कनीज़ फातमा, न्यू एज इस्लाम
8 मार्च 2022
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी पेशावर में एक शिया मस्जिद के अंदर हुए आत्मघाती हमले के बारे में इंटरनेट पर कई अखबारें पढ़ रही थी। कई रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि हमला ISIS द्वारा किया गया था। इस हमले की पाकिस्तान में व्यापक निंदा हुई थी। मुसलमानों की हर विचारधारा के प्रतिनिधियों ने इस खूनी बमबारी की कड़ी निंदा की है। लेकिन एक रिपोर्ट पढ़ने के बाद मुझे बहुत दुख हुआ और आश्चर्य हुआ कि पाकिस्तान में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो आंखें मूंद कर अपनी जिंदगी जी रहे हैं। मैं एक पाकिस्तानी तथाकथित विश्लेषक के बारे में बात कर रही हूं जो पूर्व में पूर्व कबायली क्षेत्रों के सचिव के रूप में कार्य कर चुका है और ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) महमूद शाह के नाम से जाना जाता है। उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "अफगानिस्तान में अभी भी ऐसे तत्व हैं जो भारत से वित्तीय संसाधन प्राप्त करते हैं।" उन्हें जब भी अदायगियां होती हैं, वह सक्रीय हो जाते हैं। ये लोग बहुत खतरनाक हो सकते हैं।"
पाकिस्तान में कुछ लोग ऐसे लगते हैं जो अपनी कोताहियों और कमियों को छिपाने के लिए बात बात पर भारत की ओर उंगली उठाना शुरू कर देते हैं। अभी शिया मस्जिद में जो हमला हुआ उस के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं! इससे बड़ा झूट और क्या हो सकता है? एक मुसलमान हो कर झूट बोलना! झूट बोलने को खुदा का खौफ रखना चाहिए।
जब आइएसआइएस ने खुद इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी कुबूल कर ली तो यह महमूद शाह कौन होते हैं भारत के उपर आरोप लगाने वाले? अगर उनके पास कोई सुबूत है तो पेश करे। और अगर सुबूत नहीं है तो मुझे बताए कि इस्लाम में बिना तहकीक व सुबूत के आरोप व तोहमतें लगाने वाले का क्या हुक्म है? क्या पाकिस्तानी अदालत ऐसी झूट बोलने वाले पर अदालती कार्यवाही चलाएगी? क्या इस तरह झूट बोलना इस्लाम में जायज़ है?
अल्लाह पाक ने कुरआन मजीद में साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में इरशाद फरमाया कि इंसान कोई बात बिना तहकीक के अपनी जुबान से न निकाले। अगर वह ऐसा करता है, तो फिर इसकी जवाबदही के लिए तैयार रहे। अल्लाह पाक का इरशाद है:
’’وَلَا تَقْفُ مَا لَيْسَ لَکَ بِہٖ عِلْمٌ إِنَّ السَّمْعَ وَالْبَصَرَ وَالْفُؤَادَ کُلُّ أُولٰئِکَ کَانَ عَنْہُ مَسْئُولًا۔‘‘ (سورۃ الاسراء:۳۶
अनुवाद: “और इस बात के पीछे न पड़ जिसका तुझे इल्म नहीं बेशक कान और आँख और दिल इन सब से सवाल होना है” (सुरह इसरा: 36)
ज़िक्र किये गए आयत में झूट बोलने से इस तौर पर मना किया गया है कि जिस चीज को देखा न हो उसके बारे में यह न कहो कि मैंने देखा है और जिस बात को सूना न हो उसके बारे में यह न कहो कि मैंने सूना है। एक कथन है कि इस आयत से मुराद यह है कि झूटी गवाही न दो।
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ीअल्लाहु अन्हुमा ने फरमाया “इस आयत से मुराद यह है कि किसी पर वह आरोप न लगाओ जो तुम नहीं जानते हो। (मदारक, अल इसरा, तहतुल आयह: 36, पेज 623)
अबू अब्दुल्लाह मोहम्मद बिन अहमद कुर्तुबी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं “खुलासा यह है कि इस आयत में झूटी गवाही देने, झूटे आरोप लगाने और इस तरह के दुसरे झूटे कथनों से मना किया गया है। (तफसीर कुर्तुबी, अल इसरा, तहतुल आयह: 5,36/ 187, अल जुज़उल आशिर)
इंसान जब भी कुछ बोलता है तो अल्लाह के फरिश्ते उसे नोट करते रहते हैं, फिर उसे इस रिकार्ड के अनुसार अल्लाह के सामने कयामत के दिन जज़ा व सज़ा दी जाएगी। अल्लाह पाक का फरमान है:
’’مَا يَلْفِظُ مِنْ قَوْلٍ إِلَّا لَدَيْہِ رَقِيْبٌ عَتِيْدٌ‘‘ (سورۂ ق:۱۸
अनुवाद: “वह कोई शब्द मुंह से नहीं निकालने पाता, मगर उसके पास ही एक ताक लगाने वाला तैयार है।“
अर्थात इंसान कोई कलमा जिसे अपनी जुबान से निकालता है, उसे यह निगरां फरिश्ते महफूज़ कर लेते हैं। यह फरिश्ते उसका एक एक शब्द लिखते हैं, चाहे उसमें कोई गुनाह या सवाब और खैर या शर हो या न हो।
झूटी गवाही देने और गलत आरोप लगाने की निंदा पर हदीसें:
यहाँ झूटी गवाही देने और गलत आरोप लगाने की निंदा पर तीन रिवायतें देखें:
(1) हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया “झूटे गवाह के कदम हटने भी न पाएंगे कि अल्लाह पाक उसके लिए जहन्नम वाजिब कर देगा। (इब्ने माजा, किताबुल अहकाम, बाब शाहाद्तुल ज़ोर, 3/ 123, अल हदीस: 2373)
इस आयत और दुसरे रिवायात को सामने रख कर महमूद शाह खुद फैसला करें कि भारत पर उनकी इलज़ाम तराशी करना क्या सहीह है। इस्लाम का यह पैगाम ऐसे तमाम लोगों के लिए गौर के काबिल है जिन्होंने इलज़ाम तराशी को अपना फैशन बना रखा है। जिसका दिल करता है वह दूसरों पर आरोप लगा देता है, जगह जगह ज़लील करता है और सुबूत मांगें तो यह दलील कि मैंने कहीं सूना था या मुझे किसी ने बताया था, अब किसने बताया, बताने वाला कितना मोतबर था? उसको कहा से पता चला? उसके पास क्या सुबूत हैं? कोई मालूम नहीं।
झूट बोलना गुनाहे कबीरा है और यह ऐसा गुनाहे कबीरा है कि कुरआन करीम में, झूट बोलने वालों पर अल्लाह की लानत की गई है। अल्लाह पाक का इरशाद है:
’’فَنَجْعَلْ لَّعْنَۃَ اللہِ عَلَی الْکَاذِبِيْنَ‘‘ (سورۂ آلِ عمران: ۶۱
अनुवाद: “लानत करें अल्लाह की उन पर जो कि झूटे हैं।“
एक हदीस में यह है कि झूट और ईमान जमा नहीं हो सकते, इसलिए अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने झूट को ईमान का विलोम कार्य करार दिया है। हदीस देखें:
’’عَنْ صَفْوَانَ بْنِ سُلَيْمٍ –رَضِيَ اللہُ عَنْہُ- اَنَّہٗ قِيْلَ لِرَسُوْلِ اللہِ -صَلَّیی اللہُ عَلَيْہِ وَسَلَّمَ-: اَ يَکُوْنُ الْمُـؤمِنُ جَبَاناً؟ فَقَالَ: ’’نَعَمْ.‘‘ فَقِيْلَ لَہٗ: اَ يَکُونُ الْمُـؤمِنُ بَخِيْلاً؟ فَقَالَ: ’’نَعَمْ‘‘. فَقِيْلَ لَہٗ: اَ يَکُوْنُ الْمُـؤمِنُ کَذَّاباً؟ فَقَالَ: ’’لاَ‘‘(مؤطا امام مالک، حدیث : ۳۶۳۰/۸۲۴
अनुवाद: “हज़रत सफवान बिन सलीम रज़ीअल्लाहु अन्हु बयान करते हैं: अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा गया: क्या मोमिन बुज़दिल हो सकता है? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया: “हाँ” फिर सवाल किया गया: क्या मोमिन बखील हो सकता है? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया: “हाँ” फिर अर्ज़ किया गया: क्या मुसलमान झूटा हो सकता है? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया: “नहीं (अहले ईमान झूट नहीं बोल सकता)”
इसलिए जो लोग झूट बोलते हैं उन्हें झूट बोलने से तौबा कर लेना चाहिए क्योंकि झूट दुनिया व आखिरत में रहमत से महरुमियत का सबब बनता है। झूट बोलने वालों से अल्लाह पाक और उसका रसूल नाराज़ होता है। झूट मुनाफिकों की अलामत है एक सच्चा मोमिन कभी झूट नहीं बोल सकता। इसलिए, भारत पर किसी तरह का झूटा आरोप लगाने से झूटों को बाज़ रहना चाहिए।
English Article: False Propaganda of a Pakistani Man against India on
Suicide Attack in the Eyes Of Islam
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