हम उलमा से उम्मीद करते हैं कि वह देश में इस बहीमाना हत्या
और इस्लाम के नाम पर आतंकवाद के घटना की सख्त तरीन शब्दों में निंदा करेंगे। लेकिन
क्या वह तौहीने रिसालत की इन तथाकथित कार्रवाइयों पर भी प्रतिक्रिया पर दुबारा नज़र
करेंगे जो पुरी दुनिया में अजाम दी जा रही हैं और जिस पर मुसलमान इस हद तक बरहम हैं
कि वह अपना आपा खो बैठे हैं? उलमा इस गंभीर समस्या पर कब तक खामोश रहेंगे? क्या वह मुसलमानों में तथाकथित
तौहीने रिसालत के घटना के हवाले से इस जुनून की भी कोई जिम्मेदारी कुबूल करेंगे?
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दो अतिवादी मुस्लिम युवकों ने नामूस ए रिसालत के नाम पर मुलजिम
का गला कांटने की कोशिश की
प्रमुख बिंदु:
1. दो मुस्लिम नौजवानों ने दिन के उजाले में एक हिन्दू
दर्जी को उसकी दुकान के अंदर क़त्ल कर दिया।
2. दर्जी ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर इस्लाम के पैगम्बर
के खिलाफ गुस्ताखाना टिप्पणी करने वाली नूपुर शर्मा की हिमायत में एक तस्वीर पोस्ट
की थी।
3. मकतूल को क़त्ल करने से पहले हमला करने वालों ने जान
से मारने की धमकियां दी थीं।
4. मकतूल ने हमला करने वालों के खिलाफ पुलिस में एफ आई
आर दर्ज कराई थी लेकिन उसकी सुरक्षा के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
28 जून 2022
नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर उदय
पुर में एक हिन्दू दुकानदार (बाएँ) को दो आदमियों (दाहिने) ने मार डाला।
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बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के अपमानजनक रीमार्क्स पर पिछले महीने से देश में जारी तनाव का परिणाम आज भारत की रियासत राजस्थान के उदय पुर में कन्हैया लाल तेली नामक दर्जी के वहशियाना क़त्ल की शक्ल में सामने आया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जिसकी ह्त्या की गई उसने दस दिन पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर नूपुर शर्मा को सपोर्ट करते हुए एक चित्र पोस्ट की थी। इससे मुस्लिम समाज में नाराजगी फ़ैल गई। दोनों कातिलों ने, जिन्हें अब पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, कथित तौर पर कन्हैया को उसके संगीन परिणाम भुगतने की धमकियां दी थीं। हत्या किये गए व्यक्ति ने अपनी जान का खतरा बताते हुए दोनों हमला करने वालों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन हमेशा की तरह पुलिस ने उसके खौफ को गंभीरता से नहीं लिया। कन्हैया जो शहर के धान मंदी क्षेत्र में सुप्रीम टेलर के नाम से अपनी दुकान चलाता था, डरा हुआ था और इसी खतरे की वजह से उसने पांच या छः दिनों से अपनी दुकान भी नहीं खोली थी।
28 जून को, दो 20 वर्षीय दाढ़ी वाले हमलावर उसकी दुकान पर लगभग 2:30 बजे पहुंचे और उससे कहा कि हम कमीज़ सिलना चाहते हैं। दर्जी, उनकी योजना से पूरी तरह अनजान था, उनका नाप लेना शुरू कर दिया। अचानक उन्होंने उस पर धारदार चाकू से हमला कर दिया और उसका गला काटने का असफल प्रयास किया। हालांकि वे उसका सिर नहीं काट सके, लेकिन झटका इतना जोरदार था कि कन्हैया की मौत हो गई। उनमें से एक ने अपने फोन से हत्या का वीडियो बना लिया जबकि दूसरे ने कन्हिया का गला काटने की बेरहमी से कोशिश की।
हत्या के बाद दोनों फरार हो गए और पीड़ित का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर विजयी रूप से जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। आक्रोशित होना स्वाभाविक था और शहर में विरोध का एक सिलसिला शुरू हो गया। लोगों ने हत्यारों की गिरफ्तारी, 50 लाख रुपये मुआवजा और उसके घर वालों को रोजगार देने की मांग करते हुए पुलिस को शव उठाने से रोका दिया।
हत्यारों ने पीएम मोदी को धमकी भी दी और कहा कि जल्द ही हमारा खंजर उन तक पहुंच जाएगा।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने घटना की निंदा की और कहा कि दोषियों को माफ नहीं किया जाएगा। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि देश में माहौल पहले से ही तनावपूर्ण है इसलिए लोगों को इसे बिगड़ने नहीं देना चाहिए।
इस दौरान लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए। कुछ जगहों पर विरोध हिंसक हो गया। एसटीएफ सहित भारी पुलिस बल को तैनात किया गया है और उन्होंने मौके से फोरेंसिक नमूने लिए हैं।
ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक अब दोनों दोषियों को गिरफ्तार कर
लिया गया है। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने कबूल किया था कि उन्होंने
हत्या की है। हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो बहुत ही भड़काऊ है
इसलिए पुलिस अधिकारियों ने लोगों से इस वीडियो को शेयर या न देखने की अपील की है।
तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए शहर में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
जिस तरह से हत्यारों ने चाकू से उसका गला काटने की कोशिश की, वह पाकिस्तान में गुस्ताखी करने वाले लोगों के खिलाफ आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले एक नारे की याद दिलाता है: गुस्ताखे रसूल की एक सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा। कुछ महीने पहले, दो महिला शिक्षकों ने पाकिस्तान में अपने ही स्कूल में एक महिला शिक्षक का गला सिर्फ इसलिए काट दिया क्योंकि वे उसे एक गुस्ताखे रसूल मानते थे क्योंकि वे धार्मिक मुद्दों पर असहमत थे।
नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मुस्लिम पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हिंदू आबादी के एक बड़े वर्ग ने भी नूपुर शर्मा की टिप्पणी की निंदा की और उनकी गिरफ्तारी और भारतीय कानून के तहत कानूनी कार्रवाई की मुस्लिमों की मांग का समर्थन किया। मुसलमान भी उनकी गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे थे। लेकिन उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका। इससे मुसलमानों में निराशा फैल रही थी। नूपुर शर्मा के समर्थन में एक रैली आयोजित की गई थी और ऑल्ट न्यूज़ के मुहम्मद जुबैर नाम के एक पत्रकार, जिसने नूपुर शर्मा के बयान की एक क्लिप पोस्ट की थी, को एक दिन पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे मामला और बिगड़ गया। बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला शुरू हुई।
कन्हैया की हत्या एक जघन्य अपराध है जिसकी कड़ी से कड़ी निंदा की जानी चाहिए। किसी भी अपराध से देश के कानूनी प्रावधानों के तहत निपटा जाना चाहिए और किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। देश के कानून के खिलाफ जाना शरिया के खिलाफ है और दोषियों को कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए। सरकार को भी इस मामले को जितना गंभीर है उतनी ही संवेदनशीलता से निपटना चाहिए और स्थिति को संभालना चाहिए। पाकिस्तान में चरमपंथी जो करते हैं उससे मुसलमानों को प्रभावित नहीं होना चाहिए। भारत के मुसलमानों को सहिष्णुता की भावना को बनाए रखना चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों और देश के कानून और न्यायपालिका में विश्वास करना चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि देश में इस जघन्य हत्याकांड और इस्लाम के नाम पर आतंकवाद की घटनाओं की कड़ी शब्दों में उलमा निंदा करेंगे। लेकिन क्या वे उन तथाकथित तौहीने रिसालत कृत्यों पर भी अपनी प्रतिक्रिया पर पुनर्विचार करेंगे जो दुनिया भर में हो रहे हैं और जिससे मुसलमान इतने गुस्से में हैं कि उन्होंने अपना आपा खो दिया है? इस गंभीर मुद्दे पर उलमा कब तक चुप रहेंगे? क्या वे मुसलमानों के बीच इस तथाकथित तौहीने रिसालत के घटनाओं लिए इस जुनून की भी कोई जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे?
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