सुहैल अरशद, न्यू एज इस्लाम
आसनसोल के नुरानी मस्जिद के इमाम मौलाना इम्दादुल्लाह रशीदी ने बंगाल के आसनसोल में अपने मासूम बेटे की शहादत पर धैर्य और दृढ़ता और इस्लामी जज़्बे का प्रदर्शन किया है इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम हैl आज के दौर में इस तरह के किरदार और अमल के नमूने कभी कभी ही देखने में आते हैंl उनका बेटा सिबगतुल्लाह दंगे के हंगामे में दंगाइयों की पकड़ में आ गया और उन्होंने कायरता का प्रमाण देते हुए उसे क्रूरता से मौत के घाट उतार दियाl उसके जनाज़े में लगभग दस हज़ार का मजमा था और मुसलमानों में बदले की आग भड़क रही थीl यह वह पल था जब मौलाना का छोटा सा इशारा पुरे क्षेत्र में हिंसा का कारण बन सकता थाl ऐसा नहीं था कि बेटे की मौत पर उनका दिल नहीं रो रहा थाl फजर की नमाज़ पढ़ाते हुए वह इतना रोए थे कि उनकी हिचकी बंध गई थी और मुक्तदी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए थे मगर उन्होंने इस परीक्षा के समय में भी उन्होंने कुरआन और सुन्नत का दामन नहीं छोड़ाl वह जानते थे कि बेटे की हलाकत के माध्यम से अल्लाह उनसे उनके ईमान की परीक्षा लेना चाहता हैl इसलिए, वह इस परीक्षा में सफल हुए क्योंकि उन्होंने इस परीक्षण के पल में भी अपने दीनी फ़राइज़ को अनदेखा नहीं कियाl उन्होंने बदले की कार्यवाही पर उतारू जनता से सख्त लहजे में कह दिया कि अगर तुमने बदले की कार्यवाही की तो मैं शहर छोड़ कर चला जाउंगाl जिस तरह से मैंने अपना बेटा खोया है मैं नहीं चाहता कि दुसरे लोग भी इसी तरह अपना मासूम बेटा खोएl उनकी इस अपील का अच्छा प्रभाव हुआ और क्षेत्र में अमन व अमान कायम रहाl उनकी इस आला जर्फी का प्रभाव गैर मुस्लिमों पर भी पड़ा और वह भी इस त्रासदी पर उदास हो गएl यही कारण था कि जब पुलिस ने दोनों सम्प्रदायों को लेकर एक अमन मीटिंग की तो हिन्दू व्यक्ति ने प्रारंभ में ही खड़े होकर कहा कि हम सब मौलाना साहब के बेटे के सोग में एक मिनट के लिए खड़े हो जाएँl मौलाना के इस काम की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रशंसा की और देश भर से प्रसिद्ध व्यक्तित्व ने उनके इस जज़्बे की सराहना कीl
मौलाना इम्दादुल्लाह ने पुलिस में बेटे की हलाकत की एफ आई आर दर्ज कराई तो उस समय भी उन्होंने कुरआन की शिक्षाओं को मद्देनजर रखाl उन्होंने अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराईl जब कुछ लोगों ने उनसे कुछ लोगों के नाम डायरी में देने का मशवरा दिया तो उन्होंने कहा कि जब मैं ने किसी को क़त्ल करते हुए नहीं देखा है तो मैं कैसे किसी का नाम दे दूँl यह पता लागाना पुलिस का काम हैl यहाँ भी उन्होंने कुरआन की उस शिक्षा पर अमल किया कि किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें न्याय का दामन छोड़ने पर मजबूर ना कर देl जब बाबुल सुप्रियो ने फोन पर उनसे शोक व्यक्त की और अपने दुख का इज़हार किया तो उन्होंने बाबुल को भी यह राय दिया कि राजनीति के बजाए कुछ ऐसा कर जाओ कि आसनसोल के लोग तुम्हें हमेशा याद करेंl बाबुल ने उन से कहा कि मेरी एक नौ साल की बेटी हैl अगर वह गिर जाती है तो मुझे डर हो जाता है कि कहीं उसका पैर ना टूट जाएl मौलाना ने उससे पूछा “ अगर तुम्हारी बेटी मर जाए तो क्या होगा?” उसने जवाब दिया “ मैं तो मर जाउंगा” मौलाना ने तब कहा कि नफरत की राजनीति छोड़ो और दिलों को जोड़ने का काम करोl अगर तुम दिलों को जोड़ने के लिए यहाँ आते तो यहाँ लोग हमेशा तुम्हें याद करतेl शायद मौलाना की इस बात चीत का प्रभाव था कि वापस जाने के बाद उसने बयान दिया था कि मैं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास इस्तीफा देने की पेशकश की थीl
मौलाना इम्दादुल्लाह राशिदी से हमारे वह उलेमा भी सबक लें जो मसलकी आधार पर मुसलामानों के बीच विवाद को हवा देते हैंl मौलाना इम्दादुल्लाह रशीदी का मामला गैर कौम के साथ था फिर भी उन्होंने उंहें हानि पहुंचाने से मुसलामानों को सख्ती से बाज़ रखाl यह उन मुल्लाओं के लिए इबरत का मकाम है जो मुसलामानों को आपस में लड़ा कर कौम को हानि पहुंचाने के दर पे रहते हैंl
आज कौम और मुल्क को मौलाना इम्दादुल्लाह रशीदी जैसे इमामों की आवश्यकता है जो निजी हितों और भावनाओं से ऊपर होकर देश व कौम को एकजुट रखने के लिए प्रभावी इक़दामात करें और देश में एकता और भाई चारे की फ़ज़ा को साज़गार बनाने के लिए अपना खून जिगर दें ना कि मुसलामानों को एक दुसरे का खून बहाने की तरगीब देंl
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