सैय्यद मंज़ूर आलम, न्यु एज इस्लाम
20 फरवरी, 2014
हाँ, हमने तो यही सुना है कि इस्लाम का मतलब आज्ञा पालन, समर्पण और अपनी मर्ज़ी को खुदा के हवाले करना है। लेकिन, आज्ञा पालन करने का अर्थ वास्तव में क्या है? क्या ये सिर्फ दिन में पाँच बार नमाज़ अदा करना है? क्या ये रमज़ान के महीने में रोज़ा रखना है? और क्या ये ज़िंदगी में एक बार हज के लिए मक्का जाना ही है?
इस सिलसिले में इंटरनेट पर किसी के लिए भी बहुत सामग्री उपलब्ध है। आपको सिर्फ गूगल सर्च में ''इस्लाम'' (Islam) टाइप करने की ज़रूरत है और नतीजे में आपको इस तरह की सामग्री मिलेगी, क़ुरान में व्यक्त ''इस्लाम एक एकेश्वरवादी, इब्राहीमी धर्म है'1, ''मंगल ग्रह की यात्रा इस्लाम में मना है''2
इस सर्च के नतीजे में गूगल के पहले ही पेज पर एक इस्लाम विरोधी वेबसाइट है जो अपने विचारों का प्रचार बड़े ही भ्रामक तरीके से करती है। दूसरे पेज पर भी एक ऐसी ही साइट है जो बहुत ही भ्रामक है। मेरे द्वारा की गयी इंटरनेट सर्फिंग के अनुसार इंटरनेट पर इस्लाम विरोधी वेबसाइटों की संख्या अगर अधिक नहीं तो 'इस्लामी' वेबसाइटों के बराबर ज़रूर है।
इंटरनेट पर 'जानकारी' के नाम पर बहुत सामग्री उपलब्ध है। कुछ दिनों पहले इस्लाम पर मुझे एक ईमेल मिला जिसमें इस्लाम विरोधी वेबसाइटों पर पाई जाने वाली सामग्री थी, जो इस तरह थीः इस्लाम धर्म बीवियों की पिटाई की इजाज़त देता है, सभी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं लेकिन सभी आतंकवादी मुसलमान हैं, आदि। मेरे आलावा दूसरे बहुत से लोगों को भी ये मेल भेजा गया था, इस ई-मेल के भेजने वाले का मकसद ये था कि मैं भी इन इस्लाम विरोधी वेबसाइटों पर क्लिक करुँ और एक बात मैंने ये नोट की कि ये ई-मेल किसी कापी की ही कापी था, इसलिए कि इस ई-मेल के बाईं तरफ में एक नीले रंग की लाईन मौजूद थी।
नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ''उस व्यक्ति को छोड़ दो जो अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखता है या तो वो अच्छी बात करता है या खामोश रहता है''। इसका क्या मतलब है? नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के समय में और उनकी मृत्यु के कुछ दशकों बाद तक भी कोई भी व्यक्ति बुरी बात नहीं करता था और न ही बुरी बातों को फैलाता था। कोई भी इंसान आम लोगों के बीच ये नहीं कहता था कि ''अमुक व्यक्ति मारा गया, अमुक महिला का बलात्कार हो गया और अमुक लोगों को लूटा गया'' आदि।
इसलिए जब हम ऐसी वेबसाइटों पर जाते हैं या उन लोगों के साथ किसी तरह का कोई व्यवहार रखते है जिनका मकसद इस्लाम को बदनाम करना है तो हमारे इस व्यवहार से उनको बल मिलता है और इसके बदले में उनकी व्यवहारिक प्रतिक्रिया बढ़ती है। इस प्रकार की वेबसाइटें न केवल ये कि बुराई को फैला रही हैं बल्कि ये कुफ्र को बढ़ावा दे रही हैं। शिर्क और कुफ्र के बीच एक अंतर है। शिर्क का मतलब खुदा के साथ किसी को साझीदार बनाना है, लेकिन कुफ्र का मतलब ये है कि आप सच्चाई को जानते है लेकिन उसे छिपाते है और उसमें भ्रम पैदा करते हैं।
ये वेबसाइटें बरसाती मेंढ़कों की तरह बढ़ रही हैं। इस्लाम को बदनाम करने के लिए हर दिन सैंकड़ों इस्लाम विरोधी वेबसाइटें डिज़ाइन की जा रहीं हैं। बहुस सी इस्लाम विरोधी वेबसाइटों के संस्थापक मुसलमानों की ही वजह से बहुत मशहूर (और अमीर) हो गये हैं। एक इस्लाम विरोधी वेबसाइट (जिसका मैं नाम नहीं लेना चाहता) तो ये कहती है कि अगर कोई ये बता दे कि उसकी साईट में कौन सी बात गलत है तो वो तुरंत ही इस साइट को बंद कर देंगे और उस व्यक्ति को दस हज़ार डालर इनाम भी दिया जाएगा।
इस दुनिया में कौन किसी अंजान व्यक्ति को इतनी रक़म देने की पेशकश करेगा? क्या हम वास्तव में इतने भोले हैं? और इसका जवाब है, हाँ, हम वास्तव में भोले हैं।
इसके फौरन बाद बहुत सारे मुसलमानों ने इस्लाम और दस हज़ार डालर्स के लिए इस साइट पर विज़िट करना शुरु कर दिया, मैं भी इस साइट पर गया और इसके संस्थापक को ई-मेल के द्वारा गलतियों को बताया, लेकिन मुझे उसका कोई जवाब नहीं आया। लेकिन इसका नतीजा ये हुआ कि ये वेबसाइट गूगल के पहले पेज पर आ गई। ऐसा क्यों हुआ? क्योंकि सभी इसको क्लिक कर रहे हैं और जितना ज़्यादा लोग इस पर क्लिक करेंगें उसकी रैंक उतनी ही ऊपर होती जाएगी।
बहुत सारी वेबसाइटों ने इसी रणनीति को अपनाया और इनमें से कुछ वेबसाइटें गूगल के पहले तीन पेजों पर आ गई हैं। मामला ये था कि किसी ने इस वेबसाइट का जवाब देने के लिए एक दूसरी वेबसाइट बना डाली और उसका नाम 'Answering-Christianity' रखा। अब लोगों ने इस वेबसाइट को विज़िट करना शुरु कर दिया।''Answering-Christianity'' ने इस्लाम विरोधी वेबसाइटों का लिंक अपने यहाँ दिया लेकिन इन इस्लाम विरोधी वेबसाइटों नें ''Answering-Christianity'' का कोई लिंक अपनी साइट पर नहीं दिया बल्कि उन्होंने सिर्फ इसके संस्थापक का नाम ही दिया। मुझे नहीं मालूम कि अब स्थिति क्या है।
गूगल पर सबसे पहले विकिपीडिया आती है, इसकी वजह ये है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों ने इसे क्लिक किया है और इस साइट को विज़िट किया है। अक्सर हम ये पाते है कि इस्लाम को बुरा भला कहने वाली और भ्रम पैदा करने वाली वेबसाइटें गूगल पर सबसे पहले आती हैं। विकिपीडिया से निपटना सबसे मुश्किल है। और जब उन्होंने इसकी शुरुआत की तो यूसुफ इस्टेस ने सबसे पहले इस साइट पर विज़िट किया और इस शब्द की व्युत्पत्ति को लिखा। और उसके तुरंत बाद ही इस वेबसाइट ने उसे हटा दिया और उसकी जगह कुछ और डाल दिया, इसके बाद युसूफ इस्टेस ने एक बार फिर इसकी अरबी लिखी और इसकी व्याख्या की और बताया कि उसका स्रोत क्या है। इसके बाद उन्होंने इसमें सुन्नी, शिया, सूफियों, अहमदियों, एबादियों, महदावियों, क़ुरानवादियों और यज़दानवाद आदि को जोड़ा।
जब हमें ये मालूम न हो कि हम क्या कर रहे हैं तो हमें कुछ नहीं करना चाहिए।
(न्यु एज इस्लाम फोरम पर बहुत सारे लोग इस वेबसाइट को हाईजैक करने की कोशिश करते है, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता के उस पर क्या लिखा जा रहा है, वो या तो कुछ इस्लाम विरोधी वेबसाइटों से कापी करके लिख देंगें या इस्लाम की आलोचना करने के लिए किसी घटिया तर्क का इस्तेमाल करेंगे। सकारात्मक आलोचना का स्वागत है लेकिन आलोचना के नाम पर इस्लाम का अपमान अस्वीकार्य है। मैं चाहता हूँ कि ये लोग बहस में शामिल हों लेकिन दूसरों पर कलंक न लगाएं और न अप्रसांगिक मामलों में उलझें। लेकिन अगर वो इस्लाम की आलोचना करने के लिये अपना वही पुराना तरीका अपनाये रखना चाहतें हैं तो हमें उनका जवाब नहीं देना चाहिए बल्कि उन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करना चाहिए।
1. http://en.wikipedia.org/wiki/Islam
2. http://www.khaleejtimes.com/kt-article-display-1.asp?xfile=data/nationgeneral/2014/February/nationgeneral_February150.xml§ion=nationgeneral
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