न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
21 जून 2022
पिछले तीन हफ़्तों से देश में रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और इस्लाम की तौहीन के खिलाफ देश भर में मुसलमान सरापा एहतिजाज बने हुए हैं। वह गुस्ताखे रसूल नुपुर शर्मा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का मुतालबा कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने अभी तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। अरब देशों के विरोध के बाद बीजेपी ने उसे पड़ से सस्पेंड कर दिया है और पार्टी के एक और लीडर नवीन जिंदल को भी पार्टी की शुरूआती सदस्यता से वंचित कर दिया है।
मुसलमानों का मौकफ़ यह है कि उन दोनों लीडरों के खिलाफ पार्टी ने डिसिप्लीन तोड़ने पर कार्रवाई की है जबकि उसने एक ऐसा अमल किया है जो भारत के कानून की नज़र में सज़ा के काबिल अपराध है। इन दोनों के बयान से देश के एक धार्मिक वर्ग के जज्बार आहत हुए हैं और इसकी वजह से दो फिरकों के बीच नफरत का माहौल बना है। इसलिए इन दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
जब सरकार ने उनका मुतालबा नहीं माना तो मुसलमानों ने सड़कों पर निकल कर विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया। कानपुर, दिल्ली, प्रयागराज, कलकत्ता हावड़ा, रांची और दुसरे सैंकड़ों जगहों पर मुसलमानों ने शांतिपूर्वक विरोध किया। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थर भी फेंके जो ज़्यादा तर प्रदर्शनों में होता है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की उन्हें गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ पुलिस के जरिये हिंसा के वीडियो भी वायरल हुए। रांची में एक कमसिन लड़के की गोलीई लगने से मौत हो गई। सैंकड़ों मुसलमान देश भर में हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किये गए हैं। प्रयागराज में एक आरोपी का घर भी बुलडोज़ कर दिया गया हालांकि प्रशासन कह रही है कि इमारत का ढाना रुटीन कार्रवाई है। इसका विरोध प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है।
अब तक के विरोध प्रदर्शन से मुसलामानों का जो मकसद था वह पूरा होता नज़र नहीं आ रहा है मगर इससे मुसलमानों का बहुत बड़ा नुक्सान हो चुका है और अगर यह विरोध इसी नेहज पर चलता रहा तो एक ही पैटर्न पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। उनके खिलाफ मुक़दमे दर्ज होंगे, नौजवान लड़कों की शिक्षा प्रभावित होगी उनका कैरियर तबाह होगा और अगर उनके मकान के कागज़ात में किसी किस्म की कमी पाई गई तो उनका मकान भी ज़द में आएगा।
बीजेपी ने नूपुर शर्मा के खिलाफ जो कार्रवाई की वह अरब और दुसरे इस्लामी देशों के विरोध और वहाँ भारतीय सामानों के बाईकाट की वजह से की क्योंकि अरब देशों के गुस्से से आर्थिक नुक्सान होता जिसका आरोप देश की अपोजीशन बीजेपी पर धरती। लेकिन मुसलमानों को यह खुश फहमी हुई कि सरकार उनके विरोध से दबाव में आकर नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ कार्रवाई करेगी। उन्हें इस हकीकत का इदराक नहीं था कि भारतीय मुसलमान अब तक किसी विवाद में अपनी बात सरकार से मनवा नहीं सके हैं चाहे वह बाबरी मस्जिद विवाद हो तीन तलाक मामला हो या लड़कियों की शादी की उम्र का मामला। भारतीय मुसलमानों के बारे में मुज़फ्फर हनफी ने फरमाया था।
हम करोड़ों में हैं मगर बेकार
हमको हर हाल में चुप रहना है
सरकार की नज़र में मुसलमानों की कोई अहमियत नहीं रह गई है। उनके वोटों की तकत का मिथ भी ख़त्म हो चुका है। अब तो कुछ चुनावी हलकों में बीजेपी के उमीदवार खुद कह देते हैं कि हमें मुसलमानों का वोट नं चाहिए। ऐसी सूरत में जब देश की ग़ालिब अक्सरियत वाली पार्टी को मल्मानो के वोटों की जरूरत ही नहीं र गई है तो वह मुसलमानों के दुःख दर्द की फ़िक्र ही क्यों करेगी। यही वजह है कि रसूल के अपमान मामले में इस सरकार ने मुसलमानों के विरोध का कोई नोटिस नहीं लिया। उल्टा विरोध के बाद मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया और उन पर अनेक धाराएं लगाए गए। मीडिया ने उन्हें दंगाई दहशतगर्द आदि साबित करने की कोशिश की।
तो क फिर मुसलमान रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तौहीन पर खामोश बैठे रहें? एक लोकतांत्रिक प्रणाली या समाज में हर व्यक्ति को विरोध करने का हक़ है और मुसलमानों को भी है। लेकिन विरोध ऐसा हो क अपना और अपनी कौम का कोई नुक्सान न हो। कुरआन किसी मामले में हद से आगे बढ़ जाने को पसंद नहीं करता। और जब हद से बढ़ जाने पर खुद अपना ही नुक्सान होने का अंदेशा हो तो फिर एहतियात लाज़मी है।
आज का राजनीतिक और सरकारी निज़ाम बहुत पेचीदा है। किसी भी शांतिपूर्ण विरोध को भीड़ में छिपे हुए अफराद किसी के इशारे पर हिंसक बना सकते हैं। किसान तहरीक या शाहीन बाग़ में ऐसे तत्व पकडे भी गए और बेनकाब हुए।
इसलिए एक ऐसे समय में जब सरकार और इंतेजामिया का तास्सुब अक्सर मौकों पर ज़ाहिर हो जाता है मुसलामानों को ज़्यादा एहतियात से काम लेना चाहिए। इसके लिए मुसलमानों को विरोध के ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए जो उनके लिए महफूज़ हो और सरकार तक अपने मौकफ़ की तरसील के लिए काफी हो।
कुरआन ने भी ऐसे मामलों में सब्र व तहम्मुल की तलकीन की है बल्कि सब्र व तहम्मुल के मुजाहेरे को हिम्मत और बहादुरी का काम बताया है। कुरआन की सुरह आले इमरान की आयत नंबर 186 का अनुवाद देखें।
“और अलबत्ता सुनो गे तुम अगली किताब वालों से और मुशरिकों से बदगोई बहुत और अगर तुम सब्र करो और परहेज़गारी तो यह हिम्मत के काम हैं।“
खुदा ने 1400 साल पहले ही मुसलमानों को बदगोई पर सब्र की तलकीन कर दी थी। अरब देश इस पोजीशन में थे कि वह अपनी बात मनवा सकते थे। मुसलमान इस पोजीशन में नहीं हैं कि वह अपनी ताकत के बल पर या राजनीतिक या आर्थिक दबाव पर अपनी बात मनवा सकें। उबके पास न राजनीतिक शक्ति है और आर्थिक शक्ति। केवल शोला बयानी है और केवल शोला बयानी से हर जगह काम नहीं चलता। मुसलमान नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी का मुतालबा कर रहे हैं मगर गिरफ्तार उनके युवा हो रहे हैं। वह नूपुर शर्मा पर मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे हैं मगर मुकदमे उनके नौजवानों पर दर्ज हो रहे हैं तो जब उनके विरोध से न केवल यह कि उनका मकसद पूरा नहीं हो रहा है बल्कि उल्टा नुक्सान हो रहा है तो उन्हें बैठ कर गंभीरता से अपनी हिकमत अमली नए सिरे से वजा करनी चाहिए।
अल्लाह ने मुसलमानों से इस बात का मुतालबा नहीं किया जो उनके बस में न हो। लेकिन वह करना चाहते हैं जो उनके बस में नहीं नतीजे में नुक्सान उठा रहे हैं।
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