अफ़ज़ल ख़ान
19, नवम्बर 2014
सऊदी अरब से प्रकाशित अखबार वतन में इस्लामी सहयोग संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने इस्लाम फ़ोबिया से की आवश्यकता पर बल देते हुए विश्व समुदाय से मांग की है कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ कथित अपमानजनक कदम को रोकने विभिन्न सभ्यताओ में आपसी टकराव को रोकने के लिए क़दम उठाये जाए .
आतंकवाद एक जटिल समस्या है उसका किसी देश, धर्म और नागरिकता से कोई संबंध नहीं है और सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस्लामी देशों और मुस्लिम आतंकवाद का सबसे निशाना बने हीं.इस्लाम फ़ोबिया के शिकार पश्चिमी देशों का यह रवैया घटना सितंबर के बाद तीव्रता अधिकार कर गया, खासकर अमेरिकी समाज में असहिष्णुता और धार्मिक सहिष्णुता तेजी से समाप्त होना शुरू हुई नाइन इलेवन की घटना के बाद मुसलमानो के खिलाफ एक दुष्प्रचार शुरू कर दिया गया और एक रणनीति के तहत इस्लाम को बदनाम करना शुरू कर दिया गया .
पूरी दुनिया जिस तरह इस्लाम मुखालिफ हो गयी है खास तौर से अमरीका , उरोप, इंग्लॅण्ड आदि मुल्के ऐसा लग रहा है जैसे साड़ी दुनिया इस्लाम फोबिया का शिकार हो गयी है उन्हें सोते जागते इस्लाम से चीड़ होने लगा है . पूरी दुनिया देख रही है के जिस तरह से दूसरे मुल्क इस्लाम को बदनाम कर रहे है इस्लाम धर्म उतनी ही तेजी से फैलता जा रहा है और उन की संख्या में विर्धि हो रही है . हम ये कह सकते है के आज सिर्फ इस्लाम ही एक ऐसा मजहब है जो सब से तेजी से फ़ैल रहा है.
इस्लाम फ़ोबिया मुख्य कारणों में सबसे बड़ा कारण गैर मुसलमानों का इस्लाम में दाख़िल होना और मुसलमानों की तेजी से बढ़ती संख्या है। इंगलिस्तान और ोलीज़ में ताजा जनगणना के विश्लेषण के अनुसार पांच साल तक की उम्र के हर दस बच्चों में से एक मुसलमान है, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार साढ़े चार साल तक की उम्र के कुल साढ़े तीन लाख बच्चों में से लगभग तीन लाख बीस हजार बच्चे मुसलमान हैं, मुसलमान बच्चों की दर 9 फीसदी है, ाोकसतुरड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड को लीमन ने कहा कि उक्त आंकड़े आश्चर्यजनक है, समय दराज से इंगलिस्तान मुसलमानों को शरण दे रहा है, पहले यहां पाकिस्तान बांग्लादेश और भारत मुसलमान आया करते थे लेकिन अब अफ्रीकी देशों और मध्य पूर्व से भी मुसलमान इंगलिस्तान का रुख कर रहे हैं।
अमरीका में मुसलमानों की आबादी 30 लाख बताई गई जो 2030 ई। तक बढ़कर 60 लाख 20 हजार तक पहुंच जाए गी.श्माली अमेरिका में 1990 से 2010 तक मुसलमानों की आबादी में 91 प्रतिशत की गति से वृद्धि हुई और मुस्लिम लोगों की संख्या 10 लाख 80 हजार से बढ़कर 30 लाख 50 हजार तक पहुंच गई जबकि आने वाले बीस वर्षों में उत्तरी अमेरिका में मुस्लिम लोगों की संख्या 80 लाख 90 हजार होने की संभावना हे.बर्तानिया में मुसलमानों की आबादी 20 लाख 30 हजार से बढ़कर 50 लाख 60 हजार और फ्रांस में 40 लाख 70 हजार से बढ़कर 60 लाख 90 हजार के करीब पहुंच जाएगी जबकि फ्रांस में उस समय भी मस्जिदों की संख्या खतोलक चर्च से अधिक है .2010 ई तक यूरोप में मुसलमानों की आबादी 5 करोड़ के करीब थी जो 2030 तक बढ़कर 6 करोड़ के करीब पहुंच जाए गी.तुरम ऑन रिलजन एंड पब्लिक लाइफ नामक एक अमेरिकी संस्था की ओर से बेन ालमज़ाहब दर जनसंख्या का एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें के अनुसार 2030 में जब दुनिया की आबादी लगभग 8 अरब 3 करोड़ से अधिक जायेगी तो उस समय दुनिया में मुसलमानों की आबादी 2 अरब 20 करोड़ होगी।
मीडिया और सामाजिक मीडिया के कारण दुनिया सिमट गई है और मनुष्य का आपस में संपर्क और हाल बहुत आसान हो गया है इसलिए दुनिया जहां एक जेब में जगह पा लेती है तब किसी के लिए तथ्यों को जानना मुश्किल नहीं रहा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुसलमानों के खिलाफ पश्चिमी मीडिया का प्रचार सारी संसाधनों के बावजूद बेअसर हो रहा है, जो ताजा उदाहरण गाजा में पश्चिमी मीडिया का पक्षपातपूर्ण रवैया था जिसमें दुनिया एकतरफ़ा खबर दी जा रही थी, लेकिन जब सामाजिक मीडिया के माध्यम से वास्तविक तथ्यों और तस्वीरें सामने आईं तो वास्तव लाख छिपाने के बावजूद असफलता का सामना करना पड़ा और पश्चिम को शर्मिंदगी मिली।
इस्लाम फ़ोबिया के शिकार, चरमपंथ तत्वों से मस्जिदों पर हमले, गस्ताखाना रसूल और कुरान का अपमान जैसी घटनाओं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम देकर मुस्लिम उम्मा के खिलाफ घृणा परवान चढ़ाने का मौका पश्चिम देशो ने खुद प्रदान किया है. जिसके बाद इन देशों ने पढ़ी लिखी जनता ने अपने आप इस्लाम का अध्ययन शुरू किया और प्रकाश प्राप्त करने वालों को अल्लाह तआला ने रास्ता दिखाया कि अब यह कहा जा रहा है, अगले कुछ वर्षों में यूरोप मुसलमानों द्वारा नगें इसलिए हो क्योंकि इस्लाम तलवार से नहीं बल्कि विचारों से तेजी के साथ फैल रहा है। मुसलमानों के खिलाफ एकतरफा प्रचार करके उन्हें चरमपंथी, उग्रवादी और आतंकवादी सिद्ध करने के लिए बार बार मुस्लिम देशों में रोमांच की जाती है लेकिन जितनी शक्ति से पश्चिम इस्तेमारी कूतें आक्रामकता करती हैं उन्हें उसी शिद्दत के साथ हार का सामना करना पड़ता है ।
Source: http://khabarkikhabar.com/archives/1090
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