शकील शम्सी
१६ दिसंबर २०२०
चार दिन पहले नाइजीरिया के कस्तीना जिले के गवर्नमेंट साइंस सेकेंडरी स्कूल के
५२०/ छात्र स्कूल पर बोको हराम के हमले के बाद गायब हो गए थे, पहले समझा जा रहा था
कि छात्र बोको हराम के खौफ से पास के जंगलों में छिप गए हैं मगर अब बोको हराम ने
खुद इस बात का दावाकिया है कि छात्र उसके कब्ज़े में हैं। बोको हराम के कब्ज़े से
फरार होने में कामयाब होने वाले छात्रों ने बताया कि अब ३३३ / छात्र बोको हराम के
कब्ज़े में हैं। याद रहे कि इससे पहले २०१४ में चिबुक शहर के एक गर्ल्स स्कूल पर
हमला कर के बोको हराम के दहशतगर्दों ने २७६/ लड़कियों को अगवा कर लिया था।उनमें से
कुछ भागने में कामयाब हुईं तो उनके मां बाप को पता चला कि बोको हराम के सदस्यों ने
उनका लैंगिक शोषण किया था जिसकी वजह से वह हामला हो गई थीं। छः साल गुज़र जाने के
बाद भीअधिकतर लड़कियों को नाइजीरिया की ना अहल हुकूमत ढूंढ नहीं पाई है। वाज़ेह हो
कि नाइजीरिया की कुल आबादी लगभग २०/ करोड़ है, इसमें ५२/ प्रतिशत मुसलमान और ४६/
प्रतिशत ईसाई हैं। नाइजीरियाई मुसलमानों की अक्सरियत मालकी और शाफई फिकह की पैरवी
करने वालों पर आधारित है। मगर १८/ बरस पहले वहाँ अचानक तकफीरी गिरोह पैदा हो गया
और उस्ताज़ मोहम्मद यूसुफ नाम के एक सख्त गीरमुल्लाने “جماعۃاہلالسنۃللدعوةوالجہاد”
के नाम से एक नया फिरका बनाया और नाइजीरिया के सभी मुसलमानों को काफिर कहना शुरू
कर दिया। इस तकफीरी फिरके ने ही सबसे पहले “बोको हराम” का नारा दिया उसने
नाइजीरिया के मुसलमानों से कहा कि पश्चिमी शिक्षा, पश्चिमी जीवन शैली, पश्चिमके
जैसा समाज और पश्चिम के जैसा लिबास पहनना हराम है।उसकी ख़ास दुश्मनी स्कूलों से ही
रही क्योंकि नाइजीरिया के मुस्लिम बहुल इलाकों में भी अंग्रेजी में शिक्षा देने
वाले स्कूलों की संख्या बहुत है। यह गिरोह लड़कियों को स्कूल भेजने के खिलाफ है।
मगर इस गिरोह की मुनाफिकत का यह आलम है कि इसके सदस्य पश्चिमी देशों में बनी
गाड़ियों में सवारी करने, पश्चिम वालों के अविष्कार किये हुए हथियारों से कत्ल व
गारत गरी करने, पश्चिमी देशों की फैक्ट्रियों में बने लिबास और जुते पहनने को बोको
हराम के नारे से अलग समझते हैं, अर्थात जब खून बहाना हो तो बोको हराम का नारा याद
नहीं रहता। सबसे अफ़सोस की बात यह है कि मुनाफिकों और मुफ्सिदों की इस जमात पर
नाइजीरियाई सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है। २००९ ई० में उस्ताज़ मोहम्मद यूसुफ नाम
के सरबराह के वासिले जहन्नम होने के बाद से गिरोह की कार्रवाहियों में बहुत शिद्दत
आ गई। ज़रा सोचिये कि उन मां बाप पर क्या गुजरी होगी जिनकी बच्चियों को उठा कर ले
गए यह दरिन्दे और जिन का पता आज तक ना चल सका कि वह कहाँ हैं। ३३३/बच्चों को
बन्दुक की नोक पर अगवा किये गए मां बाप के दिलों पर उस समय क्या गुजरी होगी इसका
अंदाजा लगाना भी मुश्किल है और उन सब की खताक्या है? केवल यही कि यह लोग अपने अपने
बच्चों को साइंस की शिक्षा देना चाहते थे? वह साइंस जिसमें पीछे होने की वजह से ही
आज मुसलमानों पर दुनिया तंग हो गई है। २००९ ई० के बाद से बोको हराम की कमान अबू
बकर शेखाव नाम के एक शकी उल कल्ब दरिन्दे के हाथ में है और अब अबू मुसअब अल
बर्नावी नाम का एक खूख्वार भेड़िया इस संगठन का नायब सरबराह बन गया है। हमें तो
पूरा यकीन है कि बोको हराम के जैसे ज़ालिम, बे रहम, सफ्फाक और बरबरियत पसंद लोगों
को इस्लाम दुश्मन ताकतों ने इस्लाम की शबीह को खराब करने का ठेका दिया है। इस
मानसिकता का अंदाजा आप अबू बकर शैखाव के एक जवाब से लगा सकते हैं, जो उसने गर्ल्स
स्कूल की लड़कियों को अगवा करके उनको बेचने की गैर इंसानी और गैर इस्लामीहरकतकेबारेमेंदियाथा
“यहलडकियांअल्लाहकीमिलकियतथीं, मुझेअल्लाहनेहुक्मदियाऔर मैं ने अल्लाह की मिलकियत
उन लड़कियों को बेच दिया। “उसके इस जवाब से भी लगता है कि वह खुद को पैगम्बर या नबी
भी समझता है क्योंकि अल्लाह का हुक्म तो उन ही के पास आता है। आपको यहजान कर बहुत
अफ़सोस होगा कि बोको हराम ने अब तक ३६/ हज़ार मुसलमानों को
कत्ल किया है, बोको हराम के हमलों से बचने के लिए अब तक २०/ लाख मुसलमान सुरक्षित
स्थानों पर पनाह लेने पर मजबूर हो चुके हैं। हर चंद कि नाइजीरिया और आस पास के
देशों ने बोको हराम के खिलाफ एक साझा फौजी मुहिम भी चला रखी है और इससे बोको हराम
का झड़प होता रहता है, मगर असल मामला यह है कि बोको हराम और उसके जैसे नज़रियात रखने
वाले दुसरे बद बख्त गिरोह जब तक बाकी रहें गे इस्लाम के उसूलों, हुजुर सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम की सुन्नत और कुरआन पाक की शिक्षा का यह लोग यूँही मज़ाक उड़ाते रहेंगे।
मुसलमानों की यह कैसी बेबसी है कि एक तरफ तो मुशरिकीन हुजुर सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम और इस्लाम की तौहीन कर रहे हैं और दूसरी ओर कुछ दाढ़ी टोपी वाले इस्लाम
दुश्मन तत्व इहानत रसूल, इस्लामकी तौहीन और कुरआन को झुटलाने में लगे हैं और
मुसलामानों का ही खून बहा रहे हैं और इस्लाम को ही बदनाम कर रहे हैं।
१६ दिसंबर २०२०: इंकलाब, नई दिल्ली
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