युसुफ अल मजीद
10 दिसंबर 2015
कई साल पहले सऊदी सरकार ने मंत्रालयों और दूसरी सरकारी संगठनों में महिलाओं के लिए अलग अलग विभागों को स्थापित कर के आवश्यक सुधारों का शुभारंभ किया था।
इसका मक़सद दो आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्त करना था। एक सरकार के कामकाज में महिलाओं के लिए आसानी पैदा करना और इन विभागों में महिला कार्यकर्ताओं से मिलकर उनसे अपने हक़ में काम करवाना।
दूसरा उद्देश् इस तथ्य को सामने रखते हुए की महिलाओं की एक बड़ी संख्या शिक्षक और डॉक्टरेट की डिग्री होने के बाद भी बेरोज़गार है, महिलाओं की बेरोज़गारी को दूर करना है। इन ऊँचे तालीमयाफ़्ता महिलायों को अरकारी पदों पर होना चाहिए था। इन महिलायों ने अपनी ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण भाग इस आशय के साथ तालीम और शोध में व्यतीत किया है की इस से इन्हें अपने लिए ज़िंदगी को बेहतर बनाने का अवसर और अपने देश की खिदमत कने का अवसर प्राप्त हो।
मैं कुछ दिन पहले समाचारपत्रों में छपे एक रपट की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा। वह रपट संयुक्त अरब अमीरात के एक ऐसी महिला के बारे में थी जिसने अरब दुनिया में एक इतिहास रचा अमलुलक़बीसी अरब अमीरात में संघीय राष्ट्रीय परिषद में निर्वाचित होने वाली अरब दुनिया की पहली महिला हैं।
इस में कोई शक नहीं है की महिलाओं को अधिकार देने के लिए मुख्य रूप से सऊदी अरब में और आम तौर पर पूरी अरब दुनिया में और खाड़ी सहयोग परिषद (जी सी सी) के राज्यों में ज़बरदस्त परिवर्तन आए हैं। सऊदी किंगडम की शूरा कौसिल में ३० महिलाओं की बहाली इस का एक उदाहरण है। इन राज्यों की विश्विद्यालाओं और दूसरे संस्थाओं में भी महिलाएँ कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं।
वैसे तो राज्य तमाम सरकारी विभागों में अब भी महिलाओं के लिए विशिष्ट विभाग खोलने की वकालत करती है, लेकिन बहुत से विभागों में अब भी महिलाओं के स्थान रिक्त है। उन्होंने महिलाओं के लिए अलग अलग विभाग प्रारंभ करने के लिए अब तक कोई क़दम नहीं उठाया है। मंत्रालयों और दूसरी सरकारी संगठनों में महिलाओ के लिए विशिष्ट पद अब भी खाली हैं। इस स्थिति की वजह अब भी नामालूम है। संबंधित निगरानी एजेंसियों ने अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है।उपरोक्त कारणों से मंत्रालयों और दूसरी सरकारी संगठनों में महिलाओ की बहाली के सख़्त ज़रूरत के बाद भी, इन विभागों में ऐसे मर्द कार्यरत हैं जिन के पास कोई काम नहीं है। इन कर्मचारियों में से अक्सर कई कई दिनों और हफ्तों ज़ाक काम से अनुपस्थित रहते हैं। वा अपने निर्धारित कर्तव्यों को पूरा करने से गाफील हैं।
मुझे पूरा विश्वास है की हरमैन शरीफ़ाइन के मुतवल्ली शाह सलमान की हुकूमत इस समस्या को हाल करने के लिए तुरंत ही कार्रवाई करेगी। महिलाओं के लिए विभाग बनाने और मंत्रालयों और सरकारी संगठनों में योगया महिलाओं की बहाली के लिए तुरंत कार्रवाई की जानिी चाहिए। तालीमयाफ़्ता महिलाओं के लिए अधिक से अधिक पद तैय्यर किए जाएँ।
राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में महिलाओं को भी काफी स्थान दिया जाना चाहिए ताकि वह इस में एक विशिष्ट भूमिका अदा करने के योग्य हो सकें। अगर मुल्क और समाज के विकास में भाग लेने का अवसर महिलाओं को न दिया जाए, तो ऐसा समाज सुस्त रफ़्तार से प्रगती करेगा और ज़िंदगी के तमाम विभागों में गिरावट का गवाह होगा।
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