सुमित पाल, न्यू एज इस्लाम
25 अप्रैल 2022
क्या एक गैर मुस्लिम के लिए यह जानना हैरानी की बात नहीं है कि 6.7 मिलियन पाकिस्तानी ड्रग्स (हीरोइन, चरस, एम्फटामाइन आदि) के आदि हैं लेकिन शराब के नहीं? क्योंकि इस्लामी सहीफों में शराब को हराम करार दिया गया है लेकिन ड्रग्स को नहीं। हालांकि तमाम इंसान साख्ता मजहबों की बुनियाद सहीफों पर ही है लेकिन इस्लाम ख़ास तौर पर इस मामले में मुकम्मल गैर लचकदार और गैर मुतज़लज़ल है। कुरआन व हदीस में जो कुछ लिखा है उन तमाम पर अमल करना आवश्यक है और एक आम मानसिक्त है और लगभग तमाम मुसलमान इस मानसिकता के हामिल हैं।
कुछ साल पहले लंदन में, मुझे आक्सफोर्ड के शिक्षित मुसलमान के साथ खाना खाने का इत्तेफाक हुआ, जिसके आला तालीम याफ्ता मां बाप सरगोधा, (पाकिस्तान में पंजाब राज्य) से हिजरत कर के इंगलिस्तान में आबाद हो गए थे। मैंने उनसे वजह पूछी कि आप इस्लाम छोड़ कर मुर्तद क्यों हो गए? उन्होंने मुझे बताया कि जब मेरे मां बाप ने इसरार किया कि मेरे (उस पिछले मुसलमान के) बच्चे का खतना करना होगा तो मैंने उनका विरोध किया और मुझे लगा कि अब हद हो गई। उसकी बीवी एक अंग्रेज़ महिला थी जिसने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम कुबूल किया था। मियाँ बीवी को ऐसा महसूस हुआ कि यह मज़हबी पाबंदियां उस वक्त तक जारी रहेंगी जब तक वह इस्लाम के दायरे में रहते हैं क्योंकि खतना पर इसरार से पहले दोनों केवल हलाल गोश्त खाने पर मजबूर थे क्योंकि झटके का गोश्त घर और बाहर दोनों जगह सख्ती से मना था। उन्होंने इस मज़हबी मुतलकुल अनानियत से नाराज़ हो कर न केवल इस्लाम बल्कि तमाम धर्मों को तर्क करने का फैसला किया, जिन्हें हमारे कदीम जमाने के बाप दादा ने बनाए थे। वह अब मुल्हिद हो चुके हैं और उन्होंने हर तरह के मज़हबी बंधनों और गॉड, भगवान् या खुदा से आज़ाद रहने का अहद किया है। क्योंकि यह अनावश्यक है।बिंदु यह है कि अगर आप ने अपनी ज़िन्दगी में ज़मीन पर इंसानों को क़त्ल किया या उनको तकलीफ दी और हर तरह की बुराइयां अंजाम दीन तो हशर के रोज़ (कयामत के दिन) अल्लाह आप से खतने, हलाल गोश्त और दाढ़ी के बारे में क्यों पूछे गा? क्या तुम ऐसा इंसान बना कर अपने खालिक को बे इज्ज़त नहीं कर रहे हो जो रोज़ के मामलों में बहुत मामूली मसलों की बुनियाद पर दूसरों का फैसला करते हैं?
इसके अलावा, अगर आप इस्लामी मामूलात पर गहरी नजर डालें तो मालुम होगा कि इस्लाम में बहुत से मामूलात पिछले सामी मज़हब यहूदियत से लिए गए हैं। हालांकि यह अजीब बात है कि इस्लाम और यहूदियत इस्लाम के आगाज़ से ही 1400 साल से कुछ अधिक समय से एक दुसरे के साथ नबर्द आजमा हैं। खतना, हलाल (यहूदियत में कोशर) और खिंजीर के गोश्त से परहेज़ यह ऐसे आम मामूलात हैं जो दोनों सामी मजहबों में साझा हैं। अब आप को यह जान कर हैरत होगी कि आर्थोडॉक्स यहूदी को छोड़ कर कुछ ही यहूदी अब अपनी औलाद का खतना नहीं कर रहे हैं। और न ही अब वह कोशर गोश्त की पाबंदी करते हैं। हालांकि वह संख्या में बहुत कम होंगे, लेकिन कम से कम आगाज़ तो हुवा सही, क्योंकि रिवायत शिकनी ही बहुत जरूरी है। लेकिन इस्लाम में इसकी शुरुआत कहाँ से है? हर मुसलमान बच्चा, चाहे उसके मां बाप ‘शिक्षित’, “रौशन ख्याल” या “विकासवादी” ही क्यों न हों, एक कदीम इब्राहीमी रिवायत पर अमल करते हुए इसे खतना अवश्य कराना होगा और हर मुसलमान को हलाल गोश्त खाना आवश्यक है। मुसलमान (और दुसरे मज़ाहिब के पैरुकार भी) यह नहीं समझते कि तमाम रुसुमात की जड़ें जमाने के भौगोलिक और हालात के तकाजों में पेवस्त हुई हैं और यह बताती हैं कि उनके मज़हब की इब्तिदा पत्थरों के दौर में हुई है।
इस्लाम और यहूदी धर्म की उत्पत्ति उन जगहों पर हुई जहाँ पानी की भारी कमी थी। जब एक आदमी लंबे समय तक स्नान करने में असमर्थ था और उसके पास अपने लिंग को साफ करने के लिए पानी उपलब्ध नहीं था, तो उसकी त्वचा के नीचे एक सफेद पदार्थ जमा हो जाता था। इस रेगिस्तानी इलाके में जहां पीने के पानी तक की कमी थी, वहां नहाना बड़ी बात थी। इसलिए, हशफा में दुर्गंधयुक्त पदार्थ के जमा होने की इस लगातार समस्या को खत्म करने के लिए, हशफे की ऊपरी त्वचा को काट दिया गया और हटा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर मौतें होती थीं। अब न बाँस, न बाँसुरी! लेकिन अब जब पानी हर जगह उपलब्ध है और इस्लाम की जन्मस्थली सऊदी अरब में रोज नहाया जा सकता है, तो इस त्वचा को काटने और हटाने की क्या जरूरत है? लेकिन मनुष्य नष्ट हो जाएगा लेकिन अपनी पुरानी धार्मिक प्रथाओं को नहीं छोड़ेगा, चाहे वे आधुनिक समय और बदलती परिस्थितियों में कितने भी मूर्ख क्यों न हों। कोशर और हलाल के बारे में भी यही कहा जा सकता है।
पहले के सामी काफिरों का मानना था कि इंसानों और जानवरों का खून मृत दुश्मनों की सभी अशुद्धियों और शापों को दूर कर देता है। इसलिए, जानवरों को शरीर से पूरा खून निकालने के लिए कोषेर किया जाता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने अब पुष्टि की है कि मांस, चाहे हलाल हो या झटका, उच्च तापमान पर पकाए जाने और अच्छी तरह से धोए जाने पर स्वस्थ होता है। हलाल मांस के पीछे का कारण पानी की कमी भी थी क्योंकि वध किए गए जानवरों के मांस को धोने के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती थी।
इसके अलावा, स्वाद और सफाई के मामले में, हलाल का झटका मांस पर कोई बरतरी नहीं है। इसलिए किसी बेचारे जानवर का कलमा, ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मद रसूलुल्लाह के शब्द का पाठ करते हुए, बहुत दर्दनाक तरीके से ढाई बार गला काटने की जरूरत नहीं है। दुनिया भर के मुसलमानों को अप्रचलित रीति-रिवाजों और मामूलात से पाक करने के लिए खुद का हिसाब करने की आवश्यकता है।
अंत में, हालांकि इस्लाम शराब को मना करता है, लेकिन कुरआन कहता है कि शराब जन्नत में उपलब्ध कराई जाएगी। उर्दू के एक शायर ने क्या खूब कहा है, 'जन्नत की तुहूर भी आख़िर शराब है/मुझे वहाँ मत ले जाना, मेरी नीयत ख़राब है। इतना ही नहीं, बल्कि उपमहाद्वीप और अधिकांश पाकिस्तान के हास्यास्पद उपदेशकों के अनुसार, अल्लाह खुद जन्नत के निवासियों को शराब की पेशकश करेगा! तौहीन यदि यह नहीं, तो और क्या है? क्या कोई जागरूक मुसलमान मुझे बताएगा?
English Article: Muslims Need To Introspect Why So Many Muslims Are
Leaving Islam And Proudly Declaring Themselves Apostate
URL:
New Age Islam, Islam Online, Islamic Website, African Muslim News, Arab World News, South Asia News, Indian Muslim News, World Muslim News, Women in Islam, Islamic Feminism, Arab Women, Women In Arab, Islamophobia in America, Muslim Women in West, Islam Women and Feminism