सबूतों के अभाव में आरोपी बरी
प्रमुख बिंदु:
1. मौलाना इमदादुल्लाह रशीदी का बेटा 2018 सांप्रदायिक दंगों में मारा
गया था
2. मौलाना रशीदी ने मुसलमानों से अपने बेटे की हत्या का
बदला न लेने की अपील की थी
3. पिंटू यादव और विनीत तिवारी को आरोपी के रूप में गिरफ्तार
किया गया था
4. मौलाना रशीदी ने उनके खिलाफ झूठी गवाही देने से किया
इनकार
5. दोनों आरोपितों को आसनसोल जिला न्यायालय ने बरी कर दिया
-----
न्यू एज इस्लाम स्टाफ राइटर
उर्दू से अनुवाद न्यू एज इस्लाम
28 मार्च 2022
Maulana
Imdadullah Rashidi (left) got one last gift from his son Sibghatullah his Madhyamik certificate
-------
पश्चिम बंगाल के आसनसोल में, मार्च 2018 में राम नौमी की पूर्व संध्या पर सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों के कुछ सदस्य मारे गए और संपत्ति को नष्ट कर दिया गया। दंगों के दौरान, नूरानी मस्जिद के मौलाना इमदादुल्लाह रशीदी, इमाम और खतीब के छोटे बेटे सिबगतुल्लाह रशीदी को पहले दंगाइयों ने अगवा किया और फिर मार डाला। इससे दक्षिणी आसनसोल के रेल पार के मुस्लिम बहुल इलाके के मुस्लिम नाराज हो गए। स्थानीय मुसलमान सिबगतुल्लाह की मौत का बदला लेना चाहते थे। लेकिन मौलाना इम्दादुल्लाह रशीदी ने अपने बेटे की मौत के दुख के बावजूद मुसलमानों से हिंसा में शामिल न होने की अपील करके बदतरीन खतरे को टाल दिया। उन्होंने अपने एक शुभचिंतक की मोटरसाइकिल ली और इलाके का दौरा किया, लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने भीड़ से कहा “मैं नहीं चाहता कि मेरे जैसे अन्य लोग अपने मासूम बच्चों को खो दें" और यह धमकी भी दी कि अगर मुसलमानों ने हिंसा का सहारा लिया तो मैं शहर छोड़ दूंगा। कुछ जगहों पर उन्होंने अफवाह फैलाने वालों को जमकर फटकार भी लगाई।
उनकी अपील रंग लाइ और हिंसा पर काबू पा लिया गया।
यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि मौलाना रशीदी ने कुरआन के सिद्धांत का पालन किया कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को दूसरों के अपराधों के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। कुरआन कहता है कि एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या पूरी मानवता को मारने के समान है और एक निर्दोष व्यक्ति को बचाना पूरी मानवता को बचाने के समान है।
हालांकि, इस मामले में दो व्यक्तियों, पिंटू यादव और विनीत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था। चार साल तक मामले की सुनवाई हुई। मौलाना इमदादुल्लाह रशीदी को 26 मार्च, 2022 को अदालत में गवाही देनी थी। सभी की निगाहें उन पर टिकी हुई थीं क्योंकि उनकी गवाही महत्वपूर्ण थी और दोनों आरोपियों के भाग्य का फैसला कर सकती थी। लेकिन उन्होंने अपनी गवाही में जो कुछ कहा उसने न केवल न्यायाधीशों और वकीलों को झकझोर दिया, बल्कि उनकी धार्मिक दयानतदारी और कुरआन और हदीस की शिक्षाओं पर अमल पैरा होने का सुबूत भी मिल गया। उन्होंने न्यायाधीश से कहा, "मैंने आरोपी को मेरे बेटे का अपहरण और हत्या करते नहीं देखा है, इसलिए मैं उसके खिलाफ झूठी गवाही नहीं दे सकता।" उन्होंने कहा कि असली दोषियों को गिरफ्तार करना पुलिस का काम है। इस संबंध में दस और गवाह थे और उन्होंने भी आरोपी को सिबगतुल्लाह का हत्यारा या अपहरणकर्ता मानने से भी इनकार कर दिया।
इसलिए अपर जिला न्यायाधीश ने आरोपियों को बरी कर दिया। मौलाना रशीदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एडवोकेट सूरज चट्टोपाध्याय ने कहा कि अपने 48 साल के पूरे करियर में मैंने किसी पिता को अपने मारे गए बेटे के आरोपी के खिलाफ गवाही देने से इनकार करते नहीं देखा।
मौलाना इम्दादुल्लाह रशीदी के 16 वर्षीय बेटे सिबगतुल्लाह रशीदी को हिंदुत्व कट्टरपंथियों
ने शहीद कर दिया।
-----
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गवाही से पहले दोनों आरोपियों के परिजनों ने उनसे आरोपियों के लिए रहम की गुहार लगाई थी और उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया था कि हम उनके खिलाफ झूठी गवाही नहीं देंगे क्योंकि हमने उन्हें कोई अपराध करते नहीं देखा है। मौलाना रशीदी ने कुरआन की आज्ञा का पालन किया।
"और जो झूठी गवाही नहीं देते, और जब बेहूदा पर गुज़रते हैं अपनी इज़्ज़त संभाले गुज़र जाते हैं।" (फुरकान: 72)
"निश्चय ही अल्लाह उसे मार्ग नहीं दिखाता जो हद से बढ़ने वाला बड़ा झूटा हो" (गाफिर:28)।
निश्चित रूप से कुरआन की ये आज्ञाएँ मौलाना रशीदी के सामने थीं। उन्होंने मुसलमानों और पूरी दुनिया को दिखाया कि एक सच्चा मोमिन दुख की अथाह गहराइयों में डूबने के बावजूद सच्चाई का रास्ता नहीं छोड़ता है और हमेशा कुरआन के इस सिद्धांत को याद रखता है कि ईमान वालों को किसी कौम की दुश्मनी में न्याय का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अपराधी इस दुनिया में तो बच सकता है लेकिन वह कयामत के दिन खुदा की सजा से नहीं बच पाएगा।
हालांकि, आरोपियों के बरी होने से यह सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस ने इतने संवेदनशील मामले को कैसे हैंडल किया। वे असली दोषियों तक क्यों नहीं पहुंच सके? मौलाना इमदादुल्लाह रशीदी ने एक बड़ी त्रासदी को टालने में पुलिस और प्रशासन की मदद की थी। लोग पूछते हैं कि पुलिस और प्रशासन ने बदले में उन्हें क्या दिया।
मौलाना इम्दादुल्लाह रशीदी ने एक बार फिर आत्म-संयम और अपनी सच्ची धार्मिकता का प्रदर्शन ऐसे समय में किया है जब अच्छे अच्छे धार्मिक नेताओं के कदम ऐसे समय में लड़खड़ा जाते हैं। चार साल पहले उन्होंने लोगों को बेकाबू होने और बेगुनाह लोगों की निर्मम हत्या में शामिल होने से रोका। उनके आत्म-नियंत्रण की प्रशंसा करते हुए, एक स्थानीय टीएमसी नेता, मनोज यादव ने एक कार्यक्रम में कहा, जहां मौलाना रशीदी भी मौजूद थे, "मैं दोषी महसूस करता हूं और उन्होंने समाज में बढ़ती सांप्रदायिकता पर खेद भी व्यक्त किया था।" और यह सुझाव दिया था कि जैसे सांप्रदायिक ताकतें नफरत और अशांति फैलाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रही हैं, इसलिए भी धर्मनिरपेक्ष और शांतिप्रिय लोगों को भी इसी तरह सोशल मीडिया का उपयोग उनके दुष्प्रचार का मुकाबला करने और एकता का संदेश फैलाने के लिए करना चाहिए।
English Article: Despite Losing His Young Son in Riots, Maulana
Imdadullah Rasheedi Refuses To Bear False Witness against the Accused
URL:
New Age Islam, Islam Online, Islamic Website, African Muslim News, Arab World News, South Asia News, Indian Muslim News, World Muslim News, Women in Islam, Islamic Feminism, Arab Women, Women In Arab, Islamophobia in America, Muslim Women in West, Islam Women and Feminism