न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
जनवरी 17, 2023
ईरान के एक शिया धर्मगुरु ने हिजाब पर अजीबो गरीब बयान दिया है। मोहम्मद महदी हुसैनी हमदानी ने कहा है कि महिलाओं द्वारा हिजाब का विरोध करने और विरोध में नंगे सिर जाने के कारण ईरान में सूखा पड़ा है। महिलाओं के हिजाब न पहनने से देश में बारिश में कमी आई है।
यह स्पष्ट होना चाहिए कि इस साल ईरान में बारिश कम हुई है और यह पिछले पचास वर्षों में सबसे लंबा और सबसे खराब सूखा है। मेहदी हुसैनी ने आगे कहा कि जो महिलाएं सिर नहीं ढकती हैं वे देश की दुश्मन हैं और सरकार को उनसे सख्ती से निपटना चाहिए।
मेहदी हुसैनी के ये विचार कुरआन और सुन्नत से प्रमाणित नहीं हैं और न ही ये तर्क और वैज्ञानिक आधार पर स्थापित हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि ईरान के उलमा कितने संकीर्ण सोच वाले और महिला विरोधी हैं कि वे प्राकृतिक आपदाओं को भी महिलाओं के बद आमालियों का परिणाम समझते हैं। इन उलमा का दावा है कि उन्हें कुरआन और हदीस का पूरा ज्ञान है, लेकिन उनके विचार उनके दावों की झूठ की चुगली करते हैं।
महदी हुसैनी ने अपने दावे के प्रमाण में न तो कुरआन की किसी आयत का हवाला दिया है और न ही किसी हदीस का। यह कथन उन्होंने अपनी संकीर्ण मानसिकता और असबियत के कारण ही दिया है। कुरआन कई कौमों पर अल्लाह की सजा के नुज़ूल और परिणामस्वरूप उनके विनाश का उल्लेख करता है। इन सभी कौमों का विनाश सभी व्यक्तियों के दुष्कर्मों का परिणाम था। बल्कि लूत की क़ौम का विनाश आदमियों के बुरे कामों का परिणाम था हज़रत लूत की पत्नी तो उनमें से केवल एक थी। आद की क़ौम, समूद क़ौम और मदयन क़ौम का विनाश इन्हीं के सामूहिक कुकर्मों का नतीजा था।
दरअसल, पिछले साल सितंबर में ईरान में नैतिक पुलिस द्वारा महसा अमीनी की मौत के बाद से महिलाओं में गुस्से की लहर दौड़ गई थी और पिछले चार महीने से महिलाएं वहां सख्त हिजाब कानून का विरोध कर रही हैं। उनके साथ पुरुष भी विरोध में शामिल हैं। महिलाएं विरोध में शॉपिंग मॉल और बाजारों में बिना हिजाब के घूम रही हैं। कई महिलाओं ने सरेआम हिजाब जला दिया है और अपने बाल कटवा लिए हैं। ईरान की सरकार प्रदर्शनकारी महिलाओं को प्रताड़ित करती रही है लेकिन विरोध को कुचल नहीं पाई है। जब ईरान की सरकार ने देखा कि विरोधों को बल से नहीं दबाया जा सकता तो वह अब धार्मिक तर्कों से पुरुषों को दूर करने की रणनीति अपना रही है। शायद इसीलिए महदी हुसैनी ने सरकार के इशारे पर सूखे के लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराया है। अब तक पुलिस ने करीब 480 लोगों को मौत के घाट उतारा है और दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतारा है। लेकिन प्रदर्शनकारियों की मांगों को मानने के बजाय मेहदी हुसैनी जैसे आलिम सरकार को प्रोत्साहित कर रहे हैं और उन्हें महिलाओं के साथ और सख्त होने के लिए कह रहे हैं।
महदी हुसैनी का यह नारीवाद न केवल ईरान के शिया उलमा की समस्या है, बल्कि सुन्नी उलमा की सोच भी उनसे भिन्न नहीं है। ईरान के पड़ोसी अफगानिस्तान में भी सुन्नी उलमा महिलाओं को बुराई की धुरी मानते हैं और सार्वजनिक स्थानों पर बाहर जाने पर उन्हें सामाजिक बुराइयों के लिए जिम्मेदार मानते हैं। इसलिए उन्होंने महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी है।
ये उलमा पुरुषों के कुकर्मों को सांसारिक और आसमानी आपदाओं का परिणाम नहीं मानते हैं। पुरुषों के भ्रष्टाचार, हिंसा, आतंकवाद, कमजोरों के खिलाफ अन्याय, मानवाधिकारों के उल्लंघन आदि के कारण होने वाली आपदाओं की कोई बात नहीं करते हैं।
मेहदी हुसैनी का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि धार्मिक उलमा किस तरह धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक हितों और उद्देश्यों के लिए करते हैं।
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Urdu
Article: Iran's Drought And Hijab ایران میں خشک سالی اور حجاب
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