ब्रजेश उपाध्याय, BBC
28 अप्रैल 2015
पिछले कई महीनों से अमरीका के कुछ शहरों में बसों और रेलवे स्टेशनों पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ जारी पोस्टरों का जवाब आज दो मुसलमान हास्य कलाकार न्यूयॉर्क शहर में कुछ अपने अंदाज़ में दे रहे है.
दी मुस्लिम्स ऑर कमिंग! (मुसलमान आ रहे हैं) नाम की डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली नेगीन फ़रसाद और उनके साथी डीन ओबेदुल्ला न्यूयॉर्क के 140 सबवे स्टेशनों पर पोस्टर लगा रहे हैं.
नेगीन फ़रसाद और डीन ओबेदुल्लाजो के शब्दों में "नफ़रत नहीं प्यार बढ़ाएगा और शायद थोड़ा हंसाएगा भी.”
मिसाल के तौर पर एक पोस्टर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है, "सावधान, मुसलमान आ रहे हैं". और उसके नीचे थोड़े छोटे अक्षरों में लिखा हुआ है: “और वो इतनी ज़ोर से गले लगाकर हमला करेंगे कि आप अपनी दादी को फ़ोन लगाकर कहना चाहेंगे कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं.”
बीबीसी से बातचीत में नेगीन फरसाद ने कहा, “अगर आप कोई पोस्टर देख ही रहे हैं तो क्यों न उसे देखकर आप हंसें? उससे नफ़रत से कहीं ज़्यादा मनोरंजन होगा.”
आतंकवाद से जोड़ता पोस्टर
एक दूसरे पोस्टर में लिखा हुआ है, "सभी आतंकवादी मुसलमान हैं. और मुसलमान शब्द को काट कर लिखा गया है "सरफिरे हैं.” और फिर ब्रैकेट में लिखा गया है: (ये ज़्यादा सही है)
पिछले अक्टूबर से ही न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और फ़िलाडेल्फ़िया में कुछ गुटों ने इस्लाम और मुसलमानों को आतंकवाद से जोड़ते हुए पोस्टर जारी किए जिनमें लिखा था,"मुसलमानों को यहूदियों से नफ़रत करना क़ुरान में भी सिखाया गया है. अमरीका से दो तिहाई मदद इस्लामी देशों को जाती है, उसे बंद करो.”
एक अन्य पोस्टर में एक मुसलमान दिखने वाला नौजवान कह रहा है, “यहूदियों को मारना एक ऐसी इबादत है जो हमें अल्लाह के क़रीब ले जाती है.” और फिर उसके नीचे लिखा गया है, ”ये उसका जिहाद है, आपका (जिहाद) क्या है?”
कुछ लोग इस तरह के भड़काने वाले पोस्टरों के ख़िलाफ़ अदालत में भी गए थे. लेकिन इस हफ़्ते न्यूयॉर्क की एक अदालत ने अमरीका में फर्स्ट अमेंडमेंट के तहत बोलने की आज़ादी का हवाला देते हुए उसे खारिज कर दिया.
अब वो गुट न्यूयॉर्क में नए सिरे से इस तरह के और पोस्टर लगाने जा रहा है.
उन्होंने इस पर लगभग एक लाख डॉलर ख़र्च किए हैं.
मंजूरी में लंबा वक्त
पोस्टर बनाने वाले नेगीन फ़रसाद का कहना था कि उन्होंने इसका जवाब देने के लिए अक्टूबर में जब न्यूयॉर्क प्रशासन से बात की तो बताया गया कि उन्हें इसकी इजाज़त तो मिलेगी लेकिन इसमें कम से कम 20,000 डॉलर का ख़र्च आएगा.
नेगीन फरसाद और उनके साथी डीन ओबेदुल्लाह ने इंटरनेट के ज़रिए चंदा जमा करने की शुरूआत की.
ओबेदुल्लाह कहते हैं, “दो दिनों के अंदर ही हमारे पास पैसे जमा हो गए और चंदा देनेवालों में मुसलमान, यहूदी, बौद्ध और नास्तिक सभी शामिल थे.”
लेकिन ये दोनों कॉमेडियन अपने पोस्टरों में जिस तरह की बातें लिखना चाहते थे, उनकी मंज़ूरी लेने में उन्हें इतना वक़्त लगा और अब जाकर वो 28 अप्रैल को न्यूयॉर्क के स्टेशनों पर ये पोस्टर लगा रहे हैं.
ये पोस्टर अगले तीस दिन तक लगे रहेंगे.
सोशल मीडिया
नेगीन कहती हैं, “हमने अपनी वेबसाइट पर 13 पोस्टर छापे और लोगों से उनमें से छह चुनने को कहा. जिन पोस्टरों को सबसे ज़्यादा वोट मिले उन्हें इन 140 स्टेशनों पर लगाया जा रहा है.”
उनका कहना है कि न्यूयॉर्क में रहने वालों और वहां आने वालों से हमारी बस यही एक गुज़ारिश है कि वो जहां भी ये पोस्टर देखें उसकी तस्वीर लें और सोशल मीडिया पर शेयर करें.
इराक़ में इस्लामिक स्टेट के बढ़ते प्रभाव, कई अमरीकी बंधकों के गला काटने के वीडियो और पेरिस में शार्ली एब्दो पर हुए हमले के बाद अमरीका के कई जगहों पर मुसलमानों पर ऊंगली उठाई गई है.
जहां कुछ लोगों ने टीवी पर होने वाली बहस में शामिल होकर, अख़बारों में कॉलम लिखकर इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है, वहीं इन कॉमेडियंस को उम्मीद है कि हल्के-फ़ुल्के अंदाज से अपनी बात कहकर वो शायद मुसलमानों के बारे में जो ग़लतफ़हमियां हैं उन्हें बेहतर तरीके से दूर कर सकेंगे.
ब्रजेश उपाध्याय, बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन
Source: http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2015/04/150428_antimuslim_poster_newyork_sk