हसन महमूद, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
24 अगस्त 2022
जब महिला को उसके पति ने तलाक दे दिया हो और वह इद्दत ख़त्म होने
से पहले तलाक को संसूख करे तो औरत के रिश्तेदारों को चाहिए कि वह मियाँ बीवी को दुबारा
निकाह करने से रोकने की कोशिश न करें, अगर वह ऐसा करना चाहें।
----------
हलाला तलाक याफ्ता जोड़ों की दुबारा शादी का अमल है जो कुरआन ने मुकर्रर किया है। इसके संबंध में आयतें यह हैं:-
“यह तलाकें दो बार हैं, फिर या तो अच्छाई से रोकना या उम्दगी के साथ छोड़ देना है। फिर अगर उसको तीसरी बार तलाक दे दे तो अब उसके लिए हलाल नहीं जब तक वह औरत उसके सिवा दुसरे से निकाह न करे।“ (2:229-230)
लेकिन अगर पति तौबा करता है और शादी को जारी रखना चाहता है (जो कि अक्सर होता है) तो तलाक याफ्ता बीवी को मजबूर किया जाता है कि वह दुसरे मर्द से शादी करे, निकाह को पूरा करे, उससे तलाक ले कर अपने पिछले पति से दुबारा शादी करे। ऐसी सूरत में बीवी की तौहीन और दर्द व अलम और बच्चों की ज़िन्दगी भर के सदमे के एहसास को समझने के लिए हमें राकेट साइंसदान बनने की आवश्यकता नहीं है। जैसा की बीबीसी रिपोर्ट है। “वह महिलाएं जो अपनी शादी को बचाने के लिए किसी अजनबी के साथ सोती हैं, “The Women Who Sleep with a Stranger to Save Their Marriage" –
आयतों के प्रसंग और उद्देश्य का ज़िक्र इमाम वाहिदी (मृतक 1075 ई०) की किताब “अस्बाबुल नुज़ूल” में है, जो कि बहुत सी कुरआनी आयतों के प्रसंग और उद्देश्य का सबसे प्रमाणिक स्रोत है। यह उल्लेखित किताब के पेज 23 का उद्धवरण है (पेज का स्केन नीचे है)
रिवायती तौर पर बीवी को तलाक देने के बाद, पति इद्दत ख़त्म होने से पहले रुजूअ कर सकता है, चाहे वह उसे हज़ार बार तलाक दे दे।...एक सहाबी ने अपनी बीवी को तलाक दी और इद्दत ख़त्म होने से पहले रुजूअ कर लिया। उसके फ़ौरन बाद उन्होए अपनी बीवी को दुबारा तलाक दी और कहा: अल्लाह की कसम! मैं तुम्हें वापस नहीं लूँगा और न ही तुम्हें किसी और से शादी करने दूंगा। फिर अल्लाह ने आयतें 2:229-230 नाज़िल की।
स्पष्ट तौर पर, यह आयतें बीवी को जाली शौहर से बचाने के लिए नाज़िल हुई थीं। बल्कि हलाला वाली आयतों के गलत इस्तेमाल से अनेकों मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी तबाह हो गई। इसे ख़त्म करने का तरीका यह है:-
“और जब तुम औरतों को तलाक़ दो और वह अपनी मुद्दत (इद्दत) पूरी कर लें तो उन्हें अपने शौहरों के साथ निकाह करने से न रोकों जब आपस में दोनों मिया बीवी शरीयत के मुवाफिक़ अच्छी तरह मिल जुल जाएँ ये उसी शख्स को नसीहत की जाती है जो तुम में से ख़ुदा और रोजे आखेरत पर ईमान ला चुका हो यही तुम्हारे हक़ में बड़ी पाकीज़ा और सफ़ाई की बात है और उसकी ख़ूबी ख़ुदा खूब जानता है और तुम (वैसा) नहीं जानते हो” (2:232)
2:232 का संदर्भ सहीह बुखारी 5429, सहीह तिरमिज़ी 2992, सुनन अबू दाउद 2081 और अस्बाबुल नुज़ूल के पेज 24 में दर्ज है। पेज स्कैन नीचे है। उद्धवरण:-
रसूलुल्लाह के सहाबी मोअकल बिन यसार ने अपनी बहन का निकाह एक ऐसे शख्स से किया जिसने बाद में उसे तलाक दे दी। तलाक पूरा होने और इद्दत गुज़र जाएब के बाद, वह दुबारा शादी करना चाहते थे लेकिन नाराज़ मोअकल ने सख्ती से मना कर दिया। फिर आयत 2:232 नाज़िल हुई जिसमें हलाला के बिना उन्हें दुबारा शादी की इजाज़त दी गई और हलाला के बिना उनके दुबारा शादी की गई।
ऐसी सूरत में शौहर को नै दुल्हन की रकम (महर) अदा करना होगी। मौदूदी लिखते हैं:-
“जब एक औरत को उसके शौहर ने तलाक दी और वह इद्दत ख़त्म होने से पहले तलाक को मंसूख नहीं करता, तो औरत के रिश्तेदारों को चाहिए को वह उस जोड़े को दुबारा शादी करने से रोकने की कोशिश न करें अगर वह ऐसा करना चाहें। इस आयत का यह मतलब भी लिया जा सकता है कि अगर कोई तलाक याफ्ता औरत इद्दत ख़त्म होने के बाद अपने पिछले शौहर के अलावा किसी और से अक्दे निकाह करना चाहे तो पिछले शौहर को चाहिए कि वह जिस औरत को तर्क कर चुका है उसके खिलाफ बदनियति पर आधारित प्रोपेगेंडा कर के उस निकाह में रुकावट न डाले।“ (तफ्हीमुल कुरआन)
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:-
“एक दुसरे से मुहब्बत करने वाले दो लोगों के लिए निकाह से बेहतर कोई चीज नहीं”। सुनन इब्ने माजा, जिल्द 3 हदीस 1847
यह इस्लामी तरीका है जिससे हम हलाला के ज़ालिमाना अमल को ख़त्म कर सकते हैं। यह वही कुरआन और वही पैगम्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं, यह केवल उनसे मुसबत हवाला जात इस्तेमाल करने का तरीका है।
अगर शौहर तौबा कर के शादी को जारी रखना चाहे तो घर और बच्चों सहित कई लोगों की जिंदगियां क्यों तबाह की जाएं? कहीं ऐसा न हो कि हम भूल जाएं। “बेशक अल्लाह तौबा करने वालों को पसंद करता है और पाकीजगी इख्तियार करने वालों से मोहब्बत करता है।“ 2:222 जिस की ताईद आयत 42:25 से होती है। इसके साथ यह आयत भी शामिल कर लें। अल्लाह चाहता है कि हमारी ज़िन्दगी आसान हो। मुश्किल नहीं। 2:185 और 22:78
नोट:- कुरआन 2:229 में शौहरों के तलाक के अमल की तफसील बयान करता है जिसमें उसे सोचने सुर तलाक को मंसूख करने के लिए महीनों का समय दिया गया है। लेकिन तलाक ए सलासा का शरई कानून कुरआन की खिलाफवर्जी है और शौहरों को उस हक़ से महरूम किया जाना है जो अल्लाह ने 2:229 में उसे दिया है।
-----
आयतें 2:229-230 के संदर्भ के लिए “असबाबे नुज़ूल” के पेज 23 और 24 का स्कैन:
-----
English Article: Halala – How to Abolish It Following Guidance from
Quran and Hadith
Urdu Article: Halala – How to Abolish It Following Guidance from
Quran and Hadith حلالہ
- قرآن و حدیث کی روشنی میں کس طرح اسے ختم کیا جائے
URL:
New Age Islam, Islam Online, Islamic
Website, African
Muslim News, Arab
World News, South
Asia News, Indian
Muslim News, World
Muslim News, Women
in Islam, Islamic
Feminism, Arab
Women, Women
In Arab, Islamophobia
in America, Muslim
Women in West, Islam
Women and Feminism