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Hindi Section ( 4 Dec 2014, NewAgeIslam.Com)

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Is Zakir Naik also Trading the Religion क्या जाकिर नायक भी धर्म का कारोबार कर रहे है?


सिकंदर हयात

23, नवम्बर 2014

करीब पन्दरह साल पहले की बात हे , जब मुंबई में पत्रकारों के संघठन बॉम्बे यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट ( बीयूजे ) से तमाम भाषाओ के पत्रकार जुड़े हुए थे .कम्युनिस्टों के प्रभाव वाले इस संग़ठन की और से उसके सदस्यों को एक आमत्रण पत्र मिला की ( बीयूजे ) किसी इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ( आई आर ऍफ़ ) के सहयोग से सर्वधर्म समभाव सम्मलेन करने जा रहा हे , जिसमे सारे धर्मो के प्रतिनिधि भाग लेंगे . मुझे जब यह आमंत्रण मिला तो मेने सोचा बीयूजे को सर्वधर्म संभव सम्मेलन की जरुरत क्यों आ पड़ी ? बहरहाल , उस कार्यकर्म में सचमुच सारे धर्म के धर्मगुरुओ ने शिरकत की थी . मुसलमानो की और से जिस युवक ने प्रतिनिधित्व किया था उसे देख कर मेरा चौकना स्वभाविक था . यह हमारे एक खास परिचित मनोवैज्ञानिक चिकत्सक का बेटा था जिसने हाल ही में एमबीबीएस किया था और उसकी प्रेक्टिस अच्छी नहीं चल रही थी . बीयूजे के छोटे से हॉल में ऑडियो और वीडियोग्राफी के सारे भारी भरकम साज़ो सामान मौजूद थे .

मुझे ये देख कर हैरत हुई की सदस्यों के चंदे पर चलने वाला हमारा संघठन के सदस्यों के पास इतना पैसा कहा से आ गया . सम्मलेन में हिन्दू सिख ईसाई बोध पारसी धर्मगुरुओ ने अपने धर्मग्रंथो के हवाले से बताया था की उनका धर्म मानवता का सन्देश देता हे और सारे धर्मो का बुनियादी सन्देश यही हे . उन सबके के आखिर में हमारे परिचित के नाकाम चिक्तिसक पुत्र ने भाषण दिया जिसमे उसने यह बताया की एकेश्वरवादी इस्लाम ही पृथ्वी का सच्चा धर्म हे , क्योकि बाकी सारे धर्मो में समय समय पर परिवर्तन होते रहे हे , लेकिन 1400 वर्षो में कुरान का एक भी शब्द नहीं बदला गया हे . में नहीं सारे लोग समझ नहीं पा रहे थे की यह कैसा सर्वधर्म समभाव सम्मलेन हे , जिसमे तमाम दूसरे धर्मो को झुठलाया जा रहा हे दूसरे रोज़ मेने बीयूजे अध्यक्ष को फोन करके पूछा की यूनियन ने धर्मप्रचार में कब से दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी , तो उन्होंने बताया की ये कार्यकर्म बीयूजे का नहीं था , और न हीं बीयूजे वीडियो आडियो की रिकॉर्डिंग का प्रबंध किया था . उनके अनुसार आईआरऍफ़ ने बीयूजे का हाल किराय पर लिया था और निमंत्रण के लिए यूनियन के सदस्यों की सोची मांगी गयी थी जो उन्हें दे दी गयी थी । कुछ दिन बाद कथित सर्वधर्मसम्भाव सम्मलेन मुंबई के निजी चैनेलो पर दिखाय जाने लगा था और अब भी कभी कभार यह कार्यकर्म दिखाया जाता हे इस प्रकार आज के अमीर डॉक्टर जाकिर नाइक के इस्लामिक विद्वान बंनने की प्रकिर्या शुरू हुई थी

जाकिर नायक ने अगर डॉक्टरी पेशे के बजाय इस्लाम के प्रचार प्रसार को अपने लिए सबसे मुफीद वयवसाय बना लिया हे तो इसमें हर्ज़ ही क्या हे ? अगर एक साइकिल का पंचर लगाने वाला आसाराम बापू बन कर चौड़े में खेल सकता हे तो जाकिर फिर भी डॉक्टर रह चुके हे वह भी कोई झोलाछाप नहीं एम बीबीएस . जाकिर ने बीयूजे जैसे संघटन का इस्तेमाल करके आम मुसलमानो में अपनी धोंस ज़माने की चालाकी , इससे क्या फर्क पड़ता हे . लेकिन जब जाकिर नायक जैसे लोग सम्प्रदायों और समाज में विघटन और देष का कारण बनने लगे तो उनके व्यक्तव्यों , भाषणो और प्रवचनों के पीछे छुपे मकसद को जानना क्या अनिवार्य नहीं हे ? जाकिर नायक ने अपने धार्मिक कैरियर की शुरुआत दूसरे धर्मो को इस्लाम के मुकाबिल तुच्छ साबित करने से की थी इसके लिए अन्य धर्मो के कुछ सभ्य किस्म के सीधे साधे धर्माचर्यो को अपने कार्यकर्मो में बुलाते थे और उनके धर्मो की त्रुटिया बताकर इस्लाम की महानता को सिद्ध करने की कोशिश करते थे . आम मुस्लमान दूसरे धर्माचार्यो को लाजवाब होता हुआ देख कर जाकिर नायक से बहुत प्रभावित होते थे

जब उनके प्रशंसकों की संख्या बढ़ने लगी तो वे अपने भव्य कार्यकर्मो में धर्मपरिवर्तन भी कराने लगे . यह सिलसिला कुछ आगे यो बढ़ा की उन्होंने अपने ही धर्म के दूसरे सम्प्रदायों को गलत ठहरना शुरू कर दिया और इंतिहा तब हो गयी जब उन्होंने हज़रत मोहम्मद के नवासे हुसैन के हत्यारे यज़ीद को उचित ठहराते हुए उसे खुदा का प्रिय बंदा कह डाला . इमाम हुसेन का इस्लाम और उर्दू साहित्य में वही मुकाम हे जो हिन्दू मत में राम का हे . और यज़ीद के प्रति वही घृणा हे जो रावण के लिए हे . पुरे विश्व के शिया और सुन्नी की यही आस्था हे जो केवल सऊदी अरब दुआरा प्रचारित इस्लाम को माने वाले ( जो की वहाबी कहलाते हे ) वही यज़ीद के प्रशंसक और इमाम हुसैन के आलोचक हे . शायद यहाँ यह बताना गैर जरुरी नहीं होगा की पुरे विश्व में इस्लाम के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले सारे लोग वहाबी सम्प्रदाय के हे

पिछले दिनों जाकिर ने यज़ीद को उचित ठहराते हुए उसकी प्रशंसा की तो स्वभाविक तौर पर भारत और पाकिस्तान में इसकी सख्त पर्तिकिर्या हुई सुन्नी और शिया उलेमा ने एकजुट होकर जाकिर की निंदा की थी और उन्हें चेतावनी दी थी तब उन्होंने अपने बयान पर माफ़ी तलब कर ली थी और यह मामला एक विस्फोटक रूप लेने के बाद दब गया था उन्होंने अपने भाषण में यह कहकर हंगामा खड़ा कर दिया की मुस्लमान सिर्फ अल्लाह से दुआ मांग सकता हे वह किसी भी दिवंगत व्यक्ति से दुआ नहीं मांग सकता , यहाँ तक की हज़रत मोहम्मद से भी नहीं . इस बयान ने आम मुस्लिम को ज़बरदस्त उत्तेजित किया और उन्होंने एकबार फिर एकजुट होकर इसकी निंदा की जिसके नतीजे में लखनऊ और इलाहबाद में जाकिर के बड़े पैमाने पर होने वाले कार्यकर्म राज्य सरकार ने रद्द करा दिए क्या जाकिर नायक विवाद पैदा करके चर्चा में रहना चाहते हे ? या फिर वे मुसलमानो के वहाबी सम्प्रदाय में अपनी लोकप्रियता से इतने मुग्द हे की उन्हें अब इस बात की परवाह नहीं रही की उनके व्यक्तव्यों से मुस्लिम सम्प्रदाय में कितना खतरनाक देष फेल रहा हे ?

दरअसल जाकिर नस्यक एक सोचे समझे मनसूबे के तहत इस तरह की बाते करते हे उन्होंने डॉक्टरी पेशे पर ध्यान देने के बजाय इस्लाम का प्रचार शरू किया , जिसके लिए सऊदी सरकार ने अपने ख़ज़ाने का दस प्रतिशत सुरक्षित कर रखा हे . क्या यह गौर करने की बात नहीं हे की हर सुशिक्षित भारतीय ये जनता हे की उसमे बिन लादेन जितना अमेरिका इज़राइल को दुश्मन मानता हे वह भारत को भी दुश्मन मानता हे जिसका इज़हार वह १९९० से अपने विभिन्न साक्षतकारो में और अपनी वेबसाइट पर कर चूका हे ग्यारह सितम्बर के बाद इसी ओसामा का समर्थन जाकिर नायक अपने कार्यकर्मो में निरंतर करते चले आ रहे हे . वे तो ऐलान तक करते चले आ रहे हे की बुश इस्लाम का दुश्मन हे और अगर ओसामा बुश का दुश्मन हे तो वे उसका समर्थन ही नहीं करते , बल्कि वे चाहेंगे की हर मुस्लिम ओसामा बन जाए .

जाकिर तमाम मुसलमानो को ओसामा बनने की शिक्षा दे रहे हे तो आखिर वे उन्हें ओसामा के किस रूप में देखना चाहते हे ? अमेरिका विरोधी या भारत विरोधी ? क्या जाकिर इतने मासूम हे की उन्हें यह नहीं पता की ओसामा रूढ़िवादी आतंकवादी और भारत विरोधी भी हे जाकिर नायक दूसरे धर्मो को तुच्छ साबित करके इस्लाम को एक महान धर्म के तौर पर पेश करने की कोशिश में ऐसी आग से खेल रहे हे जिसमे ना केवल उनका बल्कि मुस्लिम सम्प्रदाय का भी हाथ जल सकता हे मिसाल के तौर पर वे बाइबल से लेकर उपनिषदों में त्रुटिया निकालते हे अगर दूसरे धर्मो का कोई प्रचारक इस्लाम में त्रुटिया निकालने लगे तो क्या सूरत होगी ? क्या जाकिर नायक और उनके माने वाले इस तरह की किसी बहस को तैयार हे / यह प्रश्न इसलिए बहुत अहम हे की जाकिर नायक से बहस करने वाले एक पादरी ने कहा था की वे ( जाकिर ) तो बाइबल और जीसस में कीड़े निकाल रहे थे क्या में भी इस्लाम के लिए ऐसा ही करू ? मेरी राय में पादरी का यह सवाल सिर्फ जाकिर नायक से ही नहीं उन तमाम मुसलमानो से हे जो जाकिर की याददाश्त को कोई देवीय चत्मकार मानते हे की उन्हें उपनिषदों बाइबिल और कुरान की आयते कंठस्थ हे और जब वे अपनी बहस में उनका हवाला देते हे तो दूसरे धर्म को माने वाला कैसे ढेर हो जाता हे जाकिर नायक यह कोई नया धार्मिक कीर्तिमान नहीं कायम कर रहे हे वास्तव में उनका आदर्श दिदात नाम का वह दक्षिणी अफ़्रीकी धर्मप्रचारक था , जिसने अस्सी के दशक में ईसाइयो को कुरान के माध्यम से इस तरह चुनौती दी थी उसे भी कुरान और बाइबिल के सेकड़ो शलोक कंठस्थ थे . यह न तो कोई देवीय चमत्कार हे और ना ही असंभव कारनामा . अहमद दिदात और जाकिर नायक दोनों का धर्म का प्रचार उसी तरह वयवसाय हे जिस प्रकार की रामजेठमलानी का पेशा हे रामजेठमलानी को पूरा इंडियन क्रिमिनल ला कंठस्थ हे तो क्या वह उनका कोई कारनामा हे ? अगर उन्हें एक कामयाब वकील बने रहना हे तो उसके लिए यह जरुरी हे . जाकिर नायक भी इसी वास्तविकता से खूब वाकिफ हे और उन्होंने सवंय को सऊदी इस्लाम का एक कामयाब प्रचारक साबित कर दिया हे , तभी तो केवल पंद्रह बरसो के भीतर वह सौ करोड़ रूपये के इस्लामी चेनेल और पांच हज़ार रूपये महीने फीस वाले इस्लामी स्कूल का मालिक बन गए हे . यही नहीं हर साल वह इस्लामी कॉन्फ्रेंस करते हे जिस पर वे करोड़ो रूपये पानी की तरह खर्च करते हे . मेरी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं हे के वे धर्म का कारोबार क्यों कर रहे हे . मेरी चिंता इस विषय को लेकर हे की उनका अपने कारोबार को कामयाब बनाने का नुस्खा बहुत खतरनाक मोड़ ले चूका हे जिसकी कीमत शायद उन्हें नहीं किसी और को चुकानी पड़ सकती हे

स्रोतः http://khabarkikhabar.com/archives/1105

URL: https://newageislam.com/hindi-section/is-zakir-naik-trading-religion/d/100332

 

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