सुहैल अरशद, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
10 अगस्त 2022
कुछ रोज़ पहले दिल्ली के ओखला इलाके से एक मुस्लिम युवक को आइएसआइएस से संबंध रखने और उसके लिए फंड प्रदान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वह युवक पटना का रहने वाला है और दिल्ली में रोज़गार के सिलसिले में रहता था। उसकी गिरफ्तारी से दो रोज़ पहले आइएसआइएस ने काबुल में शिया मुसलमानों के एक आशूरा के जुलूस पर बमों से हमला किया जिसके नतीजे में 8 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। यह पहली घटना नहीं थी जब आइएसआइएस ने इराक और सीरिया से उजड़ने के बाद दुनिया के दुसरे मुस्लिम इलाकों में आतंकवादी हमले नहीं किये हैं। उसने अफगानिस्तान में इससे पहले अस्पतालों स्कूलों और शियों के रिहायशी इलाकों में हमले किये हैं और औरतों और बच्चों समेत सैंकड़ों लोगों को हालाक किया है। भारत सरकार ने फरवरी 2015 में इसे आतंकवादी संगठन करार दिया और इस पर पाबंदी लगा दी। ओखला से गिरफ्तार मुस्लिम युवक को इसी आतंकवादी संगठन के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। युवक वास्तव में दोषी है या उसे केवल स्वतंत्रता दिवस की तकरीबात से पहले मामुल की कार्रवाई के तहत गिरफ्तार किया गया है और दुसरे आतंकवादी मामलों की तरह यह भी एक केवल शक की बिना पर उठाया गया कदम है यह अदालती कार्रवाई पूर्ण होने पर ही सामने आएगा क्योंकि आल्ट न्यूज़ के पत्रकार जुबैर के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे।
ओखला से गिरफ्तार युवक उन सैंकड़ों मुस्लिम युवकों में से एक है जो अपने मिल्ली कायदीन, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों की संकीर्ण मानसिकता, मज़हबी जुनून और ना आकबत अंदेशी का खामियाजा भुगत रहे हैं। 2014 में जब आइएस आइएस ने इराक और सीरिया के एक बड़े इलाके पर संदिग्ध तौर पर कब्ज़ा कर लिया था और वहाँ अपनी सरकार कायम की जिसे वह खिलाफत कहते थे तो पुरे आलमे इस्लाम में इसे इस्लामी खिलाफत की वापसी से मौसुम किया गया और आलमे इस्लाम के काई नामवर उलमा और नामवर सहाफियों ने इस तथाकथित खिलाफत के समर्थन में बयान दिए और नामवर पत्रकारों ने उनकी प्रशंसा में अखबार के पन्ने काले कर दिए। एक नामवर आलिमे दीन ने तो आइएसआइएस के मुखिया अबुबकर अल बगदादी को अमीरुल मोमिनीन मुखातिब कर के एक ख़त भी लिख दिया और कुछ अखबारों ने खिलाफत पर विशेष अंक भी निकाल दिए। यह विशेष अंक उर्दू के हलके में गर्म केक की तरह बीके। मुसलमानों के मिल्ली कायदीन और आइएसआइएस नवाज़ पत्रकारों ने मुसलमानों को यह विश्वास दिलाया कि अबूबकर अल बगदादी की खिलाफत ही वह खिलाफत है जिसका मुसलमान खिलाफते उस्मानिया के खात्मे के बाद से सौ बरसों से इन्तेजात कर रहे थे। अब अबू बकर अल बगदादी की कयादत में मुसलमान पुरे आलम में काबिज़ हो जाएंगे चाहे उनके पास आधुनिक ताकत न हो, चाहे उनके पास वैज्ञानिक ज्ञान न हो, चाहे वह तकनीक के मैदान में अकवामे आलम के दस्त नगर हों, चाहे उनमें एकता न हो, चाहे वह रंग, नस्ल, जुबान और कौमियत के नाम पर एक दुसरे से बरसरे पैकार हों। केवल खिलाफत के नाम की बरकत से ही उनके सारे मसले हल हो जाएंगे। इसी अंधे अकीदे और गैर अकली और अतार्किक सोच की वजह से मुसलमानों के मिल्ली कायदीन और सहाफियों के एक वर्ग ने एक आतंकवादी संगठन को भारत में मुसलमानो का नुमाइंदा इदारा बना कर पेश किया। इस संगठन ने इराक और शाम में मुसलमानों ही का जिस बेदर्दी से क़त्ल ए आम किया, औरतों को गुलाम बनाया उनकी इज्जत लुटी उन्हें लौंडियों की तरह बेचा गया इससे नज़रें चुराई और इस क़त्ल व गारतगरी को एक अज़ीम- मकसद के प्राप्ति के लिए छोटी मोटी ज़्यादती करार दिया।
लेकिन फ़रवरी 2015 में भारत सरकार ने आइएसआइएस को एक आतंकवादी संगठन घोषित करके उसे देश में प्रतिबंधित संगठन का दर्जा दे दिया।
पांच साल के बाद जब आइएसआइएस को नाटो ने इराक से खतम कर दिया तो आइएसआइएस ने खिलाफत का चोला उतार कर अपना आतंकवादी चेहरा दिखाना शुरू किया और विभिन्न देशों जैसे अफगानिस्तान, फ़िल्पाइन, इराक,सीरिया और दुसरे यूरोपीय देशों में आतंकवादी कार्रवाइयां अंजाम देनी शुरू कीं तो आइएसआइएस के यह प्रशंसक मुंह छिपाने लगे और कहने लगे कि हमसे उनको पहचानने में गलती हो गई। लेकिन उनका इतना कह देने से कौम को होने वाले नुक्सान की भरपाई नहीं हो सकती। उनकी गलती का खामियाजा पटना, मुबारकपुर और दुसरे शहरों के मुस्लिम युवाओं को अगली कई दशकों तक भुगतना पड़ेगा। मुस्लिम युवाओं को शक की बुना पर अगले दस बीस सालों तक आतंकवाद के आरोप में देश का सांप्रदायिक और मुस्लिम दुश्मन निज़ाम अपना शिकार बनाता रहेगा जिस तरह नब्बे के दशक में सीमी के नाम पर मुस्लिम युवाओं का कैरियर और भविष्य तबाह किया गया। दूर तक न देखने वाले और संकीर्ण मानसिकता वाले कायदीन और सहाफियों ने 2014 और 2015 में आइएसआइएस जैसी आतंकवादी संगठन को मुसलमानों में लोकप्रिय बना कर देश के फिरका परस्त निज़ाम को मुसलमानों के खिलाफ एक नया हथियार उपलब्ध करा दिया है और खुद दुबक कर बैठ गए हैं।
मुसलामानों के मिल्ली कायदीन ने मुसलमानों में मज़हबी और अखलाकी किरदार साज़ी के नाम पर मज़हबी तंजीमें बनाई। उनकी वैज्ञानिक और इल्मी तरक्की के लिए इदारे और तंजीमें नहीं बनाई। उनमें साइंसी फ़िक्र को बढ़ावा देने की कोशिश करने की बजाए उनमें मज़हबी और मसलकी जुनून को बढ़ावा दिया गया। उनको यह विश्वास दिलाया गया कि केवल उनकी विशेष संगठन ही हक़ की राह पर है और दूसरी तमाम तंजीमें गुमराह हैं। उनको यह बावर कराया गया कि केवल खिलाफत ही उनके तमाम समस्याओं का हक़ है। उनको यह जग जाहिर हकीकत नज़र नहीं आती कि ईसाई और यहूदी देशों में खिलाफत का तसव्वुर नहीं है इसके बावजूद वह आज मुसलमानों पर ग़ालिब हैं क्योंकि उनके पास साइंस और तकनीक की ताकत है, आर्थिक शक्ति है और वैज्ञानिक और आर्थिक शक्ति से ही शक्ति प्राप्त होती है।
आज जिन मुस्लिम युवाओं को आइएसआइएस के आरोप में गिरफ्तार किया जा रहा है उनके सरपरस्त उन मुस्लिम मिल्ली कायदीन और सहाफियों से जाकर पूछें जिन्होंने आइएस आइएस को इस्लामी खिलाफत का अलमबरदार साबित करने की कोशिश की थी कि आपने तो हमारे बच्चों को बताया था कि आइएसआइएस इस्लामी खिलाफत का सच्चा अलमबरदार है तो फिर उनको आतंकवादी करार दिए जाने पर आप खामोश क्यों हैं। आपके ही बयान सुन कर और आपके ही लेख को पढ़ कर हमारे बच्चे गुमराह हुए हैं। अगर आइएसआइएस वाकई एक सच्ची अमन पसंद इस्लामी तंजीम है तो फिर आपके बच्चे इसमें शामिल क्यों नहीं होते और कौम के लिए और इस्लाम के लिए जेल क्यों नहीं जाते।
English Article: Where Are The Admirers Of ISIS Hiding? ثناخوان داعش کہاں چھپ گئے ہیں
URL:
New Age Islam, Islam Online, Islamic Website, African Muslim News, Arab World News, South Asia News, Indian Muslim News, World Muslim News, Women in Islam, Islamic Feminism, Arab Women, Women In Arab, Islamophobia in America, Muslim Women in West, Islam Women and Feminism