सुमित पाल, न्यू एज इस्लाम
12 मई 2022
इंसानी मज़हब सभ्यता में अपेक्षकृत एक नया रुझान है जबकि रिवायात
मज़हब से पहले हैं
प्रमुख बिंदु:
1. महिला खतना की जड़ें परंपराओं, क्षेत्रों और संस्कृतियों में
हैं
2. गुजराती भाषी बोहरा आज भी भगशेफ को वर्जित पौधा कहते
हैं
3. कारण जो भी हो, व्यापक संदर्भ में इस्लाम, महिला खतना को बिल्कुल भी स्वीकार
नहीं करता है
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FGM (फीमेल जेंटल म्यूटीलेशन) या FGC (फीमेल जेंटल कटिंग) विभिन्न उद्देश्यों के तहत औरत के विशेष अंग के तमाम बाहरी हिस्से या उसके कुछ हिस्से को काट कर हटाने का कार्य है। यह निंदनीय कार्य अब भी बोहरा, एक शिया उप संप्रदाय (दाउदी बोहरा समाज और दुसरे छोटे उप संप्रदायों सुलेमानी और अल्वी बोहरा सहित) में प्रचलित है। हालांकि इस्लाम और इसके सहीफे, कुरआन और हदीस में कैलिटोरल को कांटने या उसके साथ छेड़ छाड़ को मंज़ूर नहीं करते हैं, साहीयु की 2017 के जांच पड़ताल से पता चला है कि FGC (फीमेल जेंटल कटिंग) दक्षिण भारत में केरला के कुछ हिस्सों में सुन्नी बिरादरियों में भी प्रचलित है। इसमें और अनुसंधान की आवश्यकता है।
मज़हबी होने से अधिक, इस मकरूह अमल की जड़ें रिवायात, क्षेत्रों और सभ्यता में हैं।
मज़हब इंसानी सभ्यता में अपेक्षाकृत एक नया रुझान है जिस में रिवायात मज़हब से पहले हैं।
फ्रांसीसी दार्शनिक और इस्लामिक स्टडीज़ के प्रोफेसर, हनरी कोर्बन (1903- 1978) का कहना है कि फिरके और फिरके से पहले के मामूलात उन संगठित धर्मों में सरायत कर गए जो लगभग 4000 साल पहले वजूद में आए थे। यहाँ तक कि खतना और कलिटोरल कटिंग का अमल भी सामी मज़ाहिब में मज़हब से पहले रस्म के तौर पर और प्रतीक के तौर पर भी शामिल हो गया (पढ़ें, Le Coran and L'Islam, राजर आर्नलडीज) । इस बिना पर कि इब्राहीम का खतना शुदा पैदा हुए थे, इसलिए तीनों इब्राहीमी मज़ाहिब के अनुयायिओं का भी होना चाहिए, यह मज़हबी दृष्टिकोण गलत है। वरना, कोई कैसे समझाएगा कि ईसाईयों ने 9 वीं सदी के बाद (मर्दों के) खतना के अमल को पुरी तरह से क्यों बंद कर दिया? उत्तरी अफ्रीकी और पूर्वी अफ़्रीकी कबीलों और काफिर फिरकों के साथ साथ मिस्र के किब्ती ईसाई भी महिलाओं के खतने करते थे और कलेटोरेस को शारीरिक खराबी के तौर पर देखते थे। अब बात बोहरा मुसलमानों की करते हैं जो अपना नसब 11 वीं सदी में यमन के फातमी खानदान से जोड़ते हैं, उस क्षेत्र में ख़ुफ़िया काफिर और ईसाई फिरके अपनी लड़कियों के बज्र (clitoris के लिए अरबी शब्द) को एक गुनाह की नशोनुमा (अल नमू अल इस्म) समझ कर हटा दिया करते थे।
इसी लिए, गुजराती बोलने वाले बोहरा अब भी clitoris को हराम नी बूटी (गुनाह का गोश्त) कहते हैं। इसलिए, इसे काटना या नुक्सान पहुंचाना आवश्यक है। मज़हबी हुकुके निसवां के दृष्टिकोण से, लोकास और गरीर जैसे एन्थ्रोंपोलोजिस्ट का ख्याल था कि मर्द एक औरत की कई आर्गज़म्ज़ से लुत्फ़ अन्दोज़ होने की सलाहियत से खौफज़दा हो कर उस विशेष अंग को काटने का सहारा लेता है क्योंकि यह (clitoris) पुर्णतः लैंगिक तस्कीन के उद्देश्य से ही मौजूद है जिसमें आसाब का एक घना नेटवर्क है।
वजह कुछ भी हो, इस्लाम, एक विस्तृत दृष्टिकोण में, महिलाओं के खतने को बिलकुल मंज़ूर नहीं करता। असल में, मोहम्मद अब्दुल मुज्दार मह्दून के उर्दू/ फ़ारसी लेख लज्जतुन्निसा में शफनक (clitoris का फ़ारसी) पर एक पूरा बाब है। इसका संस्कृत ‘शशंका’ है। संस्कृत और फ़ारसी के बीच करीबी संबंध और इसकी लज्ज़त देखें। पर्नीला मेरन की’ Female Sexuality in the Early Medieval Islamic World: Gender and Sex in Arabic Literature’ में है कि अरब, जो कि ज़मीन पर सबसे अधिक मर्दाना और लैंगिक ताकत के हामिल लोग हैं, औरत के मटर अर्थात क्लेटोरिस को बहुत अहमियत देते हैं।
इसलिए, मोहब्बत साज़ी में क्लेटोरिस की इतनी अहमियत और उसे बरकरार रखने पर असल इस्लाम की इस कद्र अहमियत के पेशे नज़र, मुसलमान बोहरों के इस प्राचीन रिवाज के खिलाफ आवाज़ क्यों नहीं उठाते? इस नाज़ुक मामले पर सैयदना क्यों खामोश हैं? क्या अब समय नहीं आ गया कि इसे एक सरीह गैर इस्लामी अमल करार देकर पुरे तौर पर इसे रोक दिया जाए? दी डॉन में पाकिस्तान के प्रसिद्ध अंग्रेजी स्तंभकार, अर्दशेर कावास्जी, जो एक बहुत अमीर पारसी थे, उन्होंने एक बार बोहरों में महिला के कह्टने के अमल पर खुल कर लिखा था।
हालांकि बोहरा, अहमदियों की ही तरह, पाकिस्तान में लगभग गैर मुस्लिम ही माने जाते हैं, लेकिन औरतों के जननांग पर इस कुछ निषेध विषय पर एक लेख लिखने के लिए हिम्मत की आवश्यकता थी। पाकिस्तान में बोहरों को बात समझ आ गई। यहाँ भारत में असगर अली इंजीनियर मरहूम ने इस तर्ज़े अमल पर आलोचना की लेकिन उनकी इल्तिजाएँ सबने अन सुनी कर दीं। इस कम्युनिटी को असगर अली इंजीनियर जैसे सुधारक की सख्त आवश्यकता है।
English Article: Why Don't Muslims Openly Condemn Female Genital
Mutilation Or Female Genital Cutting Among Bohras?
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