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Hindi Section ( 20 May 2019, NewAgeIslam.Com)

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Roza and Health रोज़ा और सेहत


मोहम्मद अनसर उस्मानी, न्यू एज इस्लाम

रमजान उल मुबारक में रोज़े की इबादत अल्लाह पाक को बेहद पसंद हैl रोज़ेदार के मुंह की बू अल्लाह को मुश्क व अम्बर से भी अधिक प्यारा हैl रोज़े दार के लिए अल्लाह के यहाँ इनामों की कोई हद नहींl रोज़ेदार इस इबादत से बहोत अधिक सवाब हासिल करता हैl रोज़ा बहोत बड़ी इबादत हैl इसका सवाब और रूहानी बरकात से हर मुसलमान वाकिफ हैl रोज़ा रखने से हमारे शरीर में कई परिवर्तन होते हैंl बहोत सारी बीमारियाँ ऐसी हैं जो पूरा साल जान नहीं छोड़ती, एक दिन भी दवा के बिना गुजारना कठिन होता हैl और बहोत सारे रोग ऐसे भी हाल में लाहिक होते हैं जो थोड़े समय के लिए या अधिक समय के लिए प्रभाव छोड़ते हैंl जब रमज़ान उल मुबारक आता है और हम इसमें रोज़े रखना शुरू करते हैं तो उन बीमारियों में ४० प्रतिशत तक आराम मिलता हैl यह केवल रोज़े की बरकत हैl हम ने कई एक खतरनाक मर्ज़ का शिकार मरीजों को यह राय दिया कि वह पुरे साल की तरतीब बनाएं और उस तरतीब पर हर महीने कुछ रोज़े रखेंl इससे एक लाभ तो यह होता है कि पिछले क़ज़ा रोज़े पुरे होते हैं, दोसरा मरीज़ को रोज़ा रखने से दवाइयों पर चलने से छुटकारा मिल जाता हैl इस छोटे से काम पर जिसने भी पाबंदी के साथ रोज़े रखे हैं उसने रोग पर काबू पा लिया हैl

असमय के खाने और गिज़ा में लापरवाही से भी हम कई एक बीमारियों का शिकार होते हैंl इसलिए उलेमा इ कराम व चिकित्सा विशेषज्ञ कहते हैं कि इफ्तार व सेहर में सादा खुराक लिया जाएl मुरगन, चट पटे और तेज़ मसालों का प्रयोग कम से कम किया जाएl रोज़ा रखने से एक बहोत बड़ा चिकित्सा लाभ यह होता है कि हमारी खुराक कम हो जाती है और हम अधिक खुराक से बच कर इससे पैदा होने वाले रोगों से सुरक्षित रहते हैंl विज्ञान इस दौर में खुराक की अधिकता के हानि बता रही है लेकिन अल्लाह पाक ने आज से चौदह सौ साल पहले कुरआन पाक में इसकी इस प्रकार व्याख्या फरमाई है: “وکلواوشربوا انہ لایحب المسرفین” (आराफ़) रोज़ेदार जब अपनी खुराक में एतेदाल बरतता है तो उसकी सेहत पर देर पा अच्छे प्रभाव मुरत्तब होते हैंl देखा गया है कि सारे साल बीमारियों से परेशान रहने वाले लोग रमज़ान में पुर्णतः स्वस्थ दिखाई देते हैंl इसलिए रोज़े की बरकत से खुराक में कमी आती है जिस से रोग में कमी हो जाती हैl

जो लोग बिस्यार खोरी की लत में लिप्त होते हैं उनके रमज़ान में रोज़ा रखने से जिस्मानी साख्त में बेहतरी के आसार नमूदार होते हैंl अल्लाह पाक का बहोत बड़ा एहसान है कि उसने हम मुसलमानों पर रोज़े रखने फर्ज़ किये हैंl ताकि ग्यारह महीनों में जो हमने अधिक खाने की आदत बना ली होती है और इस बिस्यार खोरी से हमारे शरीर में जिन बीमारियों ने जगह बना ली होती है रोज़े रखने से उनका खात्मा होता हैl नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया: “खाओ पियो और पहनों और खैरात करो बिना फ़ालतू खर्च और घमंड के”l (बुखारी, किताबुल लिबास) एक और जगह रोज़े के चिकित्सीय लाभ का आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बलीग़ इशारा फरमाया: “صومو اتصحو”l (मजमउल ज़वाइद, कन्जुल आमाल) रोज़े के तिब्बी फायदों के साथ अनगिनत रूहानी प्रभाव भी हैं जो रोज़ेदार को हासिल होते हैंl रोज़ेदार सब्र शुक्र करता है, जिससे उसकी तबीयत में ठहराव आता हैl रोज़ेदार ज़हनी इंतेशार, बदनी खुल्फिशार से बचा रहता हैl रोज़े के माध्यम से इंसान की नफ्सियाती तरबियत होती हैl और रोज़ेदार रूहानी रोगों से सुरक्षित रहता हैl रोज़ेदार को रमजान में सबसे कीमती दौलत जो मिलती है वह हर काम में बीच का रास्ता विकल्प करना हैl रोज़ा रखने से हमारी सेहत के साथ रूहानी ताकत में भी इज़ाफा होता हैl आज दुनिया इस बात का इकरार कर रही है कि अधिक खाने के सेहत पर सख्त किस्म के नुकसान होते हैंl रोज़ेदार रमज़ान और रोज़ा की बरकत से सभी मुश्किलों से छुटकारा पा लेता हैl

हकीम मोहम्मद सईद शहीद ;२३१; लिखते हैं कि रोज़ा जिस्म में पहले से मौजूद रोगों का इलाज हैl रोज़ेदार बीमारियों से निजात पाता है और बीमारियों के संभव खतरों से सुरक्षित रहता हैl रोज़े का एक और तिब्बी लाभ यह है कि प्रतिरोधक शक्ति में बढ़ोतरी होती हैl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: “हर चीज की ज़कात है और शरीर का ज़कात रोज़ा है”l (अल मजमउल कबाएर) जिस प्रकार ज़कात अदा करने से माल पाक हो जाता है उसी तरह रोज़ा रखने से जिस्म सभी बीमारियों से पाक हो जाता हैl इसके अलावा रोज़ेदार झूट, हसद, गीबत और बुग्ज़ जैसी बातिनी बीमारियों से निजात प्राप्त करता हैl रोज़ेदार को स्वस्थ रखता हैl रूहानी व जिस्मानी रोगों को दूर करता हैl हम रमजान में रोज़े रखने की वजह से ही सेहत हासिल करते हैं और तबितयत में बशाशत और फरहत महसूस करते हैंl रोज़ा रखने की वजह से हम रूहानी व तिब्बी रोगों से बचे रहते हैंl रोज़ा जहां अल्लाह पाक की तरफ से बड़ा सवाब इबादत है तो वहीँ यह सेहत के हुसूल का बेहतरीन माध्यम हैl हमें अल्लाह पाक से तौफीक मांगनी चाहिए कि हम पुरे साल रोज़ा रख कर स्वस्थ रहेंl

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