New Age Islam
Thu Nov 30 2023, 10:40 PM

Hindi Section ( 14 March 2018, NewAgeIslam.Com)

Comment | Comment

Qalander Baba Aulia: Beacon of Light कलंदर बाबा औलिया: एक प्रकाशस्तंभ

 

रौशन नज़ीर

09 फरवरी 2018

आधुनिक युग के लोग तरक्की और बुलंदी के आसमान पर मालूम होते हैंl आज की तकनीकी चमत्कार ने लगभग सभी सुविधाओं को दरवाज़े पर ला कर खड़ा कर दिया हैl भौतिक सामग्री पर ऐसी पहुंच प्राप्त करने के बावाजूद आज इंसानों के अंदर एक खालीपन मौजूद हैl आधुनिक जीवन ने हमें एक ऐसे नाज़ुक समय में ला कर खड़ा कर दिया है कि हम यह सोचने पर मजबूर हैं कि इंसान ने वास्तव में क्या खो दिया हैl मानवीय इतिहास का वह दौर फिर से हमारे सरों पर है कि जब इंसान एक कायनात की तलाश में खुद अपनी ज़ात के सफ़र पर निकल चुका हैl

ऐसे अस्थिर समय में अल्लाह के वली हमेशा एक प्रकाशस्तंभ की हैसियत रखते हैंl पैगम्बरों और उनकी शिक्षाओं की पैरवी करते हुए वह गुमराही व अँधेरे से हिदायत के नूर की तरफ इंसानियत की रहनुमाई कर रहे हैंl पाकिस्तान में इस तरह के व्यक्तित्व की कमी नहीं हैl उनमें से बाबा भुल्ले शाह, सुलतान बाहू, लाल शाहबाज़ कलंदर, शाह अब्दुल्लतीफ़ भट्टी और दाता गंज बख्श जैसे कुछ उल्लेखनीय हैंl अल्लाह के वालियों के रूहानी मिशन ने हमेशा इंसानों को शांतिपूर्ण दृष्टिकोण और हार्दिक अमन व सुकून अता किया हैl इन व्यक्तित्व की ही तरह मुहम्मद अज़ीम बर्खिया ने उनकी शिक्षाओं और प्रक्रिया में एक नई दिशा का वृद्धि किया हैl

मुहम्मद अज़ीम बर्खिया जिनहें आम तौर पर कलंदर बाबा औलिया के नाम से जाना जाता है, उन्होंने एक सूफी सिलसिला; सिलसिला अज़ीमिया की बुनियाद रखीl आपका जन्म 1898 ई० में खुर्जा, यु पी (भारत) में एक सैयद घराने के अंदर हुआ और आपका शिजरा नसब इमाम हसन अस्करी (रदिअल्लाहु अन्हु) से मिलता है, आपने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त कीl अपनी रूहानी तरबियत के लिए आपने अपने दादा बाबा ताजुद्दीन औलिया (रहमतुल्लाह अलैहि) की सोहबत में नौ साल गुज़ारे, जो की एक असामान्य प्राचीन आध्यात्मिक व्यक्ति थेl भारत के बटवारे के बाद आप कराची हस्तांतरित हुए और उर्दू रोजनामा डॉन में आप ने उप संपादक के तौर पर काम कियाl आपने एक उर्दू मैगज़ीन नक्काद में भी काम कियाl आपने बहुत सारे लेख भी लिखे जो बहुत स्वीकार्य हुएl जिनमें से एक “शैतान की खुद नविश्त” हैl आपने बहुत व्यापक अंदाज़ में रूहानी उलूम के उसूलों को पेश कियाl हालाँकि आपने बहुत सारी किताबें लिखीं थीं लेकिन आपकी किताब लौह व क़लम को एक अलग ही महत्व प्राप्त हैl इस किताब में उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से रूहानी कानून और उसूलों को बयान किया हैl कुरआन करीम की आयतों की रौशनी में आपने उन कानूनों और उसूलों को बयान किया है कि किस तरह इस संसार के हर एक वजूद पर एक ख़ास रूह को गलबा हासिल हैl उन्होंने रूहानी उलूम पर ऐसे ऐसे लेख लिखे जो आधुनिक विज्ञान और रूहानी उलूम को एक प्लेटफार्म पर ला सकते हैंl

उनकी शिक्षाओं का अक्ष केवल एक ही है: इंसानी दिमाग में खुदा के वजूद की हक्कानियत को कायम करना और सभी दूरियों को मिटा कर इंसान और उसके बनाने वाले के बीच एक अनन्त संबंध कायम करनाl उन्होंने इस चेतना को पैदा करने की कोशिश की है कि अगर इंसान अपनी रूह को नहीं पहचानता तो वह हार्दिक और रूह की सुकून कभी हासिल नहीं कर सकताl उन्होंने भविष्यवाणी की है कि भविष्य की नस्लें अधिक मायूस और अधिक उदास होंगीl इस निराशाजनक स्तिथी के कारण उन्होंने यह बयान किया है कि इंसान खुद अपनी रूह से अलग हो चुका हैl इंसानी जिस्म केवल एक जैविक मशीन है और यह मशीन उसे नहीं चला रही है बल्कि एक दुसरी शक्ति है जिसकी इसमें कारफरमाई हैl अपनी पुरी ज़िंदगी में हमने किसी मुर्दा शरीर को कोई काम करते हुए कभी नहीं देखा, इसलिए ऐसा क्यों है कि इंसान खुद को केवल एक माद्दी वजूद समझता है?

यह रूह है जिसकी इंसानी जिस्म में कारफर्माई है और यही हकीकी इंसान हैl अगर नए युग का इंसान अपनी रूह को जानने की कोशिश नहीं करता तो वह आने वाले दौर में भी उदास और परेशान ही रहेगाl उनका दृष्टिकोण है कि सारे कायनात एक ही नुक्ते के अक्ष में है जो कि इंसान का ही एक भाग हैl उसे पाने अंदर गौर करना आवश्यक है और इसका तरीका मुराकबा हैl

दर हक़ीक़त मुराकबा अपने बातिन पर गौर करने का तरीका हैl इस कायनात की पहचान प्राप्त करने का यही एक तरीका है जो कि उसके बातिन में पिन्हाँ हैl यह इंसान के अंदर आला शउर को बेदार करता है, जिसके माध्यम से इंसान उन तथ्यों और रुझानों का मुशाहेदा कर सकता है जिसका मुशाहेदा माद्दी आखें नहीं कर सकतींl अब वह किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ हो जाता है, चाहे वह लैंगिक आधार पर हो चाहे मजहबी या सामाजिक आधार पर होl उन्होंने फरमाया कि यह अमल कितना अफसोसनाक है कि हम दोसरों को दर्द पहुंचा कर खुशी हासिल करते हैंl आदम और हव्वा की औलाद होने के बावजूद हमने अपने साझा संबंधो के आधार को खत्म कर दिया हैl वास्तव में पेड़ एक ही है लेकिन उसकी शाखें और पत्तियाँ विभिन्न हैंl वह पुरी इंसानियत के लिए मुहब्बत और अमन का मुजस्समा थेl सूफी सिलसिला- सिलसिला अज़ीमिया की शिक्षाओं के माध्यम से उन्होंने यह चेतना जगाने की कोशिश की कि इंसान एक हैl आधुनिक यांत्रिक प्रणाली मानव को अमन नहीं दे सकती है बल्कि अमन व सुकून केवल अपने नफ्स के शउर से ही मिल सकता है जो कि केवल रूहानी शिक्षाओं के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता हैl

URL for English article: https://newageislam.com/islamic-personalities/qalander-baba-aulia-beacon-light/d/114220

URL: https://www.newageislam.com/urdu-section/qalander-baba-aulia-beacon-light/d/114350

URL: https://www.newageislam.com/hindi-section/qalander-baba-aulia-beacon-light/d/114580

New Age Islam, Islam Online, Islamic Website, African Muslim News, Arab World News, South Asia News, Indian Muslim News, World Muslim News, Women in Islam, Islamic Feminism, Arab Women, Women In Arab, Islamphobia in America, Muslim Women in West, Islam Women and Feminism

 

Loading..

Loading..