New Age Islam
Mon Mar 20 2023, 07:21 PM

Hindi Section ( 25 Jun 2014, NewAgeIslam.Com)

Comment | Comment

Tales of Arabs' Racial Supremacy अरबों की जातीय श्रेष्ठता की कहानियाँ

 

हुसैन अमीर फ़रहाद

काशिफ़ राज़ साहब का लेख (कुल इन्नमा अना बशरुम् मिस्लोकुम) (18: 110) पढ़ा अच्छा लगा, मुझे याद आया कि अल्लाह के दो पैरों वाली मख्लूक़ (जीवों) के बारे में मैंने भी कुछ लिखा था, कंप्यूटर का डेटा एक अनाड़ी ने मिटा दिया था, चूंकि मुझ पर ये वाक़ेआ गुज़रा था, इसलिए दोबारा लिखा।

क़ुवैत की घटना है। एक बार कस्टम डिपार्टमेंट (पार्सल सेक्शन) गया, अफसर को कार्ड दिखाया कि मेरा पार्सल आया है, उसने कहा इन्तेज़ार करो। वो काउंटर के एक तरफ था और मैं दूसरी तरफ, संयोग से उसकी पार्सल खोलने वाली कैंची मेरी तरफ गिर गई। उसने मुझसे कहा रफीक ना वअलनबी अलमक़्स यानी रफीक कैंची पकड़ा दो। अरबों का ये नियम है कि यूरोपीय देशों के निवासी को ''सैयद'' कहेंगे, अरबी चाहे ईसाई हो या यहूदी उसे ''आख़'' यानी भाई कहेंगे और इंडियन, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, बर्मा वालों आदि को रफीक कहकर सम्बोधित करते हैं। वो हमें पाकिस्तानी कहने के लिए भी तैयार नहीं, वो कहते हैं कि तुम तो रोज़ रोज़ अपने वतन (हिंद) को टुकड़े करो तो हमारे लिए ज़रूरी नहीं कि तुम्हें नए नाम से पुकारें। बस तुम हिन्दी हो और हिंदी ही रहोगे। और हम तुम्हें इसी नाम से पुकारेंगे। गौरतलब है कि शब्द रफीक में एक छिपी हुई भारी गाली भी है, जिसे आम आदमी नहीं जान सकता। और हैरानी की बात ये है कि बांग्लादेश को बन्ग़ला देश कहने में ये लोग कोई मुश्किल महसूस नहीं करते।  

मैंने कहा ऐब अलैक तक़ल्ली रफ़ीक़ माताअर्रफ़ अना अखवका मिन मवालीद लफायतल मौत- बुराई तुम्हारी तरफ रुख़ करे मुझे रफीक कहते हो जबकि मैं जन्म से लेकर मृत्यु तक तुम्हारा भाई हूँ। अपने भाई को नहीं पहचानते?

मेरा ये कहना था कि उसने दो हंटर अपने मुंह पर मारे अक़्क़ाल (सिर वाली काली रस्सी) खुलकर गले में आ गई और उसने रोना धोना शुरू किया। दूसरे अफसर भी इस काउण्टर पर आ गए, अंदर कमरे से मुदीर भी निकल कर आया, उसने कहा, माजिद! क्या बात है?

कहा जनाब हम तबाह हो गए बर्बाद हो गए। अब हिंद में भी हमारे भाई पैदा होने लगे। ये जो सामने हिन्दी खड़ा है ये दावा कर रहा है कि ये मेरा भाई है ...... मुदीर जो वर्दी पहने था और सिगरेट के कश लगा रहा था, मुझसे कहा इतनी ज़्यादती। एक अरब को अपना भाई कहने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मैंने कहा, वल्लाह क़ोरैत फिल क़ुरानल हकीम इन्नमल मोमेनीना उख़्वः पढ़ा था, कुरान में है कि मुसलमान आपस में भाई भाई हैं। और ये भी हदीसे नबी है कि कुल कम अंबाए आदमा व आदमा मिन तोराब- तुम सब आदम की औलाद हो और आदम मिट्टी से बने थे।  

मुदीर ने तीस चालीस आदमियों के सामने सिगरेट का एक जोरदार कश लिया और उसे ज़मीन पर फेंक कर बूट से मसल दिया, कहा, आयतल क़ुरानिया तब्अका दअस्ना मस्लन हाज़ा सजारह हल मआका शी गैरा मन हाज़ा? तेरी कुरानी आयत को तो मैंने इस सिगरेट की तरह मसल दिया इसके अलावा कोई सबूत हो तो पेश करो?

मैंने कहा या सादतुल मुदीर- ऐ जनाबे आला मुदीर आपने आयत का जो हश्र किया इसके बाद अगर मैं कोई सबूत दूं तो अन्फी अहमक़- बेशक मैं मूर्ख होउँगा। कहा औअक (Careful) देर बालक, ध्यान देना खबरदार आगे कभी किसी अरब को भाई मत कहना और दूसरी बात ये सुन लो कि तुमने हदीस गलत पढ़ी कि हम सब आदम की औलाद हैं और आदम मिट्टी से बने थे। ऐसी बात नहीं है। असल बात ये है। कि सैयदना आदम जन्नत से इसलिए निकाले गए थे कि उन्हें शौचालय की ज़रूरत पड़ सकती थी। उन्होंने धरती पर आकर सबसे पहला काम ये किया कि अपनी हाजत पूरी की। तो सैयदना आदम का क़द बहुत लम्बा था, श्रीलंका में उनके कदम के निशान हैं जो (वारवनसफ) यानी डेढ़ गज़ लंबा है। उस हिसाब से उनके मल का एक अच्छा खासा ढेर बन गया। चार पांच दिन बाद सैयदना आदम का इस रास्ते से गुजरना हुआ तो क्या देखते हैं कि इस गंदगी के ढेर में से कीड़े रेंग रेंग कर निकल रहे हैं (कीड़े को अरबी में दोदा बहुवचन दोद- जिस तरह एक यहूदी, बहुवचन यहूद या एक हिन्दी बहुवचन हनूद कहते हैं (फ़रहाद) तो सैयदना आदम ने कीड़ों को देखकर कहा, ''या दोद अन्तुम तकवा हनूद'- ऐ कीड़ो तुम आज से हिंदुस्तानी हो, तो हिंद के सभी लोग पाकिस्तान श्रीलंका आदि सहित सैयदना आदम के मल के कीड़े हैं। असल औलाद हम हैं जो यहाँ आकर पैदा हुए। तक़ूल शी? और कुछ कहना चाहते हो? मैंने कहा अन्ना खुल्लियत अला रब्बी- मैंने अपने रब पर छोड़ा। कहा, यंसी रब्बोका रब माल अरब तबअकुम भगवान- भूल जाओ रब को, रब तो अरब का है, तुम्हारा तो भगवान है। मैंने कहा, अना बशरा मसलोका- मैं भी तुम्हारी तरह इंसान हूँ। कहा, वला अंता बशरम् मिस्लोकुम- न तुम मेरी तरह इंसान हो न मैं तुम्हारी तरह इंसान हूँ।  

पाठकों ये थे पहले दर्जे वाले जीव। दूसरे दर्जे वाले जीव हमारे शासक रहे हैं। ये जब गांवों का या बाढ़ पीड़ितों का चक्कर हेलीकॉप्टर से लगाते हैं, काफिले वाले माल मवेशी तबाहहाल घर बार छोड़ कर ज़िंदगी की तलाश में रवाँ दवाँ पीछे मुड़ मुड़ कर देखते हैं, कभी आसमान की तरफ हेलीकाप्टर को देखते हैं कि शायद रोटी के पैकेट फेंकने वाले आ गए। तो न केवल बाढ़ पीड़ित उन्हें ऊपर वाले समझते हैं बल्कि ये खुद भी यही समझते हैं कि नहनो लैसा बशरम् मिस्लोकुम- हम तुम्हारी तरह इंसान नहीं हैं। हालांकि ये पूरी तरह से हमारी तरह इंसान होते हैं। ये खाते पीते हैं, सोते हैं, हमारी तरह बाथरूम जाते हैं और उनके पसीने से बदबू आती है, ये सारी चीज़े उन्हें एहसास दिलाती हैं कि मत भूलो! कि अल्लाह ने तुम्हें इंसान बनाया है। इंसान ही रहो। भगवान के अवतार मत बनो। एक भगवान अमेरिका में था, अनगिनत मोटरों के अलावा कई हेलीकाप्टरों का मालिक था, दौलत का कोई हिसाब नहीं था, इस वैश्विक प्रतिष्ठा के मालिक को अल्लाह ने  एहसास दिलाया कि तुम सिर्फ इंसान हो, भगवान नहीं हो तो शूगर का मरीज़ बन गया, दूसरे इंसानों की तरह इलाज करवाता रहा।

ज़िंदा मिसाल है, अभी कल की बात है एक व्यक्ति दुनिया के सामने कह रहा था कि मैं किसी से नहीं डरता, मैं कमांडो हूँ, सचमुच उसने अल्लाह से डरना छोड़ दिया था, अब वो हर चीज़ से डर रहा है यहां तक ​​कि न्यायपालिका की इमारत से उसका दिल बैठा जा रहा है। ये है पूरी सच्चाई।  

माना कि जब ये बीमार हो जाते हैं तो अपना इलाज यूरोप और अमेरिका में करवा कर अस्थायी तौर पर मौत को शिकस्त दे आते हैं। जब कानूनी शिकंजे में फंस जाते हैं तो अपने आपको बचाने के लिए माने हुए वकीलों की फौज खड़ी कर लेते हैं। कभी ये फौज काम आती है कभी नहीं भी आती है, फांसी चढ़ा दिए जाते हैं। जब ये महानुभाव लोग बुलेट प्रूफ गाड़ियाँ हर मंत्री के लिए मंगा रहे थे तो मैंने लिखा था- अयनमा तकूनू युदरिककुमुल मौता वलौ कुंतुम फी बोरूजे मोशैयदतिन (4: 78)- तुम जहाँ कहीं भी होगे मौत तुम्हें पा लेगी, तुम मजबूत किलों में पनाह क्यों न लो। पश्तो के महान कवि रहमान बाबा ने इस आयत की क्या व्याख्या की है, फरमाया,  

(अनुवाद) अगर रब ने एक बार तुम्हारा साथ छोड़ दिया, फिर अगर लश्कर तेरे साथ हो, अपने आपको अकेला समझो।

मार्च, 2014 स्रोत: मासिक सौतुल हक़, कराची

URL for Urdu article: https://newageislam.com/urdu-section/tales-arabs’-racial-supremacy-/d/97726

URL for this article: https://newageislam.com/hindi-section/tales-arabs-racial-supremacy-/d/97746

Loading..

Loading..