अरशद आलम, न्यू एज इस्लाम
10 मार्च, 2017
उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन में हालिया विस्फोट और इस के बाद उत्तर प्रदेश और अन्य इलाकों में होने वाली गिरफ्तारियों से एकबार फिर भारत में आइ एस आइ एस कीउ पस्थिति पर बहस का प्रारम्भ होचुका है। इस बहस की प्रकृति केवल तार्किक और आतंकवाद के बुनियादी ढांचे तक ही सीमित नहीं है, लेकिन इस में ऐसी आतंकवादी गतिविधियों के मूलकारण को भी शामिल हैं।अगर कथित घटना को वास्तव में आइ एस आइ एस ने अंजाम दियाहै, तो हमारे पास परेशान होने के कईकारण हैं। हमें शांतिपूर्ण' मुस्लिम' परंपरा के बारे में फिरसे सोचने की जरूरत है और समझना चाहिए कि उनके अंदर कट्टरपंथी तत्व कैसे शामिल हो रहा है। लेकिन वर्तमान तथ्यों के पेशे नज़र शायद अभी ऐसी तंबीह की ज़रूरत नहीं हैl जबकि दूसरी ओर हमें संतुष्ट होने की भी कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि दहशतगर्दी का इर्तेकाब करने के लिए पुरे हिन्दुस्तानी मुसलमानों की ज़रूरत नहीं है बल्कि केवल मुट्ठी भर कुछ लोग ही इस काम को अंजाम दे सकते हैं इसलिए हमें एक समाज के तौर पर ऐसी संभावनाओं से होशियार रहने की ज़रूरत हैl
अब तक वर्तमान तथ्य इतने स्पष्ट नहीं हैं कि इसका सर रिश्ता आइएसआइएस के साथ जोड़ा जाएl ट्रेन धमाके की प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि संभावित रूप से हो सकता है कि यह हादसा बिजली सार्ट सर्किट की वजह से पेश आया होl लेकिन इसके बावजूद कथित तौर पर लखनऊ में एक आइएसआइएस के दहशतगर्द को गिरफ्तार किया गया हैl और कुछ दुसरे व्यक्तियों की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विभिन्न स्थानों से भी अमल में आई है लेकिन पुलिस अब तक उन धमाकों का संबंध उनसे साबित नहीं कर सकी हैl रिकार्ड में अभी तक कुछ ऐसा नहीं आ सका है जिससे पता चले कि ट्रेन धमाके में वही लोग शामिल हैं जिनहें गिरफ्तार किया गया हैl और ना ही पुलिस अभी यह बताने की स्थिति में है कि सैफुलाह कि जिसका क़त्ल लखनऊ में हो चुका है, मध्य प्रदेश में पेश आने वाले ट्रेन हादसे से किसी भी प्रकार जुड़ा हुआ थाl हमें अभी केवाल यही पता है कि हो सकता है कि यह दो अलग अलग घटना हों और उनका एक दुसरे से कोई संबंध ना होl तथापि यह कोई मामूली समस्या नहीं हैl हालाँकि उन दोनों घटनाओं के बीच कोई संबंध नहीं है, लेकिन यह दोनों घटनाएँ गंभीर प्रकार की हैं और अभी उन हथियारों के बारे में मामला स्पष्ट होना बाकी है जो मृत आतंकवादी सैफुल्लाह की जगह से बरामद हुए हैंl पूरीजांचकेबादही यह पता चाल सकता है कि वह हथियार कैसे प्राप्त किए गए थे और उनका उद्देश्य क्या थाl
लेकिन फिर जैसा कि हम ने देखा कि हमारे कुछ राजनीतिज्ञों और पुलिस अफसरों के बीच सब्र का पूरा अभाव हैl मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ही कुछ घंटों के अंदर यह दावा कर दिया कि इन हमलों में हिन्दुस्तान के अंदर सक्रिय आइएसआइएस कार्यकर्ताओं का हाथ है और उनहें इसकी हिदायत बराहे रास्त शाम से मिल रही थींl चूँकि आइएसआइएस पहले से ही शाम में सक्रीय है इसी लिए यह बात कुछ हद तक गैर माकूल मालूम होती है लेकिन रियासत के मुख्यमंत्री का बयान होने की वजह से लोगों ने उसे गंभीरता से लियाl पुलिस फ़ोर्स के कुछ मेम्बर शिवराज सिंह चौहान के स्टैंड कासमर्थन करते हुए मालूम हो रहे थे, लेकिन इसके बाद सीनियर पुलिस अफसरों नें इस बयान को रद्द कियाl यूपी पुलिस के अनुसार इस मामले की हकीकत यह सामने आई है कि गिरफ्तार किए गए और मारे जाने वाले व्यक्तियों का संबंध एक ऐसे नेटवर्क से है जो आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रतिबद्ध हैl लेकिन पुलिस ने स्पष्ट तौर पर इस बात से इनकार किया है कि उनका कोई भी संबंध आइएसआइएस से हैl बल्कि उनका मानना यह है कि यह आन लाइन मवाद से बुनियाद परस्ती का शिकार होने वाली आइएसआइएस से प्रभावित कोई अलग जमात हो सकती हैl संक्षिप्त यह कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे यह पता हो कि उनहें शाम में आइएसआइएस से निर्देश या आर्थिक मदद मिल रही थीl
इस मामले में मीडिया की पेश कदमी दरअसल किसी के लिए भी लाभदायक साबित नहीं हो सकीl हिन्दुस्तान में ‘आइएसआइएस’ पर मीडिया के भड़काऊ बयान और जांचएजेंसियां की तरफ से कथित दहशतगर्दों की प्रोफाइल की जांच प्रारंभ होने से पहले उनके इस नतीजे पर पहुँचने से केवल हिन्दुस्तानी आबादी के एक वर्ग के बारे में नकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा मिला हैl और ऐसा इसलिए भी हुआ कि इसी मीडिया नें उस समय जानबूझ कर पुरी खामोशी का प्रदर्शन किया जब भाजपा के मध्य प्रदेश यूनिट के कुछ मेंबर के कथित तौर पर आइएसआइएस के साठ संबंध सामने आए थे या जब अजमेर धमाके के केस में आर एस एस के कुछ मेंबरों को मुजरिम करार दिया गया थाl यह मुनाफिकत केवल उस कल्पना को मजबूत करती है कि मीडिया पक्षपातपूर्ण है और यह एक एजेंडे पर कारबंद है जिससे मुस्लिम बिरादरी की हौसला शिकनी होती हैl
कुछ प्रेक्षकों का यह भी दावा है कि चूँकि इस घटना का कोई संबंध आइएसआइएस के साठ नहीं है, इसलिए इसके बारे में चिंतित होने की ज़रूरत नहीं हैl ऐसे इत्मीनान पर भी सवाल उठाने की ज़रूरत हैl यह वास्तविकता ख़ास तौर पर मुसलमानों के लिए चिंता का कारण होना चाहिए कि पुलिस ने एक भारी मात्रा में हथियार बरामद किया है और यह कि जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है उनकी योजना तबाही और हिंसा फैलाने का थाl अगर आइएसआइएस नहीं तो वह किसी दुसरे आतंकवादी संगठन के सदस्य हो सकते हैंl अगर वह किसी भी आतंकवादी संगठन से संबंध रखते हैं तो इससे क्या फर्क पड़ता है? असल बात यह है कि मुस्लिम समाज में ऐसे दृष्टिकोण को बढ़ावा पाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और हर समय इसके संभावना को अस्वीकार करने के बजाए इसके बारे में मुस्लिम समाज को कुछ करना जरुरी हैl यह पहली बार नहीं है कि जब भारत में आइएसआइएस की मौजूदगी के बारे में डर सामने आया हैl भारत के दुसरे भागों से सबूत के साठ कुछ रिपोर्टें ऐसी भी आई हैं जिनसे यह मालूम होता है कि किस प्रकार कुछ मुसलामानों को आन लाइन बुनियाद परस्त बनाया गया है और शाम जाने के लिए कुछ लोगों नें अपनी मर्ज़ी का भी इज़हार किया हैl यह दलील निरर्थक है कि यह कुछ ही हैंl क्योंकि आतंकवाद के हमलों को अंजाम देने के लिए केवल कुछ लोगों की ही ज़रूरत होती है और इसके बाद की दास्तान सब पर मुन्तबक होती हैl
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