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Hindi Section ( 13 May 2021, NewAgeIslam.Com)

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Indian Muftis and the Subject of Eid Prayer during Lockdown भारत के मुफ़्ती हज़रात और लॉक डाउन में ईद की नमाज़ का मसला

न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर

उर्दू से अनुवाद, न्यू एज इस्लाम

१३ मई २०२१

लॉक डाउन में ईद की नमाज़ के संबंध में भारत के प्रसिद्ध मुफ्तियों की अक्सरियत ने लगभग एक जैसी बात कही है कि जितने लोगों को मस्जिद में ईद की नमाज़ अदा करने की इजाज़त है, उतने लोग अपनी अपनी जामा मस्जिद और ईदगाह में जमात के साथ ईद की नमाज़ अदा करें और बकिया लोग अपने अपने घरों पर नमाज़े चाश्त अदा करें

मुफ़्ती निजामुद्दीन रिज़वी साहब ने पिछले साल जामिया अशरफिया मुबारकपुर से एक एलान जारी किया था जो इस साल भी नाफिजुल अमल (लागू किये जाने योग्य) है। वह एलान निम्नलिखित पांच पैराग्राफ पर आधारित है:

१- जमा मस्जिद और ईदगाह के जिम्मेदारों से गुजारिश है कि वह अपने अपने यहाँ नमाज़े ईद के वक्त का एलान अच्छी रह करें ताकि सब लोगों को नमाज़े ईद का वक्त मालुम हो जाए।

२- ईद के दिन निश्चित समय पर पांच पांच लोग अपनी अपनी जामा मस्जिद या ईदगाह में मारुफ़ तरीके के मुताबिक़ ईद की नमाज़ अदा कर के इस्लाम के शेआरे को कायम करें। चूँकि जितने लोगों को इजाज़त है वह सब ईदगाह में मौजूद होंगे। उनके सिवा किसी को भी आने की बिलकुल इजाजत नहीं, इसलिए जहां नुक्सान का खतरा हो वहाँ अंदर से दरवाज़ा बंद कर सकते हैं, नमाज़े ईद सहीह और शिआर कायम हो जाएगा।

३- हुकूमत की मनाही और जरर की वजह से बाकी लोगों पर नमाज़े ईद वाजिब नहीं। इसलिए नमाज़ की जमात में शरीक ना होने के कारण गुनहगार ना होंगे, बल्कि उन्हें जमाते ईद में हाजरी का सवाब मिलेगा, क्योंकि वह हुकूमत की तरफ से ममनूअ व माज़ूर (मजबूर) हैं।

४- हर शहर और हर इलाके के मुसलमान अपने यहाँ नमाज़े ईद हो जाने के बाद अपने अपने घरों में चार रिकात शुकराने की नमाज़, नफ्ल की नियत से पढ़ लें, यह नमाज़ असल में चाश्त की नमाज़ है जिसकी हदीसों में बहुत फज़ीलत आई है। यह नमाज़ अल्लाह पाक को तनहा तनहा महबूब है। घर में दो तीन आदमी की जमात भी कर सकते हैं। सलाम के बाद ३४ बार अल्लाहु अकबर पढ़ें, यह तस्बीह फातमी का एक अहम् टुकड़ा है, आपने ऐसा कर लिया तो सवाब बालाए सवाब मिलेगा।

५- यह नमाज़ एक सलाम से पढ़ें, किरात सिर्री हो, पस्त आवाज़ से, चारों रिकात में सुरह भी पढ़ें, इसके बाद खुतबा नहीं है। हाँ घर में कोई नात पढने वाला हो तो नात सुनें, बच्चों को सालेहीन के वाकियात सुनाएं और नसीहत करें। गम व अफ़सोस से दूर रहें, सबको खुश रखें, मुबारकबाद दें और अगर कोई मुबारक बाद दे तो जज़ाकल्लाह कहें। साफ़ सुथरे पुराने कपड़े पहनना भी काफी है। मोहताजों की हाजत रवाई ज्यादा से ज़्यादा करें। सड़कों’ चौराहों और गलियों में भीड़ लगाने से बचें, दरूद शरीफ अधिक से अधिक पढ़ते रहें। (कथन अंत)

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क्या ईद की नमाज़ ईदगाह और मस्जिद के अलावा कुछ लोग मिल कर घर में अदा कर सकते हैं? इदारा शरीया पटना के मुफ्ती हसन रज़ा नूरी ९ मई २०२१ को जारी करदा एक पम्फलेट में इस सवाल का जवाब देते हुए लिखते हैं: ईद की नमाज़ ईदगाह और मस्जिद के अलावा कुछ लोग मिल कर घर में अदा नहीं कर सकते हैं।

इसी तरह लॉक डाउन में ईद की नमाज़ के ताल्लुक से वह लिखते हैं: जुमे की नमाज़ का बदल जुहर है और इदैन की नमाज़ का कोई बदल नहीं। मौजूदा स्थिति में लॉक डाउन की वजह से जुमे की नामज़ कुछ लोग मस्जिद में अदा करते हैं बकिया लोग अपने अपने घरों में जुहर की नमाज़ तनहा तनहा पढ़ते हैं। ईद में भी वही तरीका इख्तियार करें कि जितने लोगों को नमाज़ पढ़ने की इजाज़त है वह ईद की नमाज़ पढ़ें, बकिया हजरात माज़ूर हैं उन पर ईद की नमाज़ वाजिब नहीं, वह लोग अपने अपने घरों में चाश्त की नमाज़ अदा करें। चाश्त की नमाज़ का समय सूरज निकलने के बीस मिनट बाद से शुरू होता है इससे पहले ईद की नमाज़ अदा नहीं की जा सकती और यही वक्त चाश्त की नमाज़ का भी है।

दारुल उलूम देवबंद से भी पिछले साल ईद की नमाज़ के ताल्लुक से एक तहरीरी एलान सामने आया था, जिसका एक पैरा निम्नलिखित है:

जिन लोगों के नमाज़े ईद की कोई सूरत ना बन सके, उज्र व माज़ुरी की वजह से उनसे ईद की नमाज़ माफ़ होगी। इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। अलबत्ता यह हज़रात अगर अपने अपने घरों में व्यक्तिगत तौर पर दो या चार रिकात चाश्त की नमाज़ पढ़ लें तो बेहतर है, क्योंकि जिन्हें ईद की नमाज़ ना मिल सके तो उनके लिए फुकहा ने दो या चार रिकात चाश्त की नमाज़ को मुस्तहब करार दिया है।

URL: https://www.newageislam.com/hindi-section/indian-muftis-eid-prayer-during-lockdown/d/124825

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