न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
24 दिसंबर 2022
तालिबान ने पिछले साल सत्ता में आते ही यह तास्सुर देना शुरू किया था कि वह 1996 से 2001 तक की अपनी पिछली सरकार से अलग होंगे और उनकी नै सरकार औरतों के अधिकारों का ख्याल रखेगी और इस्लामी शरीअत के दायरे में रह कर उन्हें आज़ादी देगी। लेकिन असल में इसके उलट हो रहा है। प्रारंभ में, महिलाओं को मीडिया से बाहर कर दिया गया था। उन्हें व्यापार करने से रोका गया। परिणामस्वरूप कई बुटीक बंद हो गए। उसके बाद कक्षा 6 से आगे लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगा दी गई। तालिबान ने कॉलेजों को इस शर्त पर कुछ समय के लिए शिक्षण जारी रखने की अनुमति दी कि कक्षाओं को लड़कों और लड़कियों के बीच अलग किया जाए। तालिबान सरकार ने लड़कियों की शिक्षा बंद कर दी थी क्योंकि वे उनके लिए स्कूल यूनिफॉर्म तय नहीं कर सके थे।
अब तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने यह अंतिम आदेश जारी किया है कि लड़कियों को प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए उन्हें विश्वविद्यालय में पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्हें मदरसों में ही बुनियादी धार्मिक शिक्षा मिलेगी और उसके बाद उन्हें घर में कैद कर दिया जाएगा। अगर उन्हें घर से निकलना होगा तो वे खुद को पूरी तरह से बुर्के में ढक लेंगी और महरम लेंगी।
सरकार के इस आदेश के कारण उच्च शिक्षा हासिल करने का जुनून रखने वाली हजारों लड़कियों का भविष्य अंधकार में डूब गया है। तीन महीने पहले, हजारों लड़कियों और महिलाओं ने विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा दी। उन्होंने इंजीनियरिंग और चिकित्सा सहित कई क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना देखा था।
तालिबान एक ओर तो हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए अलग प्रबंधन चाहता है, वहीं दूसरी ओर वह महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने से रोक रहा है।वह पुरुष डॉक्टरों को महिलाओं के रोगों का इलाज करने की अनुमति नहीं देता है। ऐसे में देश में और अधिक महिला डॉक्टरों की आवश्यकता होगी। लेकिन तालिबान ने महिलाओं को चिकित्सा अध्ययन करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में आने वाले वर्षों में महिलाओं के लिए चिकित्सा संकट पैदा हो जाएगा। और इलाज के अभाव में दम तोड़ देंगी।
पुलिस और अन्य प्रशासनिक क्षेत्रों में महिलाओं की अनुपस्थिति महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन करेगी क्योंकि पुरुष पुलिस महिलाओं को कोड़े मारेगी जैसा कि अभी हो रहा है। जबकि महिलाओं को कोड़े मारने का जिम्मा महिला पुलिस का होना चाहिए। जेलों और थानों में महिला कर्मचारियों की गैरमौजूदगी में उनके खिलाफ दुर्व्यवहार का खतरा रहेगा।
अस्पतालों को बड़ी संख्या में नर्सों और महिला डॉक्टरों की आवश्यकता होती है क्योंकि महिलाओं की बीमारियों के इलाज और प्रसव के लिए महिला डॉक्टरों, नर्सों और सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। जब तालिबान महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं देगा, तो अस्पतालों में प्रसूति और महिलाओं की विशिष्ट बीमारियों का इलाज पुरुष डॉक्टरों को करना होगा, जो कि तालिबान की अपनी नीति के खिलाफ होगा।
आज दुनिया के ज्यादातर देशों में हर सरकारी क्षेत्र में महिलाओं की बहाली इसलिए की जाती है ताकि महिलाओं की समस्याओं और मुद्दों को महिलाओं द्वारा निपटाया जा सके और महिलाएं उत्पीड़न और दुर्व्यवहार और पूर्वाग्रह से बच सकें।
इस्लाम के शुरुआती दिनों में, महिलाओं ने युद्धों में भाग लिया। उन्हें शिक्षा की अनुमति प्रदान की गई। बल्कि महिलाओं और पुरुषों के लिए शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य घोषित कर दिया गया। तालिबान ने उन्हें सामाजिक जीवन से पूरी तरह काट दिया है और महिलाओं के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने तालिबान सरकार की इस पहल पर निराशा व्यक्त की है और उससे इस फैसले को वापस लेने की अपील की है, लेकिन भारत में किसी भी इस्लामिक पार्टी ने तालिबान के इस फैसले की आलोचना नहीं की है। उन्हें अपने देश में लड़कियों के उच्च शिक्षा प्राप्त करने पर आपत्ति नहीं है, बल्कि उलमा की बेटियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है, लेकिन भारतीय उलमा का दिल अफगानिस्तान की बेटियों के लिए नहीं दुखता, क्योंकि उनकी नजर में तालिबान स्वतंत्रता सेनानी हैं और खिलाफत के वारिस हैं। इसके लिए अगर थोड़ा घाटा हो जाए तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। भारत के अधिकांश उलमा और इस्लामी संगठनों में तालिबान के प्रति एक छिपी हुई अकीदत है, जबकि वे जानते हैं कि उनके हाथ निर्दोष मुसलमानों और बच्चों और विशेष रूप से महिलाओं के खून से रंगे हुए हैं। अफगानिस्तान में उन्होंने हिजाब न पहनने पर लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया है। अब उन्हें शिक्षा से भी महरूम कर के पुरी कौम को शिक्षा से वंचित करने की कोशिश कर रहे हैं। तालिबान का यह कदम आने वाले दशकों में अफगान महिलाओं के लिए गंभीर समस्या पैदा करने वाला है। मुसलमानों के खिलाफ गैरों की साजिशों की थ्योरी पेश करने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि जब मुसलमानों में ही ऐसे समूह होंगे तो दुश्मनों को उनके खिलाफ साजिश करने की जरूरत नहीं पड़ेगी
तुम्हारी तहज़ीब अपने खंजर से आप ही खुद ख़ुशी करेगी
जो शाखे नाज़ुक पे आशियाना बनेगा
ना पायदार होगा।
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Urdu
Article: Taliban - Enemies of Women عورتوں کا دشمن طالبان
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