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Hindi Section ( 26 Nov 2011, NewAgeIslam.Com)

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Terrorism Has No Religion आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है


रंजोना बनर्जी (अंग्रेज़ी से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम डाट काम)

ओस्लो में एक सरकारी इमारत के पास बम धमाके की खबर आने के फौरन बाद हिंदुस्तानी और अंतर्राष्ट्रीय समाचार चैनलों ने इस हमले के लिए ज़िम्मेदार इस्लामी ग्रुप के बारे में अंदाज़ा लगाना शुरु कर दिया था। विशेषज्ञ, अगर ऐसा उन्हें कहा जा सकता है, ने भी नार्वे से आ रही सूचनाओं के आधार पर हमले के पीछे ग्रुप का नाम बताने की कोशिश की।

इस पूरे मामले में नार्वे के नागरिकों ने ज़िम्मेदारी का ऐहसास करते हुए किसी भी तरह का अनुमान लगाने से खुद को दूर रखा, क्योंकि उन्हें इस वास्तविकता का ज्ञान था कि इस हमले में उनके देश को निशाना बनाया गया है। लेकिन जब कुछ ही घण्टों बाद जब ओटोया द्वीप पर फायरिंग की खबर आई और साथ ही ये सच्चाई भी सामने आई कि हमला करने वाला देखने में नार्डिक (फिरंगियों की एक नस्ल) है, तो विशेषज्ञ गायब हो गये।

 जो स्पष्ट है वो ये कि असहिष्णुता चाहे वो भगवा रंग की हो या हरे रंग की या किसी और रंग की सभी हत्याओं को अंजाम देती हैं।

 जिस तरह से घटना की वास्तविकता सामने आई है वो सामान्य संदिग्धों, किसी न किसी ग्रुप के इस्लामी उग्रवादियों की तुलना में ज़्यादा खतरनाक है। एण्डर्स बेह्रिंग ब्रेविक ने ओस्लो में बम धमाके साथ ही ओटाया द्वीप पर कत्ले आम की ज़िम्मेदारी कुबूल कर ली। आखिरी गिनती के मुताबिक कुल 76 लोग मारे गये थे। ब्रेविक को इस कार्य के लिए प्रेरणा दूसरे स्रोतों के अलावा हिंदुस्तान के हिंदुत्ववादी आंदोलन से भी मिली थी।

दक्षिणपंथी विचारधारा में विश्वास रखने वाले ईसाई और मुसलमान विरोधी ब्रेविक ने पूरी दुनिया में जारी इस्लाम के विरुद्ध आंदोलनों पर शोध किया था। उसके विचार औऱ दक्षिणपंथी धार्मिक पूर्वाग्रह की खतरनाक प्रकृति की मिसाल 1500 पृष्ठों पर आधारित उसके घोषणापत्र में मिलती है। उसने सरकार को उसकी बहुलतावादी नीतियों और नार्वे में मुसलमानों के आव्रजन को प्रोत्साहन देने के कारण निशाना बनाया था। ब्रेविक की प्रेरणा का बड़ा भाग उसे संघ परिवार से मिला था।

अफसोस की बात है कि मुम्बई को देश का सबसे ज़्यादा कास्मोपॉलिटन शहर कहा जाता है, लेकिन वो भी इस तरह की विचारधारा से ग्रस्त है। इस, शहर में होने वाले किसी भी बम धमाके की जड़ में दक्षिणपंथी धार्मिक विचारधारा और पूर्वाग्रह ही मिल सकता है। जो स्पष्ट है वो ये कि असहिष्णुता चाहे वो भगवा रंग की हो या हरे रंग की या किसी और रंग की सभी हत्याओं को अंजाम देती हैं।

हिंदुस्तान में जैसे ही कोई किसी आतंकवादी हमले में हिंदू ग्रुप के शामिल होने की बात करता है, दक्षिणपंथी विचारधारा के मानने वाले हिंदुत्ववादी गुस्से में पागल हो जाते हैं। लेकिन टीवी के कैमरे से प्रभावित गुस्सा हमें सच्चाई से दूर नहीं ले जा सकता है। ये महाराष्ट्र की आतंकवाद विरोधी टीम के कुछ बहादुर पुलिस अफसर थे जिन्होंने हिंदुत्व ग्रुप में उपस्थित आतंकवादी सेल का खुलासा किया और उन सभी दंगों जिनमें हिंदुओं ने मुसलमानों को मारा, इसके बारे में किसी को याद दिलाते रहने की आवश्यकता है।

क्या इसका मतलब ये है कि इस्लामी आतंकवाद से कोई खतरा नहीं है? बिना शक इससे खतरा है और कोई भी बेवकूफ ऐसा नहीं है जो ये कहे कि हम इससे प्रभावित नहीं हुए हैं। लेकिन सिर्फ यही खतरा नहीं है और एण्डर्स बेह्रिंग ब्रेविक ने दुनिया को ये याद दिलाया है कि हमें अपने आस पास का जायज़ा लेने के लिए अपनी आंखों को खुला रखना चाहिए।

 स्रोत- मिड डे

URL for English article:

http://www.newageislam.com/current-affairs/terrorism-has-no-religion/d/5153

URL for Urdu article:

http://www.newageislam.com/urdu-section/terrorism-has-no-religion--دہشت-گردی-کا-کوئی-مذہب-نہیں-ہے/d/5913

URL: https://newageislam.com/hindi-section/terrorism-no-religion-/d/6003


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