शुमैला जाफ़री
बीबीसी संवाददाता, इस्लामाबाद
3 अक्तूबर 2014
संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया में बाल विवाह अब भी आम बात है.
पाकिस्तान में क़रीब 25 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र में हो जाती है.
रेशमा की मिसाल देखिए. अब 29 साल की हो चुकी रेशमा ने बीबीसी संवाददाता शुमैला जाफ़री को बताया कि किन हालात में उन्हें अपने ही चचेरे भाई से निकाह करना पड़ा और वो भी मात्र 13 बरस की उम्र में.
बहुत रोई पर...
रेशमा कहती हैं, "तब मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी. मेरा स्कूल छुड़वा दिया गया. मेरी मां ने मुझे बताया कि मेरी शादी होने जा रही है. मैं बहुत रोई, लेकिन किसी ने मेरी परवाह नहीं की."
रेशमा कहती हैं, "मेरी मां ने कहा कि अगर मैं शादी नहीं करूंगी तो घर में मसले और बढ़ जाएंगे."
पाकिस्तान में जबरन शादी के अनगिनत मामलों में रेशमा एक उदाहरण है.
जोही गांव में यह प्रथा स्थानीय हिंदू और मुसलमानों में सदियों से चली आ रही है.
सिंध प्रांत में बाल विवाह को रोकने के लिए नया सख्त क़ानून बनाया है और इस अपराध को ग़ैरज़मानती बना दिया है, दोषी पर जुर्माना लगाने और क़ैद का प्रावधान किया गया है.
लेकिन नए क़ानून के तहत अभी तक एक भी व्यक्ति को सज़ा नहीं हुई है.
नए क़ानून का असर
मौलवी मोहम्मद अमीन का परिवार जोही का परिवार पिछली तीन पढ़ियों से निकाह करवा रहा है. मोहम्मद अमीन कहते हैं कि नए क़ानून के बाद अब शादी के लिए नई प्रक्रिया अपनाई जाती है.
अमीन कहते हैं, "मैं अब दूल्हा-दुल्हन के पहचान पत्र दिखाने को कहता हूं. दोनों का 18 साल का होना ज़रूरी है."
नुक्कड़ थिएटर सुजाक इलाक़े के गांवों में पिछले पाँच साल से बाल विवाह के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिशों में लगा है.
थिएटर ग्रुप से जुड़े मसूद भी मानते हैं कि अब माहौल कुछ बदला है. वे कहते हैं, "पहले हम जहां भी जाते थे, हमारा विरोध होता था. वे मानते थे कि ये तो उनके रीति-रिवाजों का हिस्सा है."
लेकिन अब जब उन्हें बताया जाता है कि ऐसा करने पर उन्हें सज़ा हो सकती है, तो वह हमारा विरोध नहीं करते.
स्रोतःhttp://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/10/141001_pakistan_child_marriages_du