सुमित पाल, न्यू एज इस्लाम
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
23 दिसंबर 2022
रूमी कहते हैं, ‘नर्गिस जीवन में एक बार खिलती है और जब खिलती है तो
अकेली खिलती है। ‘नर्गिस की तह बनों (एक अफ्सानवी फूल)।
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जब भी मैं बड़े और पढ़े लिखे लोगों की हिमाकत और बचकाना रवय्या देखता हूँ तो किताबों की सोहबत तलाश, ख़ास तौर पर शैख़ साअदी की ‘गुलिस्तां’ और ‘बोस्ताँ’ जो कि फारसी में लिखी गई है।
कुछ दिन पहले जब मैं ‘बोस्ताँ’ की वर्क गर्दानी रहा था तो मुझे एक चौंका देने वाला बयान मिला: अपने आप को अज़ीम मत समझो क्योंकि तुम्हारे बहुत से मद्दाह हैं। याद रखें ‘शीजाहत’ (पहलवी में एतेदाल पसंदी) ‘शीजाह’ (मुतवास्सित) लोगों की जमअ है। यह नोट करना आवश्यक है कि आपको 20 वीं सदी की जदीद बोल चाल वाली फ़ारसी में ‘शीजाहत’ और शीजाह’ के अलफ़ाज़ नहीं मिलते जो इन माना को बयान करते हैं।
साअदी के इस इक्तिबास में वाकई बहुत दम है। अहमकों को हमेशा पैरुकार मिलते हैं क्योंकि मुतवस्सित हमेशा गर्दिश में रहता है। केवल मुसलमानों को ही नहीं बल्की आम लोगों को बता दें कि एक जन्नत है। लाखों और करोड़ों लोग उसे एक सच्चाई समझ लेंगे और पैरुकार आपके लिए मरने के लिए तैयार होगी। असल में ऐसा हुआ भी है।
1890 के इस पास अमेरिका में एक मज़हबी धोका दही (इसाइयत के मैथ्यू डस्ट फिरके से) हुआ था जिसने कहा था कि जन्नत में अबदी ज़िन्दगी होगी जहां मोमिनीन को खुदा के साथ गोल्फ खेलने का मौक़ा मिलेगा! बहुत से लोग उसके अनुयायी बन गए, कौन खुदा के साथ गोल्फ नहीं खेलना चाहता? जब टीवी पर कुछ मौलवी और मुल्ला कहते हैं कि अल्लाह आपके खाली प्यालों को खुद भर देगा, तो बहुत से लोग इसे सच मानते हैं और शराबी और बदमाश लोग जन्नत को शराब खाना समझते हैं।
ऐसे बद अक्ल लोगों के बेशुमार पैरुकार होते हैंलेकिन आखिरत, बाद की जिंदगी और यहाँ तक कि खुदा की परवाह किये बिना लोगों को एक अच्छा इंसान बनने की शिक्षा देने की कोशिश करें, आप अकेले होंगे क्योंकि अक्सर लोगों के अंदर सूझ बूझ पैदा नहीं होती जिनका दिमाग गोबर से भरा होता है।
याद रखें, इतिहास के अहम घटनाओं को हमेशा लोगों ने सताया है। सच्चाई को हमेशा दफन किया जाता
रहा है। हम उस रास्ते पर चलने की हिम्मत नहीं करते जो सच्चाई की तरफ ले जाता है बल्कि
शिकस्ता रास्ते पर चलते हैं क्योंकि बाद वाला हमेशा आराम दह, महफूज़ होता है। रूमी कहते हैं,
‘नर्गिस ज़िन्दगी में एक बार खिलती
है और जब खिलती है तो अकेली खिलती है। ‘नर्गिस (एक अफसान्वी फूल) की तरह बनों। नर्गिस को मुतलक नायाब
का इस्तियार होने दें। नायाब होना तनहा होना है।
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English Article: Nargis Blossoms Once In a Lifetime and When It
Blooms, It Blooms Alone......Maulana Rumi
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