गुलाम गौस सिद्दीकी, न्यू एज इस्लाम
(भाग-1)
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
खुला का शाब्दिक अर्थ
अरबी शब्दकोष में खुला खा के पेश के साथ और खा के ज़बर के साथ दोनों तरह आया है। इसका अर्थ है नज़अ अर्थात उतारना, अलग करना और निकाल डालना। कुरआन मजीद में एक स्थान पर है “फ़खलअ नअलैक” अर्थात अपने दोनों जूतों को निकाल दे। अरबी में कहा जाता है “ख-ल-अ सौ-बिही अन बदनीही” अर्थात उसने अपने बदन से कपडे उतारे।
खुला नाम रखने की वजह ये है कि कुरआन करीम में मियाँ बीवी को एक दुसरे का लिबास करार दिया गया है, अल्लाह पाक का इरशाद है; “हुन्ना लिबासुल लकुम व अन्तुम लिबासु लहुन्ना” अर्थात वह (औरतें) तुम्हारा लिबास हैं और तुम (मर्द) उनके लिबास हो।
इसका मतलब यह है की मियां बीवी एक दुसरे के लिए ऐसे बंधन में बंध गए हैं की दोनों एक हो गए हैं, वे ऐसे हो गए हैं मानो कि वो दोनों एक दुसरे के लिबास हो गए, उनका जिस्म और रूह आपस में मिल गया है, वो दोनों एक मन, एक तन और एक जान हो गए हैं, उन्होंने एक ऐसा एक दूजे के हमेशा के लिए हो गए हैं, लिहाज़ा वो दोनों रिश्ते के एक लिबास में हो गए हैं, अब इस लिबास को उतारना उनके लिए सिर्फ एक ही सूरत में जायज़ है जब वो दोनों अल्लाह की नाफ़रमानी करने लग जाएँ, एक दुसरे के हुकूक अदा ना कर पायें, तो ऐसी गंभीर सूरत में मिया बीवी के बंधन का लिबास (रिश्ता) उतर गया है यानी खुला हो गया.
खुला के जरिये मियाँ बीवी का एक दुसरे से अलग होना और जुदाई इख्तियार करना लिबास उतार देने की तरह है। इसलिए जब खुला का इस्तेमाल बाबुल इतलाक में हो तो खा को ज़म्मा (पेश) के साथ पढ़ा जाएगा और जब लिबास और जूते उतारने के अर्थ में हो तो वहाँ खा फतहा (ज़बर) के साथ पढ़ा जाएगा।
खुला का इस्तेलाही अर्थ
रिश्ता जौजियत को माल के बदले निकाल देने के अमल को खुला कहा जाता है। खुला में बीवी की तरफ से शौहर को माल दिया जाता है और शौहर इसके बदले तलाक देता है। मसलन: बीवी ने अपने शौहर से कहा कि “मेरा महर ले कर मेरी जान छोड़ दो, इसके जवाब में शौहर ने कहा: कि “मैंने छोड़ दिया” तो खुला हो गया। इसी तरह अगर शौहर ने अपनी बीवी से कहा कि “मैंने तुझ से महर के बदले खुला किया” फिर बीवी ने जवाब में कहा कि “मैंने कुबूल किया” तो यह भी खुला है।
बिनाया किताब के लेखक ने खुला के शरई अर्थ इस तरह बयान किये हैं: عبارۃ عن اخذ مال من المراۃ بازاء ملک النکاح بلفظ الخلع, अर्थात शब्द खुला के जरिये मिलके-निकाह के बदले बीवी से माल लेने का नाम इस्तेलाह शरअ में खुला है (बिनाया 5,191)।
अल्लामा हस्कफी लिखते हैं: هو إزاله ملک النکاح المتوقفه علی قبولها بلفظ الخلع أو في معناه ولا بأس अर्थात शब्द खुला के ज़रिये या इसके हम-माना (यानी इससे मुलते जुलते माना रखने वाले) शब्द से निकाह की मिलकियत को ख़त्म करना जो कि औरत के कुबूल करने पर मौकूफ है। जरूरत के समय खुला करने में हर्ज नहीं। (हस्कफी, अल दुर्रुल मुख्तार, 3: 439)
हिंदिया में है: الخلع إزالة ملک النکاح ببدل بلفظ الخلع، وحكمه: وقوع الطلاق البائن إلخ अर्थात शब्द खुला के साथ किसी माल के बदले मिल्के निकाह को ख़त्म करने को खुला कहा जाता है। इसका हुक्म यह है कि इससे तलाक ए बाईन वाकेअ होगी। (हिंदिया: 1/548)
खुला की बुनियादी शर्त यह है कि मियाँ बीवी दोनों खुला पर इत्तेफाक करें और एक ही मजलिस में खुला के अलफ़ाज़ पाए जाएं। चूँकि खुला किनायात ए तलाक में से है और शब्द किनाया के साथ तलाक ए बाईन वाकेअ होती है, इसलिए खुला का हुक्म यह है कि इसके जरिये तलाक बाईन वाकेअ होगी अर्थात बीवी फ़ौरन निकाह से निकल जाएगी और इस सूरत में शौहर के लिए इस औरत से रुजूअ का इख्तियार बिना तजदीदे निकाह नहीं होगा और जो माल औरत ने या मर्द ने बदले में ज़िक्र किया है उसकी अदायगी औरत पर लाज़िम होगी। यहाँ एक सवाल यह है कि जब शब्द खुला अल्फाज़े किनाया में से है तो इसमें नियत शर्त होनी चाहिए थी हालांकि खुला में तलाक की नियत शर्त नहीं है तो इसका जवाब यह है कि शब्द खुला कुछ मानी का एह्तिमाल रखता है (1) कपड़ों से निकलना (2) भलाइयों से निकलना (3) निकाह से निकलना। पस जब माल अर्थात बदल ए खुला ज़िक्र कर दिया गया तो निकाह से निकलने के अर्थ निर्धारित हो गए इस वजह से नियत की आवश्यकता बाकी नहीं रही।
खुला की मशरुइयत की वजह क्या है?
खुला आम हालात में मकरूह है और केवल उस हालत में जायज़ है जब शौहर और बीवी में से हर एक को यह विश्वास हो कि वह अल्लाह पाक की हुदूद को कायम नहीं रख सकेंगे अर्थात अल्लाह पाक ने जो हुकूक मियाँ बीवी के दरमियाँन तय फरमाया है उनकी खिलाफ्वार्ज़ी करेंगे, दोनों के बीच लड़ाई झगडा और ना इत्तेफाकी हद से बढ़ जाए और बाहमी निबाह और जौजियत का संबंध बाकी रखना दुश्वार हो और शादी का मकसद बाहमी कशीदगी और ना खुशगवारी के सबब फौत हो रहा हो और हुस्ने मुआशरत तल्खी की नज़र हो रहा हो तो ऐसे मोड़ पर इसमें शरअन कोई खराबी नहीं कि खुला कर लिए जाए।
(जारी)
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गुलाम गौस सिद्दीकी न्यू एज इस्लाम के नियमित कालम निगार, उलूमे दीनीया के तालिब और हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के अनुवादक हैं।
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Urdu
Article: What Does Islam Think Of The Expanding Trend Of Khula
by Muslim Women? Part -1 خلع کا بڑھتا چلن مگر دین اسلام کیا کہتا ہے ؟
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