागरिकों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए समर्पित है, जो कि मध्ययुगीन देशों में नदारद थे, चाहे मुस्लिम हो या ईसाई।

इमरान खान ने पाकिस्तान के लोगों से वादा किया है कि वह रियासते मदीना को पुनर्जीवित करेंगे जो इस्लाम के पैगंबर द्वारा स्थापित किया गया था जिसमें लोगों की सभी जरूरतों का ध्यान रखा गया था। वह इस विचारधारा पर जोर देते हैं और खुद को एक सच्चे मोमिन के रूप में पेश करने में ज़िया-उल-हक से आगे निकल गए हैं। लेकिन तथ्य यह है कि उन्हें इस्लाम का सहारा लेना पड़ा, इसका मतलब है कि कुछ मौलिक रूप से गलत था। अर्थव्यवस्था लगातार गहरे संकट में है और सामरिक साझेदारी समझौते के क्षेत्रों पर चीन की पकड़ मजबूत होती जा रही है। अर्थव्यवस्था की सहायता , जिस पर पाकिस्तानी सरकार इतने सालों से निर्भर रही है, अब गायब हो रही है क्योंकि अफगानिस्तान से अमेरिकी रणनीतिक हित पीछे हट रहे हैं। पाकिस्तान बर्बाद हो गया है और संभवत: उस आशा को जीवित रखने का एकमात्र तरीका इस्लाम के लिए नई अपीलें पैदा करना है।

Imran Khan, Pakistan Prime Minister

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जरा इमरान खान सरकार की नई शिक्षा नीति को देखिए। जाहिरा तौर पर इसका उद्देश्य एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का प्रस्ताव करके पाकिस्तानी शिक्षा को एकजुट करना है। हालाँकि, जैसा कि परवेज हुडब्वाय जैसे आलोचकों ने बताया है, यह एक राजनीतिक चाल के अलावा और कुछ नहीं है। निजी और सरकारी स्कूलों के बीच स्पष्ट अंतर किसी भी एकरूपता को रोकने के लिए जारी रहेगा जिसका सरकार वादा कर रही है। इस नीति से केवल उन लोगों को लाभ होगा जो स्थानीय पाठ्यपुस्तक समितियों द्वारा पाठ्यपुस्तकों से किसी भी 'बुराई और इस्लाम विरोधी' सामग्री को रोकने के लिए नियुक्त किए गए हैं। वे पाठ्यपुस्तकों में धार्मिक शिक्षा की महान सामग्री से भी लाभान्वित होंगे। इस्लाम विरोधी सामग्री कुछ भी हो सकती है: डार्विन के विकास से लेकर हास्यास्पद तर्क तक कि सभी महिलाओं को इन पाठ्यपुस्तकों में पूरी तरह से पर्दे के पीछे दिखाया जाना चाहिए। ये मुल्ला, जिन्हें विज्ञान या उदार शिक्षा में कोई दिलचस्पी नहीं है, अब यह तय करने के लिए बैठेंगे कि ऐसी पाठ्यपुस्तकों को कैसे लिखना और पढ़ना है। इसे किसी भी समझदार देश में एक घोटाला माना जाएगा, लेकिन पाकिस्तान में इसे सरकार ही अंजाम दे रही है।

(File Photo: Representational)

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मुझे नहीं पता कि लोग इमरान खान के वादों पर विश्वास करते हैं या नहीं। लेकिन मुसलमानों को चुप रहने की आदत है और जब भी इस्लाम का नाम आता है तो सवाल करना बंद कर देते हैं। ऐसा ही कुछ पाकिस्तान में हुआ। इमरान खान से कभी नहीं पूछा गया कि उन्हें अपने आसमानी विचार को धरती पर लाने का विचार कैसे आया। लेकिन उन्होंने देश की उम्मीदें बढ़ा दी हैं, खासकर धार्मिक जीवन शैली अपनाने के मामले में। एक तरह से टीएलपी आंदोलन सरकार पर अपना वादा निभाने का दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। आखिर सरकार ही है जिसने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पूरी मानवता के लिए एक आदर्श बना कर पेश किया है। इसलिए, जब टीएलपी पूछती है कि तौहीने रिसालत के मुद्दे पर सरकार चुप क्यों है, तो वह शायद सही सवाल पूछ रही है। इसलिए, अगर टीएलपी के प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि पाकिस्तान पर शरिया के अनुसार शासन किया जाए, जैसा कि पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के समय हुआ था, तो इन मांगों में क्या हर्ज है? अगर सरकार खुद कहती है कि वह रियासते मदीना के पुनरुद्धार के लिए प्रतिबद्ध है, तो वह उन सभी देशों के साथ संबंध तोड़ने से क्यों हिचक रही है जिन्होंने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मजाक उड़ाया था?

इसलिए कई मायनों में पाकिस्तान सरकार ने इस आंदोलन को जन्म दिया है। सरकार अब पीछे नहीं हट सकती और टीएलपी प्रदर्शनकारियों पर देश को बंधक बनाने या भारत के इशारे पर काम करने का आरोप नहीं लगा सकती। अगर आप इस्लाम के नाम पर राजनीति करते हैं तो आप किसी को ऐसी मांग करने से कैसे रोक सकते हैं?

English Article: Pakistan: Imran Khan Promised A Return To Riyasat-e-Madina, So Why Should He Oppose The TLP Demand For Strong Action Against French Government's Islamophobia?

Urdu Article: Pakistan: Imran Khan Promised A Return To Riyasat-e-Madina پاکستان: عمران خان نے ریاست مدینہ کے قیام کا وعدہ کیا ہے، لہٰذا وہ فرانسیسی حکومت کے اسلامو فوبیا کے خلاف سخت کارروائی کے ٹی ایل پی کے مطالبے کی مخالفت کیوں کر رہے ہیں؟

Malayalam Article: Pakistan: Imran Khan Promised A Return To Riyasat-e-Madina പാകിസ്ഥാൻ: റിയാസത്ത്-എ-മദീനയിലേക്ക് മടങ്ങിവരുമെന്ന് ഇമ്രാൻ ഖാൻ വാഗ്ദാനം ചെയ്യുന്നു

URL: https://www.newageislam.com/hindi-section/pakistan-riyasat-e-madina-france-islamophobia/d/125848

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