वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस ऑर्गनाइजेशन ने श्रीनगर, कश्मीर में "तसव्वुफ़ और
भाईचारे" के विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय इंटरफेथ सम्मेलन का आयोजन किया।
प्रमुख बिंदु:
1. विश्व शांति के राजदूत सूफी शेख अशरफ आफंदी,
बर्लिन, जर्मनी में वर्ल्ड पीस इंस्टीट्यूट
ऑफ सूफीज्म के संस्थापक और जेरूसलम और हाई सूफी काउंसिल ऑफ जेरूसलम एंड द होली लैंड्स,
इस्तांबुल, तुर्की में राजदूत, अपनी टिप्पणी में जिसे लोकप्रिय
रूप से जाना जाता है सोहबत (सुफियान सलाह) ने घाटी में शांति स्थापित करने की प्रक्रिया
पर जोर देने के लिए सम्मेलन की प्रशंसा की, जिसे वह तसव्वुफ़ का स्वर्ग कहते हैं।
2. शेख अशरफ आफंदी ने कहा कि भारत एक बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहु-धार्मिक
देश है जहां विभिन्न धर्म, भाषाएं और संस्कृतियां शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं।
3. यह SKICC, श्रीनगर, कश्मीर में आयोजित पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन था,
जिसमें घाटी के लगभग
18 देशों के प्रमुख उलमा
और सूफी शेख और सभी धार्मिक परंपराओं - हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म के आध्यात्मिक पेशवा एकत्रित हुए
थे। कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व उनके सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी
किया।
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न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
जनवरी 9, 2023
Kashmir
hosts first ever International Conference on Sufism (Photo/ ANI)
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वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस, कश्मीर के प्रमुख युवा-आधारित संगठन, ने "तसव्वुफ़ और भाईचारे" पर पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। जिसमें देश भर से जाने-माने सूफी शेख और जर्मनी, स्विट्जरलैंड, तुर्की, फ्रांस, तंजानिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों के आध्यात्मिक पेशवाओं ने भी भाग लिया।
घाटी में शांति प्रक्रिया में सक्रिय एनजीओ वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस द्वारा आयोजित सम्मेलन में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख और उनके आध्यात्मिक पेशवा और सभी भारतीय धर्मों के प्रमुख धार्मिक पेशवा उपस्थित थे। विशेषज्ञों और धार्मिक संगठनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इस सम्मेलन का आयोजन न केवल कश्मीरी लोगों बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था। सम्मेलन ने अपनी सामंजस्यपूर्ण परंपराओं के लिए जाने जाने वाले भारतीय सूफियों के आध्यात्मिक संदेश के माध्यम से कश्मीरवाद, ऋषि तसव्वुफ़ और भारतीय संस्कृति को विश्व समुदाय के साथ जोड़ने की मांग की। इस सम्मेलन में जर्मनी, तुर्की, फ्रांस, तंजानिया, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल सहित नौ से अधिक देशों के उलमा से लेकर शिक्षाविदों, न्यायविदों, नीति निर्माताओं, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों और प्रगतिशील इस्लामी उलमा तक सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हुए।
सम्मेलन ने कश्मीर में तसव्वुफ़ के पुनरुद्धार पर बहुत जोर दिया क्योंकि घाटी में शांति बहाल करने की दिशा में यही एकमात्र रास्ता है। कश्मीर दशकों से संघर्ष और हिंसा का अड्डा रहा है। चरमपंथियों और कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने विभिन्न समुदायों के साथ सह-अस्तित्व, सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की बुनियादी और सदियों पुरानी परंपरा को नष्ट करने की पूरी कोशिश की है, जिसके लिए कश्मीर ऐतिहासिक रूप से जाना जाता है।
वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शहरयार डार ने कहा, "यह हमारे बहुलवादी दर्शन और सामंजस्यपूर्ण परंपरा का एक बड़ा प्रदर्शन था, और हम कश्मीर में अपनी तरह का यह पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहे हैं।" उन्होंने अपने स्वागत भाषण में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सभी अतिथियों को अपना बहुमूल्य समय देने और सम्मेलन में भाग लेने के लिए धन्यवाद दिया।
मालदीव गणराज्य के इस्लामिक विश्वविद्यालय के उप कुलपति ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे दुनिया को संदेश जाएगा कि आधुनिक दुनिया में बड़े पैमाने पर मानवता के लिए आपसी सम्मान आवश्यक है, जिसके बिना लोग सद्भाव और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में नहीं रह सकते।
बांग्लादेश गणराज्य के एक सूफी नेता श्री सैयद तैयब अल-बशर ने अपने भाषण में कहा कि आज मानवता को बचाना अधिक महत्वपूर्ण है और यह संदेश आने वाली पीढ़ियों को दिया जाना चाहिए। इन शिक्षाओं का पालन करके आज के जादुई युग की समस्याओं और दुखों का समाधान खोजा जा सकता है। तसव्वुफ़ का संदेश शांति, सुरक्षा, प्रेम, सहिष्णुता और सेवा है।
नेपाल के ग्रैंड मुफ्ती, मुफ्ती मुहम्मद उस्मान सूफी ने कहा, "स्वार्थी शैतानी ताकतें अपनी स्वार्थी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विभाजन और सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए उग्रवाद को बढ़ावा देती हैं।" लेकिन क्चुनकी अंतरधार्मिक मुकालमे अंतरधार्मिक रवाबित कायम करते हैं और विभिन्न धर्मों के लोगों को अपने मान्यताओं को साझा करने, गलतफहमियों को दूर करने और अंतर-धार्मिक समझ को बढ़ावा देने के लिए एक फोरम प्रदान करते हैं, जिससे धार्मिक समुदायों के बीच संघर्षों को दूर किया जा सके।“
दार उस सलाम, तंजानिया के ग्रैंड मुफ्ती, श्री शेख अल-अहद मूसा सलीम के अनुसार, तसव्वुफ़ भविष्य की शांति, सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का एकमात्र मार्ग है। आज की विभाजनकारी ताकतें विभिन्न समुदायों को विभाजित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन हमें एक-दूसरे के करीब आने और सद्भाव, शांति और प्रेम के संदेश को फैलाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
अपने भाषण में, जम्मू और कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती, मुफ्ती नसीरुल इस्लाम ने सम्मेलन के लिए कश्मीर आने के लिए दुनिया भर के सभी विशिष्ट अतिथियों को धन्यवाद दिया और वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि सभी समुदायों के धार्मिक विश्वासों के लिए अंतर-सांस्कृतिक समझ और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है।
कारवां इस्लामी इंटरनेशनल के प्रमुख मौलाना गुलाम रसूल हामी ने कहा कि भारत में सभी धर्मों के सूफियों का जन्म हुआ है, जिनमें ऋषि, सूफी और बौद्ध, जैन और सिख धर्म के संत शामिल हैं। वास्तव में अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का मूल सिद्धांत है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे आपसी समझ के साथ-साथ धैर्य, सहिष्णुता और भाईचारा और एक-दूसरे के लिए प्यार विकसित करें।
इस भव्य आयोजन के मुख्य अतिथि विश्व शांति के राजदूत सूफी शेख अशरफ आफंदी, बर्लिन, जर्मनी में तसव्वुफ़ के विश्व शांति संस्थान के संस्थापक और येरुशलम और पवित्र भूमि, इस्तांबुल, तुर्की के राजदूत हैं। उन्होंने अपने टिप्पणियों में जो सोहबत (सूफियाना नसीहत) के नाम से प्रसिद्ध हैं, घाटी में शांति स्थापित करने की प्रक्रिया पर जोर देने के लिए सम्मेलन की प्रशंसा की, जिसे उन्होंने तसव्वुफ़ का स्वर्ग कहते हैं।
शेख अशरफ आफंदी ने कहा कि भारत एक बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहु-धार्मिक देश है जहां विभिन्न धर्म, भाषाएं और संस्कृतियां शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। "भारत एक ऐसी भूमि है जो सभी को स्वीकार करती है और गले लगाती है। कट्टरता से बचने के लिए, जो भ्रम पैदा करता है, अंतर्धार्मिक संवाद आवश्यक है। हालांकि, अंतर्धार्मिक संवाद सभी धर्मों के विश्वासियों को संवाद करने की अनुमति देता है। किसी भी भ्रम को हल करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, अंतर्धार्मिक समझ को बढ़ावा देता है और नए संबंध बनाने के लिए फॉर्म पेश करता है। उन्होंने विभिन्न धर्मों से संबंध रखने वाले लोगों को शाति स्थापित करने में सहायता करने साम्प्र्दायिक सह अस्तित्व, और भाईचारा पैदा करने कि तरगीब दी ताकि दुनिया को एक बेहतर जगह बनाया जा सके।
जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस के अध्यक्ष फारूक गांदरबली ने सम्मेलन में भाग लेने वाले मुख्य अतिथि शेख अशरफ आफंदी और अन्य सभी अंतरराष्ट्रीय अतिथियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि हम शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व की स्थापना के लिए, जो ऋषि तसव्वुफ़ का मूल सिद्धांत है, एक वैश्विक परिवार के रूप में कार्य करने का संकल्प उठाना चाहते हाँ।
भारत अब G20 का अध्यक्ष है और यह देश वसुधैव कुटुम्बकम को मानता है। एक महान देश के नागरिक के रूप में, समुदायों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में निहित राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देना हमारा कर्तव्य है। वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस संगठन कश्मीर की भूमि में सह-अस्तित्व, सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारा, शांति और प्रेम की प्राचीन परंपरा को बहाल करने के लिए कश्मीर में तसव्वुफ़ और उसकी शिक्षाओं को पुनर्जीवित करना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि सांप्रदायिक ताकतों ने लगातार लोगों को धर्म के आधार पर बांटने के अपने नापाक एजेंडे को जारी रखने की कोशिश की है, जिसने कश्मीर में दशकों से आतंकवाद, रक्तपात और हिंसा का मार्ग प्रशस्त किया है।
इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम करने वाले चरमपंथियों के कट्टरपंथी आख्यानों का मुकाबला करने के लिए, सम्मेलन ने संयुक्त रूप से घोषणा की कि सूफी साहित्य और प्रथाओं को वॉइस फॉर पीस एंड जस्टिस की सिफारिशों और प्रस्तावों के अनुसार स्कूलों और मदरसों में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने सूफी साहित्य, सूफी संस्कृति और सूफी संगीत को बढ़ावा देने के लिए जम्मू-कश्मीर में सूफी केंद्र स्थापित करने की भी बात की।
भारत और दुनिया भर में शांति, सद्भाव और एकता के लिए प्रार्थना के साथ सम्मेलन का समापन हुआ। सभी प्रतिनिधिमंडलों ने भी दुआ ए रौशनी की तकरीब में भाग लिया।
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English Article: The First-Ever International Inter-religious
Conference on "Sufism and Brotherhood" at Srinagar, Kashmir Goes Down
Well in History of the Valley!
URL:
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