सुमित पाल, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
31 अगस्त 2022
नसीर अहमद का लेख ‘शैतानी आयात’ निश्चित रूप से एक ‘माज़रत ख्वाहाना शाहकार’ है। मैं कभी किसी ऐसे शख्स से नहीं मिला जो सहीफे के मुबहमात (अस्पष्टता) की व्याख्या करने में इस आदमी से अधिक उत्तेजित हो। कार्ल पोपर ने एक बार कहा था, “अगर आप किसी संवेदनशील विषय पर कलम उठाते हैं तो आलोचना का सामना करने के लिए खूद को तैयार रखें।“ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अपनी बहु, ज़ैनब (अपने मुंह बोले बेटे ज़ैद की बीवी) से शादी पर पर्दा डालने के अपने जोश और इस बात की व्याख्या के अपने उमंग में कि इस्लाम में गोद लेने को क्यों धार्मिक हैसियत हासिल नहीं है, उन्होंने अपने आपको मज़ाक का निशाना बना लिया है। वैसे, क्या आप ने निम्नलिखित लाइने पढ़ी हैं जैसा कि बॉन जोवी ने कहा था?
“नया कल अब वह नहीं रहा जो पहले हुआ करता था
कल आता रहता है, यह केवल एक वास्तविकता है।
यह वही गाना है बस राग अलग है...”
मैं आखरी लाइन को दोहराता हूँ, “यह वही गाना है बस राग अलग है। एक जमाने से माज़रत ख्वाह कुरआन में ऐसी आयतों की व्यख्या करने की कोशिश कर रहे हैं जो न केवल संदेह पूर्ण हैं बल्कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अपने एजेंडे को सहीह साबित करने के लिए खुद में इस्लाम के अल्लाह को भी शामिल कर रहे हैं। अगर आप स्पीनोज़ा का खुदा पढ़ते हैं (बेकार विकिपीडिया या वाट्सएप का नहीं बल्कि असल डच भाषा में), तो उन्होंने कहा है कि वह वास्तव में एक बदकार आदमी था जैसा कि वेटिकन ने उसे ज़मीन का सबसे अधिक ज़ालिम इंसान कहा था। इस लिहाज़ से कि वह कभी किसी किताब और पैगम्बर पर विश्वास नहीं रखता था बल्कि खुदा के बारे में उसका अपना तसव्वुर था, जो सहीफों और उनके किरदारों से बेनियाज़ था। उसने आगे कहा कि सहीफों और उनके तथाकथित पैगम्बरों ने न केवल इसाइयत बल्कि तमाम धर्मों की बेहुरमती की और खुदा की छवी को भी खराब किया है। मैंने उनकी राय का हवाला दिया ताकि यह बात साबित हो जाए कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने (अपनी बहु से शादी कर के) जो कुछ किया वह निंदनीय था। अपनी बहु से शादी करना) निंदा के काबिल था, लेकिन ‘वही’ (40 से 37; 33:4) को अल्लाह की तरफ मंसूब कर के अपने रसूल की बेराह रवी को सहीह करार दे कर क्या मुसलमान अपने अल्लाह की बदनामी नहीं कर रहे हैं?
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक इंसान थे, केवल एक बशर थे। और इंसान खताओं का पुतला है। सर्ज़िंश करने या तंबीह करने के बजाए, अल्लाह ने एक खुद गर्ज़ और मौक़ा परस्त ‘वही’ नाज़िल की, जिसने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अपने मुंह बोले बेटे की बीवी को अपनी 5 वीं बीवी बना लेने को जायज़ करार दिया। इस तरह अल्लाह ने उसे चार से अधिक बीवियां रखने की इजाज़त दी, जबकि यह चार की संख्या एक हद है जिसे अल्लाह ने बाकी तमाम मर्दों के लिए निर्धारित किया है (कुरआन: 4:3)। सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के कानून मुस्तस्ना थे?
अब जैनब रज़ीअल्लाहु अन्हा की मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से शादी के दिलखराश घटना पर वापस आते हैं, आप उस शख्स को क्या समझेंगे जो अपनी बहु से शादी करता है? मानता हूँ कि यह उनकी मर्ज़ी है, हम कौन होते हैं कि इस पर आलोचना करें या इसकी निंदा करें। लेकिन जब बात उस शख्स की आती है जिसकी तरफ उम्मत देखती है, तो ऐसी हरकत हमें सकते में डालने के लिए काफी है। क्या कोई भी बुद्धिमान मुसलमान इस नज़ीर की पैरवी करेगा?
इस हकीकत को स्वीकार करें कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
ने गलतियां नहीं फाश गलतियां की हैं। इस सारे फसाद में अपने अल्लाह को फ्रीक न बनाएं।
अपने खुदा को इससे अलग ही रखें।
---------
English Article: Don't Make Your Allah a Party to All This Mess
Urdu Article: Don't Make Your Allah a Party to All This Mess اپنے خدا کو ان سارے فسادات
میں شریک نہ بنائیں
URL:
New Age Islam, Islam Online, Islamic Website, African Muslim News, Arab World News, South Asia News, Indian Muslim News, World Muslim News, Women in Islam, Islamic Feminism, Arab Women, Women In Arab, Islamophobia in America, Muslim Women in West, Islam Women and Feminism