वलीद अहमद नज्मुद्दीन
3 मई, 2013
(उर्दू से अनुवाद- न्यु एज इस्लाम)
एहुद गोल्ड स्मिथ नाम के एक आदमी ने एक बार मुझसे पूछा: "मैं वास्तव में इस्लाम धर्म अपनाने के बारे में सोच रहा हूँ, लेकिन मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहूँगा, और आपका सुझाव जानना चाहुँगा: मुझे क्यों इस्लाम धर्म अपना लेना चाहिए? (यानी इस्लाम के पास मुझे देने के लिए क्या है?) आप कैसे गारंटी दे सकते हैं कि इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद आखिरत (परलोक) में सुरक्षित हो जाऊंगा? कौन सी चीज़ है जो ईसाई और यहूदी जैसे दूसरे धर्मों से इस्लाम को बेहतर बनाती है? दूसरे शब्दों में, क्यों मेरे लिए इस्लाम अच्छा धर्म है?"
इस्लाम किसी भी दूसरे धर्म की तरह नहीं है क्योंकि ये सिर्फ एक आस्था नहीं है जिसका लोग पालन करें, बल्कि इस्लाम एक पूरी जीवन पद्धति है। मुसलमान दैनिक जीवन में अपनी आस्था पर अमल करते हैं। इस्लाम जीवन के सभी क्षेत्रों और गतिविधियों में मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसके अलावा इस्लाम इसलिए अनोखा है क्योंकि किसी भी व्यक्ति, जनजाति, क्षेत्र या संस्कृति के नाम पर इसका नाम नहीं रखा गया है। इस्लाम नाम एक अल्लाह पर ईमान रखने और उसकी इच्छा के आगे समर्पण के कारण रखा गया है। दूसरे शब्दों में, मुसलमान अल्लाह की इच्छा को अपनी इच्छा पर प्राथमिकता देते हैं।
मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का पैग़ाम नया नहीं है। उनका एकेश्वरवाद का संदेश इस बात की पुष्टि है जो संदेश पहले से आ चुके थे। हमें इंसानों के रूप में अगर खुदा के मार्गदर्शन की याद दिलाए बिना अपने हाल पर छोड़ दिया जाता तो हमेशा मार्गदर्शन से दूर ही रहते, इसलिए दयालु अल्लाह ने हमें याद दिलाने के लिए नबियों को भेजा। इस्लाम सभी पिछले नबियों (अलैहिस्सलाम) के संदेशों की ही शिक्षा देता है। और वो संदेश ये है किः अल्लाह एक है और सिर्फ उसी की इबादत की जानी चाहिए।
इसके अलावा इंसानी समाज वक्त के साथ साथ बदलता और विकसित होता है, और अल्लाह ने हर सदी में अपने नियमों में समय के मुताबिक संशोधन किया है। दिव्य एकता का अल्लाह का पैग़ाम शुरुआत से ही उसी तरह बरक़रार रहा है, हर नए नबी के आगमन के साथ पवित्र कानून में संशोधन होता रहा है। मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का पवित्र कानून अल्लाह के अंतिम आदेश का प्रतिनिधित्व करता है जो कि क़यामत (अंतिम दिन) तक तमाम मानव जाति के लिए है।
इस्लाम हमें इस बात की दावत देता है जो हमारे लिए और मानवता के लिए फायदेमंद है। ये सभी लोगों के साथ नेकी का हुक्म देता है और किसी विशिष्ट समुदाय के लिए प्राथमिकता के आधार पर व्यवहार को बढ़ावा नहीं देता, चाहे वो इस्लाम में विश्वास रखने वाले हों या न हों। इस्लाम में कोई भी अल्लाह के हुक्म और नियमों से मुक्त नहीं है।
अगर हम अल्लाह के आज्ञाकारी हैं तो इस्लाम स्वर्ग में हमें अनंत जीवन प्रदान करता है। हम अल्लाह पर ईमान रखते हैं, उसके मार्गदर्शन का पालन करें, भलाई का हुक्म दें और बुराई से रोकें, अल्लाह को इससे कुछ भी फायदा नहीं होता है। लेकिन उसकी इच्छा के आगे सिर झुका कर हम फायदा उठाते हैं। इसी तरह अगर हम ईमान लाने से इंकार करें और बुरे काम करें और अच्छे काम करने से रोकें तो अल्लाह को हमारे इस व्यवहार से थोड़ा सा भी नुकसान नहीं है। बल्कि सिर्फ हम ही हैं जो अपनी गलतियों से पीड़ित होंगे।
निश्चित रूप से अल्लाह की नाराज़गी और क्रोध से मुक्ति की वास्तविक गारंटी खुद अल्लाह कि तरफ से हो सकती है। हम इसे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम और अल्लाह की आखरी किताब कुरान में किये गये वादों के द्वारा समझ सकते हैं। इस जीवन में या अगले जीवन में अल्लाह कि तरफ से किसी पर भी ज़र्रा बराबर कोई ज़ुल्म नहीं किया जाएगा। अल्लाह के वादे को कुरान में कई बार दोहराया गया है: अगर हम ईमान लाते है और अच्छे काम करते हैं तो हमें सवाब (पुण्य) हासिल होगा जबकि अगर हम उसके हुक्म का इंकार करते हैं और बुरा काम करते हैं तो हमें सज़ा मिलेगी।
इस्लाम जाति, संस्कृति, शिक्षा के स्तर, लिंग, सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर ध्यान दिये बिना सभी इंसानों को मार्गदर्शन प्रदान करता है। इस्लाम के माध्यम से हम खुद के साथ, अल्लाह के साथ अपने साथी इंसानों के साथ, और वातावरण के साथ भी शांति प्राप्त करते हैं और इस तरह हम पूरे ब्रह्मांड के साथ सद्भाव में रह सकते हैं जो कि अल्लाह की मर्ज़ी है।
तो फिर इस्लाम क्यों नहीं, यहूदियत या ईसाईयत क्यों? सबसे पहले इस्लाम आख़री पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का लोगों के लिए पैग़ाम है, और उनके समय से लेकर अब तक कोई दूसरा नबी अल्लाह कि तरफ से सच्ची रहनुमाई या किसी नए संदेश के साथ नहीं आया है। जबकि (इब्राहीम, मूसा, और ईसा अलैहिस्सलाम जैसे) पिछले सभी नबियों के बाद एक और नबी आए और एक नया पवित्र कानून आया जिसने अपने से पहले वाले कानून को रद्द कर दिया, मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की नबुवत आखरी और पूर्ण है- और कोई रसूल आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के बाद नहीं आएगा। हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का नमूना आने वाले सभी समयों और स्थानों के लिए ठोस मार्गदर्शन प्रदान करता है। केवल इस्लाम ही सच्चा वैश्विक धर्म है- ये सभी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले मर्दों और औरतों दोनों के लिए समान रूप से खुला हुआ है। इस्लाम किसी भी दूसरी धार्मिक परंपरा से अधिक मानवता की एकता की शिक्षा देता है। हम सब आदम और हव्वा (अलैहिस्सलाम) के बेटे और बेटियाँ है, और अल्लाह के नज़दीक सबसे अधिक प्रिय व्यक्ति वो है जो खुदा से डरने वाला है। हम सब एक ही पूर्वज के भाई और बहन हैं, और आखीर में हम सब अपने सृष्टिकर्ता कि तरफ वापस लौट जाएंगे।
मुझे उम्मीद है कि ये बातें आपको इस्लाम के बेहतर मूल्यों को समझने और जो चीज इसे अनोखा बनाती हैं उसे समझने में मददगार होंगी। अपने लगातार अनुसंधान और ईमानदार मुसलमानों के साथ बातचीत के माध्यम से, मुझे विश्वास है कि आपको इस्लाम कि सुन्दरता समझ में आएगी और ये बात भी कि ये किस तरह आपको और आपके आसपास के लोगों को फायदा पहुंचायेगा।
स्रोत: http://www.arabnews.com/news/450197
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