डॉक्टर सय्यद शहबाज़ आलम
(उर्दू से अनुवाद: न्यू एज इस्लाम)
१ जुलाई, २०१९
पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर मॉब लिंचिंग की वारदात में वृद्धि हुई है और देश के विभिन्न क्षेत्रों में मॉब लिंचिंग की वारदातें सामने आ रही हैंल अभी हाल ही में झारखंड राज्य के सराए केला जिले के खरसावाँ में तबरेज़ अंसारी के साथ मॉब लिंचिंग की गह्तना सामने आई, लोगों ने उसे पीट-पीट कर मौत के घात उतार दिया l इस घटना के बाद बिहार, बंगाल, झारखंड सहित भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विरोध की आवाज़ ऊँची हुई और इसका सिलसिला अब भी जारी हैl विभिन्न राजनितिक, सामाजिक संगठनों ने इस तरह की वारदात पर कड़े विरोध का इज़हार किया है और किसी ने भी इस तरह की वारदात को सभी समाज के लिए अच्छी बात करार नहीं दिया है, चाहे उन संगठनों का संबंध किसी भी धर्म से क्यों ना हो? हर धर्म में बेगुनाह लोगों का क़त्ल किसी भी हाल में जायज करार नहीं दिया गया है, सारे लोग इस चीज की निंदा करते हैंl
एनडीए १ के दौर में २०१५ में अख़लाक़ का क़त्ल दादरी में केवल इसलिए कर दिया गया था की कुछ शरारती तत्वों ने अफवाह फैलाई थी की उनके घर बीफ पकाया गया हैl इसके बाद से इस तरह का सिलसिला चल पड़ा और गौ रक्षा के नाम पर पुरे देश में जगह जगह गुंडागर्दी शुरू हो गई और सैंकड़ों इस प्रकार की वारदात में मौत के घात उतार दिए गएl सबसे अधिक वारदातें झारखंड में पेश आईं वहाँ भारतीय जनता पार्टी की सरकार हैl इसके अलावा अभी कुछ दिनों पहले इस तरह की वारदात अली गढ़ में भी पेश आईल वहाँ बरेली में पढ़ने वाले क़ासिम पूर पावर हाउस के तालिब इल्म नगर के एक छात्र के साथ कुछ शरारती तत्वों ने बुरा व्यवहार किया और धार्मिक नारे लगा कर छात्र मुजीबुर्रहमान उर्फ़ फरमान को चलती ट्रेन से फेंक दियाल इस मामले में जब से एन डी ए २ सत्ता में है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कड़े शब्दों में देर से ही सही निंदा की थील अभी हाल में पार्लियामेंट के इजलास में भी इस घटना की गूंज सुनाई दी और विभिन्न मेम्बरों ने इस प्रकार की वारदात की निंदा कीl
प्रश्न यह उठता है की आखिर प्रधानमंत्री के अलावा विभिन्न सरकारी अधिकारियों
की ओर से कड़ी कार्यवाही का आश्वासन देने के बावजूद इस तरह की वारदात थमने का नाम
क्यों नहीं ले रही है? आखिर वह कौन से लोग हैं जो कानून को अपने हाथ में ले कर देश
में अराजकता और साम्प्रदायिक पदों पर समाज में घृणा फैलाने का प्रयास कर रहे हैंल
कुछ लोगों का मानना है की प्रभावितों के साथ न्याय नहीं किया जा रहा हैl इसकी वजह
से बदमाशों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैंl अभी हाल ही में पहलू खान पर अत्याचार
के बाद उनके संबंधियों पर चार्जशीट दाखिल कर दिया गया जब कि पहलू खान के हलाक करने
वालों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गईल इस मामले पर मौलाना आज़ाद
यूनिवर्सिटी कुलपति प्रोफेसर
अख्तरुल वासे ने कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए इसे अन्याय ठहराया हैl बताया जाता
है कि राजस्थान पुलिस की ओर से पहलू खान और उनके २ बेटों के खिलाफ फर्दे जुर्म
दाखिल की गई हैl इस तरह की वारदात जहां ज़ख्मों पर नमक छिड़कती है वहीँ अपराधियों के
दोषियों के अंदर प्रशासन से नफरत पैदा करती हैंल दुनिया इस बात की गवाह है की जब
जब लोगों के साथ अन्याय हुई है वहाँ से हिंसा फूट पड़ा हैl दुनिया के विभिन्न देश इस बात के गवाह हैं की जब जब
निर्दोषों के खिलाफ कार्यवाही की गई और उन्हें क़त्ल व गारत गरी का निशाना बनाया
गया तब तब कहीं ना कहीं समाज में बेचैनी की फिज़ा कायम हुई हैl
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एन डी ए को देश की जनता ने बड़े पैमाने
पर वोट दे कर दोबारा सत्ता सौंपा है और इस सरकार से लोगों की आशाएं काफी बढ़ी हैंl
लोग चाहते हैं की वह मौजूदा प्रबंधन में अमन व चैन के साथ जी सकें और अपने कारोबार
कर सकेंल आज आवश्यकता इस बात की है की ऐसे लोगों पर सख्त लगाम लगाई जाए जो समाज
में अशांति और अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैंl खास तौर पर उन लोगों के खिलाफ
सख्त कार्यवाही होनी चाहिए जो लोग धर्म के नाम पर हिंसा बरपा करते हैंl हैरत तो इस
बात पर है कि कोई धर्म हिंसा और घृणा नहीं सिखाता आखिर इसके मानने वाले घृणा का
माहौल क्यों कायम कर रहे हैं? इसका अर्थ यह है कि जो लोग घृणा और क़त्ल में लिप्त
हैं उनका संबंध किसी भी धर्म से नहीं हैl इसलिए उन्हें
सख्ती से कुचलने की आवश्यकता है ताकि समाज को एकजुट रखा जा सकेल आज अगर समाज का
ताना बाना बिखर गया तो देश में खुशहाली और अमन के साथ साथ भारत को विकास के रास्ते
पर तेज़ी से ले जा कर विकसित देशों की सफ में शामिल करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी और विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक संगठनों का ख्वाब अधूरा रह जाएगा और देश में
नफरत और फूट का माहौल कायम हो जाएगाल केन्द्रीय सरकार के पास आज भरपूर बहुमत है
इसका प्रयोग उसे समाज को जोड़ने के लिए करना चाहिए और समाज को तोड़ने वालों को कीफर
ए किरदार तक पहुंचाना भी इसका कर्तव्य हैl हम आशा करते हैं की सरकार अपने कर्तव्य निभाने में सफल
साबित होगी क्योंकि प्रधानमंत्री ने हाल ही में स्पष्ट कर दिया है की समाज के अंदर
धर्म, संप्रदाय या जाति के नाम पर फूट डालने की कोई गुंजाइश नहीं होगीl
१ जुलाई, २०१९, सौजन्य से: रोज़नामा सहारा, नई दिल्ली
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