New Age Islam
Fri May 23 2025, 04:10 PM

Hindi Section ( 29 Sept 2022, NewAgeIslam.Com)

Comment | Comment

The Meeting between Mohan Bhagwat and Muslim Intellectuals मोहन भागवत और मुस्लिम बुद्धिजीवियों की बैठक संवेदनशील मुद्दों पर आपसी चिंता और समझ को दर्शाती है

समाधान खोजने के लिए चर्चा जारी रखनी चाहिए।

प्रमुख बिंदु:

1. संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की।

2. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बातचीत को बेहद फायदेमंद बताया।

3. बैठक में गोहत्या, हिजाब, सांप्रदायिक तनाव पर चर्चा हुई। भागवत ने कहा कि जब मुसलमान उन्हें काफिर कहते हैं तो हिंदू अपमानित महसूस करते हैं। काफिर शब्द अब गाली बन चुका है।

4. दोनों समुदायों के अधिक सदस्यों के साथ अधिक बात चीत की जाए।

  ------

न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर

22 सितंबर 2022

मोहन भागवत

--------

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों से जुड़े कुछ संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 22 अगस्त, 2022 को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ज़मीरुद्दीन शाह, दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग और नई दुनिया के संपादक शामिल थे। बैठक एक महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि यह देश के दो प्रमुख धार्मिक समुदायों के बीच बढ़ते सांप्रदायिक तनाव का समाधान खोजने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। चर्चा किए गए मुद्दों में कथित तौर पर हिजाब, गोहत्या, आम हिंदुओं के लिए काफिर शब्द का इस्तेमाल और आम मुसलमानों के लिए जिहादी शब्द का इस्तेमाल और देश के अन्य ज्वलंत मुद्दे शामिल थे।

श्री एसवाई के अनुसार, चर्चा बहुत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्षों ने मुद्दों को सुलझाने और गलतफहमी को दूर करने के लिए अपने विचार खुलकर व्यक्त किए।

श्री एसवाई कुरैशी ने एक टीवी चैनल को बताया कि बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच उन्होंने अपनी टीम से श्री भागवत को बैठक के लिए एक प्रस्ताव भेजा था और उन्होंने प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। शुरुआत में यह बैठक 30 मिनट के लिए निर्धारित की गई थी लेकिन यह एक घंटे से अधिक समय तक चली।

एसवाई कुरैशी ने कहा कि मोहन भागवत ने हिंदू समुदाय की ओर से दो ऐसे मुद्दे उठाए जो उनके लिए चिंता का विषय थे। एक गाय का वध और दूसरा आम हिंदुओं के लिए काफिर शब्द का प्रयोग।

एसवाई कुरैशी ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में पहले से ही गोहत्या पर प्रतिबंध है और मुसलमान अपने हिंदू भाइयों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं। उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि यदि इस दिशा में और कदम उठाए गए तो मुसलमान उनका पालन करेंगे। भारतीय हिंदुओं के लिए काफिर शब्द के इस्तेमाल के मुद्दे पर, एसवाई कुरैशी ने तर्क दिया कि काफिर शब्द हिंदुओं के लिए विशेष नहीं है। यह वास्तव में कुरआन द्वारा उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया था जो ईमान नहीं लाते थे। ईमान लाने वालों को मोमिन कहा जाता था। तो यह हिंदुओं के लिए अपमानजनक शब्द नहीं है।

बदले में, एस वाई कुरैशी ने भारतीय मुसलमानों को दकियानूसी बनाने के लिए चरमपंथी हिंदुओं द्वारा आम मुसलमानों के लिए जिहादी और पाकिस्तानी जैसे शब्दों के इस्तेमाल का मुद्दा उठाया, और मोहन भागवत ने कथित तौर पर देश में इस मानसिकता और सांप्रदायिकता को ना पसंद किया और देश में साम्प्रदायिक सौहार्द और शान्ति बहाली के लिए इसका अंत चाहते हैं।

इसके अलावा और भी कई मुद्दे थे जिन पर खुशनुमा माहौल में चर्चा हुई। श्री भागवत ने धैर्यपूर्वक मुस्लिम प्रतिनिधियों की बात सुनी और सभी से देश में स्थिति सामान्य करने के साझा लक्ष्य की दिशा में काम करने की अपील की।

गौरतलब है कि मोहन भागवत ने 3 जून 2022 को हिंदुओं से देश की हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश नहीं करने को कहा था। एसवाई कुरैशी के मुताबिक यह बेहद कड़ा बयान था। यह बयान ऐसे समय में आया है जब हिंदुओं के एक समूह ने शिवलिंग की मौजूदगी का दावा किया था, और मुसलमानों  की यह धारणा बन गई कि इस कदम के पीछे आरएसएस का हाथ है। इसलिए, श्री भागवत का बयान मुसलमानों के साथ-साथ हिंदुत्व ब्रिगेड के लिए एक आश्चर्य के रूप में आया क्योंकि वह उनसे आशा कर रहे थे कि वह उनकी पहल का बचाव करेंगे। श्री भागवत ने कथित तौर पर कहा था:

"ज्ञानवापी का मामला चल रहा है। हम इतिहास नहीं बदल सकते, इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने। यह उस युग में हुआ। इस्लाम यहां बाहर से आक्रमणकारियों के माध्यम से आया....। (अयोध्या के बाद) यह भी स्पष्ट किया गया था कि संगठन (आरएसएस) किसी नए आंदोलन का हिस्सा नहीं बनेगी। हर दिन नए विवाद उठाने की जरूरत नहीं है। हमें आपसी सहमति से रास्ता खोजना चाहिए।"

ये बयान आरएसएस की ओर से एक सकारात्मक कदम का संकेत देते हैं और इसलिए यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मंदिरों से संबंधित नए आंदोलनों को आरएसएस द्वारा समर्थन नहीं है, जैसा कि आम मुसलमानों द्वारा माना जाता है, लेकिन कुछ 'दुष्ट तत्वों' की गतिविधियां हैं जो तुक्ष राजनीतिक स्वार्थ के लिए माहौल खराब कर रहे हैं।

हमें जुलाई 2017 में तथाकथित गौ रक्षकों को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तीखी फटकार को भी याद रखना चाहिए। झारखंड में एक वाहन में बीफ ले जाने पर एक मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या किये जाने के बाद उन्होंने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर लोगों को मारना अस्वीकार्य है। उन्होंने पशु व्यापारियों और किसानों पर घातक हमलों में वृद्धि की निंदा की।

इसलिए, आरएसएस और भाजपा के अधिकारियों द्वारा इन कार्यों की व्याख्या हिंदुत्व को बढ़ावा देने के नाम पर सांप्रदायिक आंदोलनों और कार्यक्रमों की अस्वीकृति के रूप में की जा सकती है। श्री भागवत के बयान यह स्पष्ट करते हैं कि हिंदुत्व के नाम पर जो कुछ भी किया जाता है, उसके पीछे आरएसएस का हाथ नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि धार्मिक संघर्षों पर आधारित किसी नए आंदोलन की संगठन की कोई योजना नहीं है। इसलिए, कुतुब मीनार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, ताजमहल और यहां तक कि ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदुत्व समुदाय के कुछ बयान 'दुष्ट तत्वों' के हैं जो आरएसएस की परियोजना का हिस्सा नहीं हैं।

यह मुसलमानों को मौका देता है। मुसलमानों को देश में हिंदुत्व वादी शक्तियों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ हर सांप्रदायिक कदम के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराना बंद कर देना चाहिए। यह संगठन देश में मुसलमानों के खिलाफ सक्रिय सभी विभिन्न वैचारिक और चरमपंथी समूहों को नियंत्रित नहीं कर सकता है, इसलिए मुसलमानों के खिलाफ हर गलत काम के लिए आरएसएस को दोष देने के बजाय, इसे शामिल करना चाहिए और इसके साथ संवाद करना चाहिए, इसका विस्तार करना चाहिए और दोनों पक्षों के अधिक लोगों को शामिल करना चाहिए। ताकि अविश्वास और गलतफहमी को दूर किया जा सके और दोनों समुदाय देश के कल्याण के लिए आगे बढ़ सकें।

---------------

English Article: The Meeting between Mohan Bhagwat and Muslim Intellectuals Shows Mutual Concern and Understanding Over Sensitive Issues

Urdu Article: The Meeting between Mohan Bhagwat and Muslim Intellectuals Shows Mutual Concern and Understanding Over Sensitive Issues موہن بھاگوت اور مسلم دانشوروں کی ملاقات حساس مسائل پر باہمی تشویش اور افہام و تفہیم کو ظاہر کرتی ہے

URL: https://www.newageislam.com/hindi-section/bhagwat-muslim-intellectuals-sensitive-issues/d/128056

New Age IslamIslam OnlineIslamic WebsiteAfrican Muslim NewsArab World NewsSouth Asia NewsIndian Muslim NewsWorld Muslim NewsWomen in IslamIslamic FeminismArab WomenWomen In ArabIslamophobia in AmericaMuslim Women in WestIslam Women and Feminism


Loading..

Loading..