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Hindi Section ( 31 Dec 2020, NewAgeIslam.Com)

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Terrorists Should Not Be Allowed To Affect Global Multiculturalism, Sultan Shahin Tells UNHRC जनाब सुल्तान शाहीन: आतंकवादियों को वैश्विक बहुसंस्कृतिवाद को प्रभावित करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए

अंतर्राष्ट्रीय बहुसांस्कृतिक सभ्यता को प्रभावित करने में आतंकवादी अब तक विफल रहे हैं: मानवाधिकारकाउंसिल, संयुक्त राष्ट्र के समानांतर सत्र में सुलतान शाहीन का संबोधन

मानवाधिकार काउंसिल का २१ वां सत्र

आतंकवाद से प्रभावित लोगों की याद में

गुरुवार, २० सितंबर २०१२

१०:००- १२: ००

कमरा न०: २४, पलासदेसनेशंस

स्पीकर:

बिशप डॉक्टर आमिन होर्ड, फैडून टोविन फैमिली एन जी ओ, नाइजीरिया,

जनाब सुलतान शाहीन, संपादक न्यू एज इस्लाम

प्रोफ़ेसर के वारेको, सेक्रेटरी जनरल, हिमालियान रिसर्च एंड कल्चरल फाउंडेशन

श्री मिकाइल फिलिप्स, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर एंड असिस्टेंट उइगरकांग्रेस

चेयरमैन: डॉक्टर चार्ल्स ग्रीयूस, अध्यक्ष FICIR

चर्चा:

डॉक्टर सैयद नजीर गिलानी, सेक्रेटरी जनरल, जम्मू कश्मीर ह्युमन राइट्स काउंसिल

प्रोफेसर रियाज़ पंजाबी, हिमालियान रिसर्च एंड कल्चरल फाउंडेशन

अनुवाद: अंग्रेजी, फ्रेंच

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के प्रभावितों की याद में उनको श्रद्धांजलि

सुलतान शाहीन, संपादक न्यू एज इस्लाम

संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेम्बली से हमारी यह अपील कि वह 19 अगस्त के दिन को आतंकवाद के प्रभावितों के लिए श्रद्धांजली के रूप में मनाया जाए, असल में आतंकवाद की भयावहता को दोबारा याद करने की हमारी कोशिश का हिस्सा है। हम इस मौके पर यह प्रण लेते हैं कि अब दुबारा कभी आतंकवाद की चपेट में नहींआएँगे।

विभिन्न देश अलग अलग दिनों में आतंकवाद के प्रभावितों की याद मनाते हैं ताकि वह उन गंभीर मौकों को हमेशा याद रख सकें। मगर यह भारत और रूस जैसे उन देशों के लिए लगभग असंभव सी बात है, जो इतनी बार आतंकवाद के शिकार हो चुके हैं कि अब उनके लिए वह दिन और इतिहास भी याद रखना कठिन हो गया है जब हिंसा की घटनाओं ने उनके नागरिकों को अपने घेरे में ले लिया था। तथापि, 19 अगस्त का दिन हमें आतंकवाद के सभी प्रभावितों को श्रद्धांजली पेश करने का सामूहिक मौक़ा प्रदान करता है।

आतंकवाद एक बदतरीन हिंसा है जो उन बेचारों बेगुनाह अवाम के खिलाफ बरपा किया जाता है जिनका आतंकवादियों की राजनीति से किसी तरह का कोई लेना देना नहीं होता। इसलिए इस मौके पर हमें आतंकवाद के इस देव की सभी तरकशों के खिलाफ मोर्चा खोला जाना चाहिए और उसे कहीं भी पनपने का मौक़ा नहीं देना चाहिए और ना ही दुनिया के देशों के दीच अंतर व फूट फैलाने के उसके नापाक उद्देश्य को असफल बनने देना चाहिए।

अभी हाल ही में हमने ११ सितंबर के प्रभावितों को न्यूयार्क में ताड़ किया और उन्हें श्रद्धांजली पेश किया। दुनिया भर में पुरे साल इस तरह के जो दिन मनाए जाते हैं, उनमें सबसे दर्दनाक और अलमनाक दिन २२ जुलाई, २०१२ का था जब नार्वे में बम और बन्दुक से चलनी होने वाली ७७ बेगुनाह जानों को याद किया गया। इसअन्दोहनाक घटना ने एक साल पहले अमन व सलामती के इस देश को हरासां कर दिया था। इनड्रेस बहरिंग ब्रियुक नामक ३३ वर्षीय व्यक्ति एक वामपंथी अतिवादी था, जिसे अब उमर कैद की सज़ा सूना दी गई है, क्योंकि उसने ओस्लो में गवर्नमेंट हेड क्वार्टर पर बमबारी की थी जिसके नतीजे में आठ लोग मारे गए थे और ओटोया जज़ीरे में लगाए गए वामपंथी लेबर पार्टी यूथ कैम्प पर फायरिंग की थी, जिसकी वजह से ६९ लोग मारे गए थे।

मास्को में ३ सितंबर को आतंकवाद के खिलाफ जंग में एकता के प्रदर्शन के दिन आतंकवाद के प्रभावितों को याद किया गया। इस तरह की इग्यारा आयोजन आयोजित की गई। मास्को के सैंकड़ों नागरिकों ने आतंकवादी हमले की जगह जमा हो कर प्रभावितों को श्रद्धांजली पेश किया। विभिन्न स्थानों पर प्रभावितों को श्रद्धांजली पेश करने के लिए रैलियाँ निकाली गईं, उनमें डोब्रोका थियेटरिक सेंटर के नज़दीक स्थित कल्ट्री पार्क, लाबियांका और ओटोज़ाविस्का मेट्रो स्टेशन, टोशीनों हवाई अड्डा, होटल नेशनल के नज़दीक, नज्द्रिज़सकाया मेट्रो स्टेशन, काशिर सिकुवे शाहराह और ग्रियानुवा स्ट्रीट पर स्थित मकानों के वह पुराने ग्राउंडज जिन पर बमबारी की गई थी, पुश्किनकायास्क्वायरऔरडोमोडेडोवोएयरपोर्ट की अंडर ग्राउंड क्रासिंग उल्लेखनीय हैं। और इसी तरह की एक रैली पोड्कोलोकोनी साइड स्ट्रीट और जंक्शन ऑफ़ सोलियांका पर स्थित वर्जिन ऑफ़ कोल्शकी के चर्च ऑफ़ नेटसीयोटी के सामने स्थित मोनोमेंट टोबिलसन ट्रस्ट एक्ट के नज़दीक भी निकाली गई।

अब से दो महीने बाद हमें २६ नवंबर को अपने देश भारत की साझा सभ्यता पर पाकिस्तानी हमले के डर हैं, २००८ में होने वाले हमले के ठीक चार साल बाद जब कि देश भर में सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धांजली की तकरीबात मनाई जा रही होंगी।

मैंने अभी भारत की साझा सभ्यता पर किये जाने वाले हमले की बात की, जो कि व्याख्या चाहती है। अवश्य! यह हमला भारत पर हमारी अवाम पर, हमारे विदेशी पर्यटकों पर और इस तरह भारत के बहुत सारे पहलुओं पर किया गया था। चूँकि मुंबई शहर भारत की आर्थिक राजधानी है, इसलिए हमला भारत की आर्थिक शक्ति पर भी था, क्योंकि इस हमले में अनेकों यहूदी और दुसरे विदेशी पर्यटक मारे गए थे। इस तरह यह हमला भारत के मुख्तलिफ और कई पहलुओं पर किया गया, लेकिन मैं ने इसे ख़ास तौर पर भारत की साझा सभ्यता और बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक समाज के खिलाफ एक हमला करार दिया, वह भारतीय समाज जिस में बिना किसी धर्म के अंतर हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, यहूदी एक साथ मिल जुल कर रहते हैं और उनके अलावा ना जाने कितने भाषाई और जातीय समूह मिल जुल कर जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जिनका शुमार नहीं किया जा सकता। लेकिन फिर भी मैंनें केवल एक ही पहलु अर्थात भारत की साझा सभ्यता का ही ख़ास तौर पर क्यों उल्लेख किया?

आपमें से कुछ को पता होगा कि अबू जिंदाल, आतंकवादी कार्यवाहियों का वह कोऑर्डिनेटर जो कराची में स्थित अपने कंट्रोल रूम से भारत में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादियों को निर्देश दे रहा था और जिसकी आवाज़ भी भारतीय सरकार ने रिकार्ड कर ली है, अब सऊदी अरब से गिरफ्तार किया जा चुका है। उसनेखुलासा किया है कि इस हमले के पीछे हिन्दुओं और मुसलमानों को भी फ़साने की साज़िश थी। यही वजह है कि इन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मुंबई की आमिया जुबान के कुछ बोल चाल के जुमले सिखा दिए गए थे, ताकि भारतीय सेक्योरिटी के जरिये उनकी पहचान भारतीय नागरिकों के तौर पर हो। उनसे कहा गया था कि वह हमारे शहर हैदराबाद से जोड़ के अपने लिए कोई फर्जी मुस्लिम गिरोह का नाम विकल्प कर लें, ताकि उनके बारे में यह गुमान हो कि वह किसी भारतीय शहर से संबंध रखते हैं।दस आतंकवादियों ने हैदराबाद में स्थित अरुणोदयकॉलेज के फर्जी पहचानपत्र बनाए हुए थे। यहाँ तक कि उन्होंने अपने हिन्दू नाम भी रख लिए थे, इसलिए अजमल कसाब समीर चौधरीऔर इस्माइल खान नरेश वर्माबन गया था। लश्करे तय्यबा के एक ऑपरेटर ने अपना नाम खड़क सिंहज़ाहिर किया और उसने एक अमेरिकी से २५० डॉलर (अर्थात दस हज़ार भारतीय रूपये) में इंटरनेट कालिंग सर्विस खरीदी थी। उन आतंकवादियों को समझा दिया गया था कि वह कराची में रहने वाले अपने ऑपरेटरों से भारतीय सिम कार्ड वाले फोन से बात चीत किया करें।

उस पाकिस्तानी की बद किस्मती कहिये और इंसानी दुनिया की खुश किस्मती कि उनमें से एक पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को एक भारतीय पुलिस ने जीवित गिरफ्तार कर लिया, हालांकि इस दौरान उसको अपनी जान भी गवानी पड़ी। इस घटना ने पाकिस्तानी साज़िश को बेनकाब कर दिया और हमें खुद भारत के अंदर आतंकवादियों को खोजने के बजाए असल अपराधियों तक पहुँचने का सुराग मिल गया।

इससे यह बात स्पष्ट हो गई कि मुंबई पर आतंकवादी हमले के पीछे भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक वर्गों को आपस में लड़ाने और एक दुसरे पर आरोप लगवाने की मानसिकता काम कर रही थी। मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि अगर कसाब को गिरफ्तार नहीं भी किया गया होता, तब भी हमारी साझा सभ्यता इस तरह के हमलों का मजबूती के साथ सामना कर रही होती। हमने इससे पहले भी कई बार इस तरह के हमलों का सामना किया है, मगर आज इसके बावजूद भी हम एक हैं। तथापि इन आतंकवादी गतिविधियों के पेशे नज़र एक सवाल हमारे मन में उभरता है, और वह यह है कि आखिर हमारी साझा सभ्यता और हमारी आपसी सद्भाव में वह कौन सी बात निहित है जिसे पाकिस्तान वजूद के लिए एक खतरे से कम नहीं समझता। आखिर क्यों पाकिस्तान हमारे खिलाफ भारत में शर के अड्डे तैयार कर रहा है और हमारी साम्प्रदायिक सौहार्द को तबाह कर देना चाहता है।

पाकिस्तान के जिहादी लश्कर और २६/११ पर टिप्पणी करते हुए मैनें इससे पहले एक बात कही थी जिसमें यहाँ फिर से दुहराना चाहूँगा कि: हम भारतीय मुसलमानों के पास इस बात का मुतालबा करने के लिए उचित कारण हैं कि बुराई के उन अड्डों को बंद कर दिया जाए और इनका खात्मा कर दिया जाए। क्योंकि अब इस मालुम हकीकत में ज़र्रा बराबर शक करने की गुंजाइश नहीं है कि इन पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों का ख़ास लक्ष्य भारत के मुसलमानो की तबाही है, और यह हकीकत मुम्बई पर उनके आतंकवादी हमले और उनके काम करने के तरीके से ज़ाहिर है।

भारत में हिन्दुओं और मुसलमानों का शांतिपूर्ण सह- अस्तित्व और विकास व खुशहाली की तरफ उनकी शानदार पेश रफ्त पाकिस्तान के वजूद के लिए एक बुनियादी खतरा है। क्योंकि भारत में खुशहाल मुस्लिम समाज का वजूद असल में पाकिस्तान के उस दो कौमी नजरिये का खात्मा कर दे गा जिसपर पाकिस्तानी स्टेट की पूरी इमारत कायम है। एक तरफ भारत में मुसलमान ना केवल आपस में अमन व सुकून स्थापित किये हुए हैं बल्कि दुसरे विभिन्न धार्मिक, मौखिक, और जातीय पहचान के हामिल विभिन्न वर्गों के साथ भी वह हम आहंग जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जब कि दोसरी ओर पाकिस्तानी मुसलमानों का हाल यह है कि वह आपस में बुरी तरह बटे हुए हैं और आपसी रक्तपात में लगे हैं। यही वह त्रासदी है जिसने पाकिस्तान के पुरे वजूद को हिला कर रख दिया है।

पाकिस्तान के मुस्लिम सिन्धी, बलोची, पठान, सराइकस और मुहाजेरीन को अगर ज़रा भी मौक़ा मिले तो वह भारतीय मेनस्ट्रीम से जुड़ना पसंद करेंगे, इसलिए उन्हें पाकिस्तानी स्थिरता के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता जो कि उन आतंकवादी संगठनों के फलने फूलने और उसके माध्यम से अपने स्ट्रेटेजिक योजनाओं को पूरा करने के दर पर है। हम भारतीय मुसलमान, केवल भारत में अपने वजूद की बिना पर और उससे भी कहीं अधिक इस देश में अपनी सलामती और खुशहाली की बिना पर, पाकिस्तान के पुरे वजूद के लिए एक खतरा बने हुए हैं, ना कि केवल पाकिस्तानी आतंकवादियों के लिए जो अनिवार्य रूप से पाकिस्तानी स्थिरता का हिस्सा हैं। तथापि, हम इस संबंध से कुछ भी करने से कासिर हैं। इसलिए ख़ास तौर पर हमारे हित में और सारे भारतीय मुस्लिमों के हित में है कि आतंकवाद के उन अड्डों का खात्मा कर दिया जाए उन अपराधियों कोअंतकीओर पहुंचा दिया जाए, जिन्होंने हमारे देश की धरती पर शर व फसाद मचाया है।

२२ जुलाई, २०१२को ओस्लो में ताज पोशी की एक तकरीब में वज़ीर आज़म जेन्स स्टोलटन बर्ग ने कहा था ब्रियुक अपने लक्ष्य में कामयाब नहीं हो सका, जो नार्वे के बहुसांस्कृतिक और साझा सामाजिक मूल्यों को तबाह कर देने का ख्वाहिशमंद था। जींस स्टोलटनबर्ग ने आगे यह भी कहा था कि: नार्वे में चलाई गईं गोलियों और बमों का उद्देश्य नार्वे के मूल्यों को परिवर्तित करना था, लेकिन नार्वे के नागरिकों ने हमारे मूल्यों को साइन से लगा कर उनका जवाब दे दिया। इसलिए साज़िश करने वाले हार गए।

२६/११ की तकरीब के उस मौके पर हम भरतीय भी पुरे फख्र से यह कह सकते हैं कि पाकिस्तानी आतंकवादी और पाकिस्तान में मौजूद उनके ऑपरेटर हमारे भारतीय समाज की बहुसांस्कृतिक सभ्यता पर एक धब्बा भी नहीं लगा सके। अगर हम यह कहें कि आज पूरी दुनिया में जहां कहीं भी अमन व सुकून के हालात बने हुए हैं, वहाँ आतंकवादी गतिविधियों की वजह से उन पर कोई नाकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ रहा है, तो शायद हमारी यह बात वैश्विक आतंकवाद के प्रभावितों की रूहों के लिए इस मौके पर सबसे बेहतरीन खराज ए अकीदत होगी। यह प्रभावितहैदरा की सरबराही में चलने वाली इस बरबरी आइडियोलॉजी के शिकार हो गए जो हम सब को अतिवादी गिरोहों में बाँट देना चाहती है।मगर हमने उन आतंकवादियों को कभी अपने उद्देश्य में सफल नहीं होने दिया और आइए! अब हम सब मिल कर यह वादा करें कि हमुन्हें दुनिया के किसी भी हिस्से में सफल नहीं होने देंगे।

उर्दू से अनुवाद, न्यू एज इस्लाम

URL for English article: http://newageislam.com/islam,terrorism-and-jihad/sultan-shahin,-editor,-new-age-islam/terrorists-have-failed-so-far-and-should-not-be-allowed-to-affect-global-multiculturalism,-sultan-shahin-tells-parallel-meeting-at-unhrc-in-geneva/d/8736

URL for Malayalam translation: https://www.newageislam.com/malayalam-section/terrorists-failed-so-far-be/d/118151

URL for Urdu translation: http://www.newageislam.com/urdu-section/terrorists-have-still-not-been-unable-to-influence-the-global-multi-cultural-civilization-عالمی-کثیر-ثقافتی-تہذیب-کو-متاثر-کرنے-میں-دہشت-گرد-اب-تک-ناکام-رہے-ہیں--حقوق-انسانی-کونسل-،اقوام-متحدہ-کے-متوازی-اجلاس-میں-سلطان-شاہین-کا-خطاب/d/8762

URL: https://www.newageislam.com/hindi-section/terrorists-be-allowed-affect-global/d/123929


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