By Knocking News
ये कहने वाले राणा
प्रताप (Maharana
Pratap), महारानी लक्षमीबाई (Rani Laxmibai), शिवाजी (Shivaji) और पृथ्वीराज चौहान
(Prithviraj Chauhan) के
वंशज बताते हैं. हिंदू (Hindu) होने
पर गर्व करते हैं.
उन्हें हिंदू धर्म की इन
महान परंपारओं को भी जानना
चाहिए
शिवाजी
का मुकाबला औरगंजेब (Aurangzeb) से था इसलिए
शिवाजी आपके हीरो की
लिस्ट में हैं लेकिन
शिवाजी और औरंगजेब के
बीच क्या धर्म की
लड़ाई थी? नहीं थी.
अगर
ऐसा होता तो शिवाजी
अपने तोपखाने का प्रमुख इब्राहिम
खान को
शिवाजी
की फौज में 30 से
35 फीसदी मुसलमान थे 700 पठान उनकी आर्मी
की शान थे.
अफगान
तुर्क और फारसी सैनिक
शिवाजी की सेना की
ताकत थे.
शिवाजी
के दोस्त भी मुसलमान थे.
छत्रपति शिवाजी की दोस्ती हैदराबाद
के निजाम से हुआ करती
थी.
महाराणा
प्रताप
कोई
बताएगा वो राजा कौन
थे जिन्होंने महाराणा प्रताप को जंगल में
भटकने को मजबूर कर
दिया लेकिन साथ नहीं दिया.
वो लोग किस धर्म
के थे और किस
जाति के थे जिन्होंने
उनका साथ नहीं दिया.
आदिवासी और भील, जिन्हें
दोयम दर्जे का और शूद्र
समझते हों वो न
होते तो महाराणा के
प्राण नहीं बचते.
जानते
हैं ना कि हल्दी
घाटी में कौन मुगलों
की सेना का नेतृत्व
कर रहा था. हिंदू
मानसिंह. राणा प्रताप का
सेनापति कौन था पता
है. हाकिम खां सूर, एक
मुसलमान.
राणा
प्रताप के बेटे अमर
सिंह ने अजमेर के
गवर्नर ख़ान-ए-ख़ाना
के परिवार की महिलाओं और
बच्चों को बंदी बना
लिया था. (ये ख़ान-ए-ख़ाना और
कोई नहीं हिंदी के
मशहूर कवि रहीम थे.)
'जब
प्रताप को ये बात
पता चली तो वो
अपने बेटे पर बहुत
नाराज़ हुए और उनसे
तुरंत उनके परिवारजनों को
छोड़ने के लिए कहा.
अमर सिंह ने ससम्मान
उन्हें उनके घर पहुंचा
दिया. बाद में रहीम
ने उनके बहुत क़सीदे
पढ़े और उनकी शान
में कई दोहे लिखे.'
(रीमा हूजा की पुस्तक
महाराणा प्रताप द इन्विंसिबल वारियर
से)
राणा
प्रताप के दादा राणा सांगा
मोहम्मद
गौरी के बारे में
भारत में सब जानते
हैं. राणा प्रताप के
दादा कौन थे पता
है. राणा सांगा,
वो राणा सांगा
जिन्होंने बाबर को भारत
बुलाया था. हल्दी घाटी
के युद्ध की वजह से.
जब बाबर भारत आया
तो उसका मुकाबला किसी
और ने नहीं किया
बल्कि इब्राहिम लोधी ने किया.
इब्राहिम लोधी का धर्म
इस्लाम था. यानी इतिहास
के उस दौर तक
में कोई सांप्रदायिक नहीं
था. धर्म नहीं देखता
था. सब मिलकर रहते
थे.
उन्होंने
लिखा कि - 'हमारी राय है कै
विदेसियों का सासन भारत
पर न ओ चाहिए.
अंगरेजन से लड़वौ बहुत
जरूरी है. इस पत्रके
जवाब में नवाब बांदा
ने 10 हजार सैनिक झांसी
के लिए तुरंत रवाना
कर दिए. आपको बता
दें कि उस दौरान
बुंदेलखंड के कई राजाओं
ने रानी का साथ
देने से इनकार कर
दिया था और ग्वालियर
के सिंधिया के बारे में
सबको पता ही है.
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