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Hindi Section ( 30 March 2012, NewAgeIslam.Com)

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Islamic solution to eco-problems पर्यावरण की समस्याओं का इस्लामी हल


इस्लाम वेब डॉट नेट

(अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम)

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इस्लाम पर्यावरण के लिए बहुत फिक्र का इज़हार करता है। कुरान की कई आयतें और नबी करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के बयानों में इस समस्या पर खिताब किया गया है। इस्लाम में पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का हल इसके निर्देशों के मुताबिक इंसान के मुवाफिक़ होने पर है। अल्लाह ने फरमाया है कि इस ज़मीन पर पैदा की गई सभी चीज़े इंसान के इस्तेमाल के लिए हैं न कि उसके दुरुपयोग के लिए हैं।

अल्लाह ने इंसानों को ऐश वाली ज़िंदगी जीने से रोका नहीं है,  लेकिन ऐसा प्राकृतिक संसाधन को नुकसान पहुंचा कर और उनके दुरुपयोग द्वारा नहीं होना चाहिए। कुरान कई आयतों में इसे स्पष्ट तौर पर  कहा गया है। अल्लाह फरमाता है: "और तो इस (दौलत) में से जो अल्लाह ने तुझे दे रखी है आखिरत का घर तलब कर और दुनिया से (भी) अपना हिस्सा न भूल और तू (लोगों से वैसा ही) एहसान कर जैसा एहसान अल्लाह ने तुझ से फरमाया है और मुल्क में (ज़ुल्म, इर्तेकाज़ और इस्तेबसाल की सूरत में) फसाद अंगेज़ी (की राहें) तलाश न कर, बेशक अल्लाह फसाद बपा करने वालों को पसंद नहीं फरमाता "(कुरान 28:77)

कुरान और नबी करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की सुन्नतों में मुसलमानों के लिए पर्यावरण की रक्षा के लिए निर्देश हैं,  जिसमें बेवजह पेड़ों को न काटना भी शामिल है। इस संबंध में नबी करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इशारा किया है कि पेड़ लगाने में फायदें हैं और जिसका सिला क़यामत के दिन तक जारी रहेगा। इसका इज़हार नबी करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के बयानात में भी है, "अगर क़यामत आने वाली है और तुम में से किसी के हाथ में खजूर का पोधा हो तो इससे पहले कि कयामत आये इस पौधे को अगर लगा सकते हैं तो उसे ऐसा करना चाहिए और इस अमल के लिए उसको सवाब भी मिलेगा।"

जो प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता और उसका दुरुपयोग करता है, उसके लिए अल्लाह ने गंभीर सज़ा का हुक्म दिया है। अल्लाह फरमाता है: "अल्लाह के (अता करदा) रिज़्क से खाओ और पियो लेकिन ज़मीन में फसाद अंगेज़ी न करते फिरो।"(कुरान 2:60)

"बहेर (महासागर) व बर में फसाद इन (गुनाहों) के बाइस फैल गया है जो लोगों के हाथों ने कमा रखे हैं ताकि (अल्लाह) उन्हें बाज़ (बुरे) आमाल का मजा चखा दे जो उन्होंने किए हैं, ताकि वो बाज़ आ जाएं" (कुरान 30:41)

इब्ने मसूद रज़ि. से रवायत है कि, "जब हम अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के साथ एक सफ़र पर थे तो आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम हम लोगों के खेमों से थोड़ा दूर गए। यहां हमने एक छोटी चिड़िया को उसके दो बच्चों के साथ देखा और उन्हें पकड़ लिया। जब नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम वापस आए तो चिड़िया अपने पंखे फड़ फड़ा रही थी तो आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने पूछा कि किसने उसके बच्चों को लेकर, उसे परेशान किया है? फिर आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने हमसे चिड़िया के बच्चों को वापस करने के लिए कहा। यहीं पर हमने चींटी के घर को देखा और उसे जला दिया। जब पैग़म्बर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने उसे देखा तो पूछा कि किसने उसे जलाया है जब हम लोगों ने बताया कि हमने ऐसा किया है तो आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि, 'सिर्फ अल्लाह को आग के साथ सज़ा देने का हक़ है।"

अल्लाह ने कुरान में कहा है कि "और (ऐ इंसानों!) कोई भी चलने फिरने वाला (जानवर) और परिंदा जो अपने दो बाज़ुओं से उड़ता हो (ऐसा) नहीं है मगर ये कि (बहुत सी सिफात में) वो सब तुम्हारे ही मुमासिल तब्क़ात हैं।"(कुरान: 6:38)

हम नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के बयान और कुरान की आयत से यह नतीज़ा निकालते हैं कि सभी जीवित संसार में रहने वाले इंसान के वजूद में साझेदार हैं और वो हमारे सम्मान के पात्र हैं। हमें जानवरों के प्रति दयालु होना चाहिए और विभिन्न प्रजातियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोशिश ज़रूर करना चाहिए।

इस्लाम पानी को बर्बाद करने और बिना ज़रूरत के इस्तेमाल से भी मना करता है। सभी इंसानों, जानवरों के जीवन, पक्षियों के जीवन और पौधों की परवरिश के लिए पानी को बचाने का अमल ऐसा है जिससे अल्लाह खुश होता है।

अपने लेख 'इस्लाम और पर्यावरण', में कनाडा में मुस्लिम वर्ल्ड लीग के डायरेक्टर अराफात अल-अशी [www.al-muslim.org]  लिखते हैं, "इस्लाम की नज़रों में मानव जीवन पवित्र है। सिवाय जीवन के बदले जीवन लेने के किसी को किसी दूसरे व्यक्ति की ज़िंदगी लेने की इजाज़त नहीं है।"

इस्लाम के तहत अल-अशी कहते हैं, "ये हर मुसलमान पर लाज़िमी है कि वो हरियाली को बेहतर बनाने में अपने हिस्से का योगदान करे। मुसलमानों का सभी लोगों के फायदे के लिए अधिकतम पेड़ उगाने में सक्रिय होना चाहिए।" युद्ध के दौरान भी मुसलमानों को पेड़ों को काटने से बचने की जरूरत है, जो लोगों के लिए उपयोगी हैं।

ज़मीन पर इंसानों के ज़रिए नेतृत्व उन पर एक गंभीर प्रकार की जिम्मेदारी डालता है। अन्य जीवित प्रजातियों, जिनके बारे में ऊपर बयान किया गया है,  अल्लाह के नज़दीक एक तब्का माने जाते हैं। "मख्लूक़, (प्राणी) खुद में उसकी असीमित विविधता और जटिलताओं को, अल्लाह की ताकत, हिकमत, ऐहसानों और उसकी शान की "निशानियों" के व्यापक ब्रह्मांड के रूप में माना जा सकता है। सभी इंसानों की जिम्मेदारी है कि वो अल्लाह की मख़लूक़ को नुक्सान न पहुँचाएं। पर्यावरण, अल्लाह की ओर से मानवता को प्रदान किए गया एक विश्वास है और इसका दुरुपयोग अल्लाह के विश्वास का बेजा इस्तेमाल है।

स्रोतः www.islamweb.net

URL for English article: https://newageislam.com/islam-environment/islamic-solution-eco-problems/d/2051

URL for Urdu article: https://newageislam.com/urdu-section/islamic-solution-eco-problems-/d/12939

URL for this article: https://newageislam.com/hindi-section/islamic-solution-eco-problems-/d/6967


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