सुहैल अरशद, न्यू एज इस्लाम
भारत में अजोध्या (अयोध्या) को एक धार्मिक स्थान की हैसियत से जाना जाता हैl हिन्दुओं का अकीदा है उनके भगवान राम यहीं पैदा हुए थेl इस शहर को कई दोसरे नामों से भी जाना जाता है जैसे अवध, अप्राजिता, पसोया, सीता ब्रह्मण पूरी, शोसला, नंदिनी आदिl यह शहर उत्तर प्रदेश के सरजू नदी के किनारे आबाद हैl यहाँ हिन्दुओं के दोसरे पवित्र धार्मिक स्थान भी हैं जैसे हनुमान गढ़ी, राम की पीढ़ी, नागेश्वर नाथ का मंदिर और दोसरे हिन्दू तीर्थ स्थल हैंl इसी प्रकार मुसलमानों के अकीदे के अनुसार शीस अलैहिस्सलाम और हज़रत नूह अलैहिस्सल्लम के मज़ार भी यहाँ हैं जो आठ या नौ गज लम्बे हैंl इतिहासकारों का विचार है कि हज़रत शीस अलैहिस्सलाम ने अयोध्या को बसाया और उनके पर पोते हज़रत हिन्द बिन हां ने इस शहर को विस्तार दियाl
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के दौर में बाढ़ आया और वह अपने कुंबे और अनुयायियों के साथ तुर्की के इलाके में पहुंचा दिए गए मगर यह एतेहासिक तथ्यों और कुरआन के माध्यम से साबित होता है कि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम बाढ़ से पहले भारत के इलाके ही में दीन के तबलीग का काम कर रहे थेl इस प्रकार शीस अलैहिस्सलाम के खानदान का भारत के किसी इलाके में निवास विकल्प करना अविश्वसनीय नहीं हैl अयोध्या में कुछ कब्रों के बारे में यह भी अकीदा है कि वह शीस अलैहिस्सलाम के घर वालों की हैंl पांचवें दशक में दिल्ली के एक सूफी अब्दुर्रशीद हुमा का भी यही अकीदा थाl उनके पास एक किताब थी जिसमें हज़रत शीस अलैहिस्सलाम का शिजरा ए नसब दिया हुआ थाl
इस शिजरे में राम को उन्हीं की नस्ल में दिखाया गया थाl मगर अब्दुर्रशीद हुमा का यह भी कहना था कि राम इस्लामी अकीदे से भटक गए थेl यह भी कहा जाता है कि मौजूदा हरियाणा के इलाके में चालीस नबी आराम फरमा रहे हैंl हरियाणा के ही मेवात इलाके में नूह नाम का एक कस्बा भी हैl तन्नूर नामक स्थान जहां से पानी उबलना शुरू हुआ वह केरला के मल्लापुरम में समुंद्र के किनारे स्थित हैl इसलिए, यह समझ से बाहर नहीं कि हज़रत शीस अलैहिस्सलाम के खानदान वाले अयोध्या के इलाके में रहते रहे होंगेl यहाँ आठ नौ गज़ की जो कब्रें हैं वह उन्हीं नबियों की मानी जाती हैं और इस बारे में रिवायतें शताब्दियों से सीना से सीना चली आ रही हैंl हालांकि मुगल दरबार के बुद्धिजीवियों जैसे अबुल फज़ल और फैजी इन रिवायतों को सही मानते थेl यही कारण है कि आइन ए अकबरी में अयोध्या में हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कब्र मुबारक का उल्लेख नहीं किया गया हैl जबकि यहाँ कोतवाली के पीछे एक मकबरा है जिसके संबंध में लिखा हुआ है कि यह हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का हैl
मगर शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी जैसे सूफी इन रिवायतों पर विश्वास रखते थेl यही कारण है कि सूफियों ने इस जगह को छोटा मक्का और वालियों का शहर भी कहाl यहाँ अनेकों सूफियों और वलियों के मज़ार हैंl उनमें से कुछ के नाम हैं सैयद अलाउद्दीन खुरासानी, दौलत शाह किला, कमालुद्दीन शहीद, शाह अकबर चिश्ती मौदूदी, काले पहलवान, नौगजी पीर, हज़रत मखदूम बंदगी निजाम, अब्दुल करीम शहीद, शमसुद्दीन फरियाद रस, गुलाब शाह, रहीम शाह, नसरुद्दीन, तीन दरवेश, जलालुद्दीन शाह मुसाफिर शहीद, बड़ी बी साहिबा (हज़रत चराग देहलवी की बड़ी बहन), क़ाज़ी अब्दुल्लतीफ़l हज़रत ख्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के प्रसिद्ध खलीफा हज़रत नसीरुद्दीन चराग देहलवी का अयोध्या पैतृक वतन थाl उनकी पैदाइश ही अयोध्या में हुईl यहीं उन्होंने शैख़ शमसुद्दीन यहया अवधी से कुरआन सीखाl हज़रत शैख़ नसीरुद्दीन के कई मुरीद भी यहाँ दफन हैं जिनमें शैख़ जैनुद्दीन अवधी, शैख़ फ़तहुल्ला अवधी, और अल्लामा कमालुद्दीन अवधी विशेष हैंl इन सूफियों का अयोध्या में कयाम इस बात का भी सबूत है कि सूफियों की निगाह में यह शहर अंबिया का निवास स्थान रहा हैl
अयोध्या में मस्जिदों और खानकाहों की एक बड़ी संख्या है जो इस बात का गुम्माज़ है कि यहाँ कभी मुसलमानों की बड़ी आबादी थीl यहाँ १०३ मस्जिदें और ८० मकबरे हैंl
अयोध्या में इतने सारवे औलिया व सूफिया के कयाम और इसे अपनी रियाज़त का केंद्र बनाने के पीछे यही अकीदा काम कर रहा होगा कि यहाँ शीस अलैहिस्सलाम और उनके खानदान के दोसरे पैगम्बरों की कब्रें हैंl इसलिए वह उस स्थान को पवित्र और बरकत वाला समझते थेl अगर अब्दुर्रशीद हुमा का ख़याल सही है कि राम हज़रत शीस अलैहिस्सलाम के नस्ल से थे तो फिर अयोध्या को मुस्लिमों और हिन्दुओं का साझा धार्मिक विरासत स्वीकार करना पड़ेगाl
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