लीडिया ग्रीन
बीबीसी अरबी
11 दिसंबर 2014
तकरीबन हर समाज में शादी घरवालों की रज़ामंदी से करने का रिवाज़ रहा है लेकिन साथी चुनने की प्रक्रिया को लेकर कई बार नौजवान लोगों के खट्टे अनुभव रहे हैं.
पश्चिम के कुछ मुसलमानों की ये राय है कि जोड़ी मिलाने वाली ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स होने चाहिए जिनसे उलझन और शर्मिंदगी दोनों ही कम हों.
अदीम युनूस अपनी शादी के दिनों को याद करते हैं, "तुम्हें वो पसंद नहीं आई? क्यों नहीं? उसके दो पांव हैं, दो बाहें हैं, वह कामकाजी है. तुम उसे नापसंद कैसे कर सकते हो?"
ऑनलाइन मैचमेकिंग
ये वो सवाल थे जो अदीम के घर वाले किसी लड़की को दिखाए जाने पर उनसे पूछते थे.
यूरोप और अमरीका में अदीम जैसे मुसलमान और भी थे जिन्होंने मिलने- मिलाने के पारंपरिक तौर तरीके से बाहर निकलकर नौजवान मुसलमानों के लिए जोड़ी तलाशने का रास्ता निकालना शुरू किया.
और इस तरह से ऑनलाइन मैचमेकिंग की शुरुआत हुई.
ये सिलसिला शायद पिछले दशक में शुरू हुआ था लेकिन कम से कम यूरोप और उत्तरी अमरीका में तो ये अब पूरी तरह से चलन में है.
पारिवारिक मामला
इसलिए ये हैरत की बात नहीं है कि पश्चिम के मुसलमानों ने अपनी ज़रूरतों के मद्देनज़र नए दौर के तौर तरीके अपना लिए.
पश्चिमी देशों में एक और जहां मुसलमानों की आबादी कम है, वहीं शादी को पारिवारिक मामला ही समझा जाता है. ऐसे में ऑनलाइन डेटिंग कम तनाव वाला रास्ता है.
युनूस सिंगल मुस्लिम डॉटकॉम नाम से अपनी एक वेबसाइट चलाते हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने वेकफील्ड के फास्टफुड शॉप की छत पर की थी.
आज उनकी वेबसाइट के दस लाख से भी ज्यादा सदस्य हैं.
साथी की तलाश
लेकिन अदीम युनूस बताते हैं कि 'मुसलमानों के लिए ऑनलाइन डेटिंग' के विचार में फिलहाल कई कमियां हैं.
उनका कहना है कि जोड़ियां मिलाने वाली दूसरे प्लेटफॉर्म्स की तरह मुसलमानों की ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइटों की महत्वाकांक्षा काफी बड़ी हैं.
वे कहते हैं कि सिंगल मुस्लिम डॉटकॉम का मक्सद अपने क्लाइंट्स के लिए जीवनसाथी खोजना है. यह एक ऐसी जिम्मेदारी है जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है.
पैगम्बर मोहम्मद के एक उपदेश का जिक्र करते हुए अदीम कुछ इस तरह से अपनी बात रखते हैं, "इस्लाम में शादी हमारे मजहब के आधे के बराबर होता है. इसलिए आप समझ सकते हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है. इस्लाम हमें सिखलाता है कि शादी समाज की बुनियाद है."
मुस्लिम मैट्रीमोनी
सिंगल मुस्लिम डॉटकॉम का दावा है कि वह रोज़ाना चार जोड़ियों को मिलवाती है. लेकिन सभी उम्र के मुसलमानों के लिए जोड़ियां मिलाने के बाज़ार में यह अपनी तरह की अकेली वेबसाइट नहीं है.
उदाहरण के लिए मुस्लिम मैट्रीमोनी डॉटकॉम भी है.
यह वेबसाइट न केवल धर्म के आधार पर साथी चुनने का मौका देता है बल्कि वे इस्लाम की किस शाखा पर यकीन करते हैं और कौन सी ज़बान बोलते हैं, इसके आधार पर पार्टनर खोजने का अवसर देती है.
इस ऑनलाइन मार्केट में हिपस्टरशादी डॉटकॉम भी है जो लोगों को ऐसा साथी खोजने का मौका देती है जिनके साथ वे बारिश में नाच सकें और कविताएं लिख सकें.सिर्फ इतना ही यूज़र के अभिभावक भी जिस पर रज़ामंदी दे सकें.
डेटिंग वेबसाइट
अब ये वेबसाइट इश्कर डॉटकॉम के नाम से जानी जाती है. उसका दावा है कि यहां महिलाओं के अधिकार की हिमायती भी अपने लिए साथी तलाश सकती हैं.
मोहम्मद की पत्नी कैथरीन ने यूनिवर्सिटी में ही इस्लाम कुबूल कर लिया था. उनकी मुलाकात चार पहले एक डेटिंग वेबसाइट के ज़रिए हुई थी.
आज वे दो बच्चों के साथ बेहद खुश हैं लेकिन इस ज़िंदगी को पाने का रास्ता उनके लिए कोई बहुत आसान नहीं रहा था.
वैचारिक पहचान
वे कहते हैं, "लोगों से मिलने का कोई अवसर नहीं होता. धार्मिक मुसलमान पबों और क्लबों में नहीं जाते हैं. पश्चिमी संस्कृति में यह कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन मुस्लिम रीति रिवाज़ों में इस पर त्योरियां चढ़ा ली जाती हैं."
ड्यूक यूनिवर्सिटी में अरबी के प्रोफेसर और मुस्लिम डेटिंग वेबसाइट पर रिसर्च कर चुके म्बावे लो का कहना है, "दुनिया के मुसलमानों की पहचान वैचारिक तौर पर ज्यादा है. वे एक विश्व समुदाय का हिस्सा हैं."
झूठ और फरेब
ट्यूनिशिया के रहने वाले रियाद अपनी पत्नी से 2012 में एक ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट के ज़रिए मिले थे. वे कहते हैं, "मैंने उसे देखा और मुझे प्यार हो गया."
हालांकि मध्य पूर्व और उत्तरी अमरीका में ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट पर एतराज़ करने वाले लोग भी हैं.
अपने अच्छे अनुभव के बाद भी रियाद कहते हैं कि मैं ये रास्ता चुनने के लिए दूसरों को सलाह नहीं दूंगा, "वर्चुअल दुनिया झूठ और फ़रेब से भरी हुई है. आप नहीं जानते कि आप किससे बात कर रहे हैं."
Source: http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/12/141210_muslims_online_dating_vr
URL: https://newageislam.com/hindi-section/western-muslims-search-line-love/d/100618