सुहैल अरशद, न्यू एज इस्लाम
हर धर्म में सप्ताह के किसी एक दिन सामूहिक
इबादत का विशेष एहतिमाम किया जाता है। इस्लाम में जुमे के दिन को विशेष स्थान
प्राप्त है। जुमे की नमाज़ हर मुसलमान पर फर्ज़ है और इसके लिए कुरआन और हदीस में
विशेष एहतिमाम करने की हिदायत दी गई है। कुरआन मजीद में आदेश है: “ऐ ईमान वालों जब जुमे के दिन नमाज़ की
अज़ान हो तो दौड़ो उठ के अल्लाह के ज़िक्र को और खरीदना और बेचना छोड़ दो। यह बेहतर है
कि तुम्हारे हक़ में अगर तुमको समझ हो। और जब नमाज़ ख़त्म हो जाए तो फ़ैल पड़ो ज़मीन में
और ढूंढो अल्लाह के फज़ल का और याद करो अल्लाह को कसरत से ताकि तुम फलाह पाओ। (अल
जुमा:१०)
जुमे की अज़ान सुनते ही खरीद व फरोख्त और दुसरे
दुनयावी काम छोड़ कर नमाज़ के लिए मस्जिद की तरफ रवाना हो जाना चाहिए। जुमे की नमाज़
के लिए हदीसों में गुस्ल की ताकीद की गई है। इस सिलसिले में एक हदीस इस प्रकार है:
हम से अब्दुल्लाह बिन यूसुफ तपंसी ने बयान किया
कि हमको इमाम मालिक ने खबर दी उन्होंने सफवान बिन सलीम से उन्होंने अता बिन यासार
से उन्होंने सईद खुदरी से कि हुजुर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जुमे के
दिन का गुस्ल हर जवान मर्द पर वाजिब है: (सहीह बुखारी किताबुल सलवात: ८३४)
जुमे के दिन हर मुसलमान को चाहिए कि नमाज़ से
पहले अच्छी तरह गुस्ल करे और जो बेहतर कपड़े उसे मुयस्सर हों उन्हें पहन कर और
खुशबु हो तो लगाए और नमाज़ के लिए मस्जिद को जाए। नमाज़ के बाद अपने कारोबार और खरीद
व फरोख्त में मसरूफ हो जाए।
अगर किसी वजह से मस्जिद जाने में देर हो जाए और
नमाज़ शुरू हो जाए तो दौड़ कर मस्जिद की तरफ नहीं जाना चाहिए बल्कि औसत रफ़्तार से
चलते हुए मस्जिद में दाखिल होना चाहिए और नमाज़ में शामिल होना चाहिए। बकिया हिस्से
बाद में पूरी कर ले।
इस सिलसिले में एक हदीस इस प्रकार है।
“ अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहु अन्हु ने कहा हम ने हुजुर सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम से सूना आप फरमाते थे जब नमाज़ की तकबीर हो तो नमाज़ के लिए दौड़ते हुए ना आओ
बल्कि चलते हुए आओ और धीरे से और इत्मीनान को लाज़िम कर लो फिर जितनी नमाज़ (इमाम के
साथ मिले) पढ़ लो और जितनी ना मिले इसको पूरा कर लो। (किताबुल सलात: ८६१ सहीह
बुखारी)
इसलिए मुसलमानों को जुमे के दिन का विशेष
एहतिमाम और एहतिराम करने की ताकीद कुरआन और हदीस में की गई है। इस दिन की बहुत फ़ज़ीलत
है। हुज़ूरे पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबा इस दिन का एहतिमाम करते थे।
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