हुसैन अमीर फ़रहाद
फ़रहाद साहब अस्सलामों अलैकुम, आओ आओ साईँ बाबा, वअलैकुम अस्सलाम जन्नतुल मुक़ाम अच्छा हुआ आप आ गए गपशप होगी, दिल लगेगा, जीवन अच्छा गुज़रेगा। साईं बाबा यह बताओ इस जीवन में किया खोया किया पाया ?। फ़रहाद साहब! दो शब्दों में जवाब है कि जवानी खोई और बदले में बुढ़ापा पाया, और जवानी है किया चीज़ जो साथ छोड़ जाए , बात करो बुढ़ापे की जो कब्र तक साथ देता है। मुश्ताक अहमद यूसुफी ने क्या खूब बात कही है। कहते हैं बुढ़ापे का दौर किया है बे खौफ दौर है। इस उम्र में अगर फिल्म स्टार 'रीमा' मिल जाए तो बूढ़ा आदमी इतना ही कर सकता है कि उसके सिर पर हाथ रख कर लम्बी उम्र की दुआ दे दे। और बूढ़ा आईने का मोहताज नहीं होता कोई दो साल हो गए कि मैं ने आईने में नहीं झांका। अगर आईने ने मुझे झांका हो तो और बात है। खैर हर हाल में अल्लाह का आभारी हूं कि जीवित तो हूँ। हालांकि।
ज़िन्दा हूँ इस तरह से ज़िन्दगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ मगर रौशनी नहीं
न उठा जाए है मुझ से न बैठा जाए है मुझ से
अगर कुछ जाए है मुझ से तो हांपा जाए है मुझ से
साईं बाबा! मेरे सामने रौशनी का रोना मत रोना पूरे में रौशनी (प्रकाश) का अभाव है। खुश हो जाओ कि मौलाना अब्दुल कुद्दूस ने शुक्रवार को खुतबे (उपदेश) में कहा था कि गरीब आदमी जो यहाँ रौशनी (प्रकाश) के लिए तरसता था उसकी कब्र में रोशनी होगी। फ़रहाद साहब! मुझे यहां रोशनी की जरूरत है कब्र में किया मुझे अखबार पढ़ना है? अल्लामा इकबाल ने भी तो बिजली के बारे में कुछ कहा था।
यह इल्म यह हिकमत यह तदब्बर यह हुकुमत
पिते हैं लहू देते है तालीम मसावात
तु क़ादिर व आदिल है मगर तेरे जहाँ में
हैं तल्ख बहुत बन्दा मज़दूर के औक़ात
हम को तो मयस्सर नहीं मिट्टी का दीया भी
घर पीर का बिजली के चराग़ों से है रौशन
शहरी हो देहाती है, मुसलमान है सादा
मानिन्द बतां पूजते है काबे के ब्रह्मन
नज़राना नहीं सूद है पीराने हरम का
हर खरक़ा सालूस के अन्दर है महाजन
हर बड़े छोटे शायर ने बिजली के बारे में कुछ न कुछ जरुर कहा है। फ़रहाद साहब ! किया मिर्ज़ा ग़ालिब ने बिजली के बारे में कुछ कहा है ? उनके जमाने में बिजली का क्या हाल था? हाँ साईं बाबा! उनकी एक बगैर छपी हुई ग़ज़ल तो है यह उन्होंने उस समय कही थी जब बिजली काट दी गई थी।.
यह तो बिजली नहीं बिमारी है
कि अंधेरों का राज तारी है
फिर वही रात दिन अंधेरा है
फिर वही जिन्दगी हमारी है
वापडा के इन ना खुदाओं से
एक फरयाद आह व ज़ारी है
मुझ को ले जा रहे हैं कोने में
कुछ तो है जिस की पर्दा दारी है
हम से बिजली जो कट गई ग़ालिब
इस लिए आज अश्क जारी है
फ़रहाद साहब! यह ग़ालिब वास्तव में ग़ालिब थे या ऐसी है शोहरत हासिल कि थी ?। उन्होंने शादी की थी।
साईं बाबा! उन्हों ने शादी की थी पत्नी का नाम शायद बेगम था, हमारे नज़दीक ही रहते थे गली क़ासीम जान मुहल्ला बल्ली मारान में हम उन के पिछवाड़े रहते थे। आप ने पुछा कि 'ग़ालिब वास्तव में ग़ालिब थे, लगते तो थे आगे अल्लाह जाने हमारे मुहल्ले में एक ही नाम एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी बाद में फरिश्तों ने छोड़ दिया वह जन्नत (स्वर्ग) के किस्से सुना रहे थे उन से किसी ने ग़ालिब के बारे में पुछा था कि किया वास्तव में ग़ालिब थे, उन्हों ने बताया कि लगते तो थे आगे अल्लाह जाने।
फ़रहाद साहब! एक जैसे नाम का किया मामला है ?। साईं बाबा! हमारे मुहल्ले में एक ही नाम के दो व्यक्ति रहते थे, मुंशी जुमा खाँ और कातिब जुमा खाँ। मुंशी जुमा खाँ की मृत्यु हो गई थी यानी स्वर्ग वास हो गया था बाद में जाँच हुई तो पता चला कि रुह (आत्मा) निकालना था कातिब जुमा खाँ का ले आए मुंशी की तो वह किस्से सुना रहे थे कि मिर्ज़ा ग़ालिब वह ग़ालिब नहीं रहे बदल गए हैं।
फ़रहाद साहब! मीर के बारे में कुछ बताया?। हां बताया था कि, फिरते हैं मीर ख्वार कोई पूछता नहीं यह मीर, ग़ालिब और खुशहाल ख़टक खान आदि शराब के नहर के किनारे दरी बिछा कर सुबह से शाम तक बैठे रहते हैं लोटे पर लोटा भर भर कर पीते रहते हैं यहां तक कि स्वर्ग का दारोगा आकर उन्हें उठाते हैं कि बस करो बुजुर्गों! रात हो गई।
फ़रहाद साहब! आजकल टीवी पर शाह साहब का विज्ञापन बहुत आ रहा है उनका दावा है हर मुश्किल का अंत फोन की एक कॉल से समाधान कर सकते हैं, देखा जाए तो यह खुदाई दावे हैं आप के बारे में क्या कहते हैं?। साईं बाबा आप को कोई आपत्ति है? वह कब्रिस्तान में जो पीर पकड़ा गया था उस से माइक ने सवाल किया कि आप कब से यह धंधा कर रहे हैं और कब तक चलाने का इरादा है?। पीर साहब ने जवाब दिया कि जब तक बेवकूफों का अस्तित्व है इस दुनिया में हमारा रोजगार चलता रहेगा।
यानी यह बेवकूफ है जो हमारे जाल में फंसते हैं ये लोग टीवी पर इतने महंगे महंगे विज्ञापन देते हैं तो रोजी रोटी कमाएँ शहर की दीवारें भी गंदी कर रखी हैं इस मुश्किल को क्यों हल नहीं करते नून लीग को आजकल जो मुश्किल पेश हैं मुशर्रफ़ का किया हुआ है, आतंकवादियों से निमटना वज़ीरिस्तान ऑपरेशन का मामला है और इमरान खान को मनाना यह संकट का हल हैं।
अगस्त 2014 स्रोतः माहनामा सुतुल हक़, कराँची
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