अता बनारसी
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
10 जून 2010
समय जब भी करवट लेता है उसके साथ साथ हर चीज में परिवर्तन पैदा होती है, समय के साथ साथ इंसान भी बदल जाता है और यह परिवर्तन केवल नौजवान नस्ल पर ही नहीं बल्कि हर आयु के लोगों में नुमाया होती है। यह अब हमारे उपर निर्भर होता है कि हम इसको नकारात्मक तौर पर स्वीकार करें या सकारात्मक रवय्या अपनाएं। ऐसे मौके पर हमें जहां तक संभव हो सकारात्मक पहलु ही देखना चाहिए। आज आधुनिक तकनीक, कंप्यूटर, इंटरनेट और मोबाइल फोन का दौर है। कदम कदम पर हम इन आधुनिक यंत्रों से घिरे हुए हैं, मिंटों और सेकेंडों में हम अपनी बात को दुनिया के एक कोने से दुसरे कोने तक पहुंचा देते हैं। किसी भी विषय से संबंधित एक बटन दबाया सैंकड़ों मवाद हमारे सामने खुल कर आ गए। 1973 में जब मार्टिन कोपर ने 2 किलो ग्राम का पहला दस्ती फोन अविष्कार किया तो उसकी कल्पना में भी नहीं रहा होगा कि भारत में उसके अविष्कार किये हुए मोबाइल का अनुपात एक सर्वे के अनुसार ट्वायलेट से अधिक होगा। जहां आधुनिक सूचना तकनीक ने हमें आधुनिक जानकारी नित नए लेख प्रदान किये हैं वहीँ पर हमारे समाज को नग्नता, बेहयाई, अनैतिकता का नकारात्मक प्रभाव भी दे रहा है।
आज जिस दौर में हम सांस ले रहे हैं हमारी जिंदगी इन आधुनिक यंत्रों से बंधी हुई है, ऐसी सुरत ए हाल में तकनीक से मुंह मोड़ना अपने आप को अपाहिज और लाचार बना लेना है। जो किसी भी तरीके से उचित नहीं है। इसलिए हमें नकारात्मक प्रभाव से परे इन यंत्रों से सकारात्मक तौर पर लाभ उठाना चाहिए।
इंटरनेट की दुनिया में पिछले दस सालों में काफी कुछ परिवर्तन सामने आए हैं, दिन भर चैटिंग और सर्फिंग करने वालों को काफी सहूलत मिली हैं। अपनी बात को दूसरों तक पहुंचाने और अपने विचारों से दूसरों को अवगत करने वालों ने इस नित नई अविष्कारों का खूब खूब उपयोग किया है और कर रहे हैं। दोस्त चाहे अमेरिका में हों, या दिल्ली में। आफिस में छुट्टी की अर्ज़ी देनी हो या बर्थ डे की मुबारकबाद, मिंटों में हो जाता है। डॉक्टर जाकिर नाइक हों या स्वामी आचार्या फादर जॉन सब अपने ब्लॉग के माध्यम से सवाल व जवाब का सिलसिला जारी रखे हुए हैं। राजनितिक नेता रहमान मलिक या पी चिदम्बरम, फिल्म स्टार शाहरुख हों, प्रियंका चोपड़ा, या शशी थरूर या फिर ललित मोदी अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने के लिए अब इन प्रसिद्ध हस्तियों को मीडिया की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। यह इंटरनेट की दुनिया में आधुनिक अविष्कारों वेब 2.0 का कमाल है जिसने फेसबुक, आर्कुट, ट्विटर, माई स्पेस और बज़ जैसी आसान सहुलतें दे कर जानकारी और प्रकाशन का मतलब ही बदल दिया है। वेब 2.0 अर्थात इंटरनेट की दूसरी जनरेशन, पहली जनरेशन वह थी जब वेब साइंस की सारी सूचि से ही तय हुआ करती थीं। आप केवल लॉग इन करते और आप पढ़ना शुरू कर देते थे। इससे संबंधित तमाम विवरण आपके सामने आ जाती थीं। अधिक से अधिक आप इमेल के माध्यम से संबंध कायम रख सकते थे। वेब 2.0 ने इंटरनेट के उपर्युक्त तरीकों को बदल कर रख दिया है। इंटरनेट की इस नई जनरेशन में आपको क्या पढ़ना है और क्या देखना है यह सब हम और आप तय करते हैं। फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, पीकासा, फ्लिकर, आर्कुट, यूट्यूब यह सभी इंटरनेट के दुसरे जन्म के तौर पर दूसरी जनरेशन में शामिल हैं। इन सभी प्रोग्रामों में वेब साईट बनाने वालों ने अपने प्लेटफ़ॉर्म बना कर दिए हैं जिन पर क्या लिखना है? क्या पढ़ना है? क्या फोटो लोड करना है? और क्या वीडियो डालने हैं? वह सब आप और हम अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कर सकते हैं। इंटरनेट की इस नई शक्ल में कम्युनिकेशन के सबसे बड़े टोल के तौर पर उभर रहे हैं फेसबुक, ट्विटर और गूगल बज़, निम्न में इन तीनों टोल्ज़ का संक्षिप्त परिचय पेश किया जाता है।
फेसबुक (www.facebook.com)
लगभग 40 करोड़ यूज़र जिनमें से 70 प्रतिशत अमेरिका के बाहर। अंग्रेजी, हिंदी सहित 70 भाषाओं में उपलब्ध है। 6 साल पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र मार्क जुकर बर्ग, डस्टिन मास्कोज़ और क्रिस हियुज़ ने हास्टल रूम में मिल कर फेसबुक (facebook) को तैयार किया था। आज सबसे अधिक लोग इसी पर दोस्तों और रिश्तेदारों से संबंध का ज़रिया बनाए हुए हैं। इसके उपयोग करने वालों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि यहाँ तक माना जा रहा है कि फेसबुक की वजह से कुछ सालों में इमेल का वजूद ही ख़त्म हो सकता है। फेसबुक (facebook) पर लॉग इन करने के बाद होम पेज (Home Page) पर सबसे उपर लिखा आता है। what’s in your mind (अर्थात आप क्या सोच रहे हैं) ज्यादा से ज़्यादा आप ४२० शब्दों पर आधारित अपनी बात टाइप कर दीजिये, अब जितने लोग भी आपके दोस्तों की सूचि में होंगे उन तक आपकी बात पहुँच जाएगी। बस यहीं से आपके विचारों पर बहस की शुरुआत हो जाएगी। आपके दोस्त इस पर जो कमेंट (Comment) करेंगे वह उनके दोस्तों को भी दिखाई देगा। इस तरह संबंधों की एक लंबी कड़ी शुरू हो जाती है।
ट्यूटर (www.twitter.com)
इंटरनेट का एस एम् एस लगभग 75 करोड़ यूजर्स हैं। ब्रिटनी की इस्पियर्स, शाहरुख खान, प्रियंका चोपड़ा, शशी थरूर और अलगोर जैसी तमाम हस्तियाँ रोज़ ट्विटर पर अपनी बात कहती हैं। 2006 में अमेरिका में चेक ड्रासी नाम के एक छात्र ने मैसेजिंग (massaging) प्लेटफोर्म को शुरू किया था और आज यह छोटी सी बात कह कर बहुत बड़ी बहस छेड़ देने का टोल बन गया है। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है जहां से अपनी बात कहने के बाद फिर इसे दूसरों तक पहुंचाने की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि मीडिया और दुसरे माध्यम वहाँ से उनकी बातें खुद ले कर दुनिया के सामने पेश कर देते हैं। जिसके बाद इसकी गूंज से अवाम और मीडियाई हलकों में नहीं बल्कि संसद में भी गूंजती सुनाई देती है।
हालिया दिनों में फेसबुक पर नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तौहीन आमेज़ खाकों के प्रकाशन के बाद पाकिस्तान में जो हंगामा हुआ और फेसबुक के खिलाफ पाकिस्तानी अवाम ने जो प्रदर्शन किये जिसके बाद पाकिस्तान में सरकार ने फेसबुक पर पाबंदी लगा दी है वह इस बात का सबूत है कि इस आधुनिक इन्फार्मेशन की जानकारी रखना और इनसे जुड़ना हमारे लिए बहुत आवश्यक हो गया है ताकि हम इस्लाम के दुशमनों की नापाक इरादों पर बंदिश लगा सकें।
ट्विटर (twitter) और फेसबुक (facebook) के बीच फर्क यह है कि फेसबुक (facebook) एक बड़ा शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म है जहां आप कई तरह से बातें शेयर कर सकते हैं। जबकि इसके विपरीत ट्विटर (twitter) पर केवल 140 शब्दों में ही आप अपनी बात कह सकते हैं। आपके ट्विटर नेटवर्क से जुड़े लोगों की स्क्रीन पर संदेश फ़ौरन पहुँच जाता है। ट्विटर (twitter) पर दोस्तों की सूचि दो तरह की होती है। फौलोइंग (Following) और फौलोवर्स (Followers)। आप जिनके फौलोवर है उनका संदेश आपकी स्क्रीन पर आएगा। जो आपके फौलोवर हैं उन्हें आपके संदेश मिलेंगे। जैसे शशी थरूर को 684 लाख से अधिक लोग फौलो कर रहे हैं उन सबके ट्विटर पेज पर शशि थरूर का हर संदेश आता है। लेकिन थरूर खुद 31 लोगों को ही फौलो करते हैं। ट्विटर के अंदर एक सबसे अच्छा फीचर ट्रेंड्स है। यहाँ पर आपको उन लेखों की सूचि उपलब्ध होती है जिस पर सबसे अधिक लोग बहस कर रहे हैं। इस सूचि को भी आप इलाकाई तौर पर देख सकते हैं। जैसे अमेरिका में इस वक्त ट्विट हो रहे दस सूचि विषय की हैं अर्थात आप मालुम कर सकते हैं कि देश के किस शहर के लोग सबसे अधिक मुद्दे पर क्या बात कर रहे हैं? माध्यमों के अनुसार एक लम्बे समय तक फेसबुक से जुड़े रहे पाक गृहमंत्री रहमान मालिक ने भी पाकिस्तान में फेसबुक पर लगी पाबंदी के बाद ट्विटर पर अकाउंट शुरू कर दिया है। इसे ट्विटर की मकबूलियत कहें पाकिस्तान हुकूमत के माध्यम से लगाई गई पाबंदी का असर। यही नहीं अब रहमान मालिक की इच्छा है कि हमारे गृहमंत्री पीचिदम्बरम भी ट्विटर पर आ जाएं।
ट्विटर (twitter) टोल ने संबंधों की सारी हदों को तोड़ दिया है। इसके जरिये आप सीधा अवाम की बात सुन सकते हैं और अपनी बात उन तक पहुंचा सकते हैं। ऐसा इंटरनेट की दुनिया में आज तक नहीं हुआ था लेकिन अमेरिका के जेक ड्रासी नामक छात्र ने (twitter) नामक इस इंटरनेट की नई जनरेशन को इजाद कर के अब तक की इंटरनेट की दुनिया का नक्शा ही बदल कर रख दिया और ट्विटर जैसा आसान और अवामी वेब इजाद कर के इतिहास रच दया है। (www.google.com/buzz)
यह इंटरनेट की दुनिया में सबसे नया है। जीमेल (G-mail) के साथ जुड़ा है। इसमें फेसबुक (facebook) और ट्विटर (twitter) कंबिनेशन (combination) बनने की कोशिश की गई है।
गूगल (google) ने इसी साल 9 फरवरी को लांच किया था। जी मेल के साथ जुड़े बज़ (Buzz) के जरिये भी आप अपने फौरी पैगामात, फोटो, ब्लॉग, पिकासा, अकाउंट की तस्वीरें, ट्विटर के वेब डेंस और यु ट्यूब के वीडियो जैसी तमाम चीजें दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। बज़ (Buzz) का इस्तेमाल करने वालों को एक मसला दरपेश रहता है कि उनसे वही लोग जुड़ सकते हैं जो जी मेल (Gmail) का इस्तेमाल करते हैं।
आधुनिक युग की इन नित नई अविष्कारों में जितनी बढ़ोतरी और विकास हो रही हैं और जितना आदमी के सामने मालूमात और उसकी सलाहियतों को निखारने का मौक़ा मिल रहा है उतना ही इन नए अविष्कारों के अंदर बिगड़ने और भटकने के खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। इसी लिए इंटरनेट और इससे संबंधित सूचना का उपयोग करने वालों को हस्सास होने और नकारात्मक पहलुओं से नज़र हटा कर सकारात्मक लाभ से ही संबंध रखना चाहिए। यह नए अविष्कार हमारी आज की रोज़मर्रा की एक ऐसी जरूरत और एक अभिन्न अंग बन चुकी हैं जिससे संबंध तोड़ कर हम अपनी जिंदगी नहीं गुजार सकते।
Urdu Article: Renaissance Of The Internet World انٹر نیٹ کی دنیا کا نشاۃ
ثانیہ
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