मोहम्मद यूनुस, न्यु एज इस्लाम
16 मई 2017
(संयुक्त लेखक (अशफाकुल्लाह सैयद के), इस्लाम का असल पैग़ाम, आमना पबलीकेशनज़, अमेरिका, 2009)
इस लेख को लिखने का कारण हाल में प्रकाशित होने वाला वह लेख [1]है कि जिसमें कुछ मुस्लिम उलेमा निम्नलिखित अर्थ में आयत 16:43 का हवाला देते हैं और खुद के बारे में अहले ज़िक्र या धार्मिक मामलों में विद्वान होने का दावा करते हैं।
"और हम ने आप से पहले भी पुरुषों को ही रसूल बनाकर भेजा जिनकी तरफ हम वहि भेजते थे तो तुम अहले ज़िक्र से पूछ लिया करो अगर तुमहें खुद (कुछ) मालूम न हो" (16:43)
इससे पहले किए गए एक दावे की तरह कि कुरआन एक बार में तीन तलाक की पुष्टि करता है [2]यह दावा भी कुरआनी संदेश की एक बड़े पैमाने पर गलत प्रतिनिधित्व करता है। जैसा कि नीचे देखा जा सकता है इस दावे की बुनियाद संदर्भित आयत की संदिग्ध और गलत अनुवाद पर है:
1. आयत के प्रारंभिक भाग '' और हमने आप से पहले भी पुरुषों को ही रसूल बनाकर भेजा '' का अनुवाद आयत को एक सार्वभौमिक स्थिति देने के लिए मुरसल इलैह की शैली में किया गया है,हालांकि इसमें संबोधित पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है।
2. शब्द अहले ज़िक्र का अनुवाद '' अहले इल्म या अहले ज़िक्र किया गया है, हालांकि इससे संकेत ईसाइयों और यहूदियों की ओर है जिनके बारे में यह माना जाता था कि उन्हें वह दिव्य संदेश और आयत याद होंगे जो उनके नबियों पर नाज़िल किए गए थे।
उपरोक्त बारीक बिंदुओं को आयत 16:43के मतन के निम्नलिखित विश्लेषण और शाब्दिक अनुवाद से साबित किया जा सकता है, जिसकी शुरुआत मूल अरबी लिपि के हवाले से होती है:
http://www.everyayah.com/data/images_png/16_43.png
शाब्दिक अनुवाद के साथ लिप्यंतरण:
वमा [और नहीं] अरसलनाका [हमनें तुम्हें भेजा] मिन क़ब्लिका [(कि) तुमसे पहले] अला रिजालन [केवल पुरुष ही] नुही इलैहीम [हमनें उनकी तरफ वही नाज़िल की] फस अलु [तो तुम पूछो] अहलज़ ज़िक्र [अहले ज़िक्र से (कि जिन्हें पिछली वहि याद हो)] इन कुंतुम ला तालमून [अगर तुम नहीं जानते हो]।
अंग्रेजी व्याकरण के नियमों के आधार पर उक्त पद का शाब्दिक अनुवाद यह होगा:
"और हम ने ए मुहम्मद! तुमसे पहले भी पुरुषों को ही रसूल बनाकर भेजा जिनकी तरफ हम वहि भेजते थे तो तुम अहले ज़िक्र से (कि जिन्हें पिछली वहि याद हो) पूछ लिया करो अगर तुम नहीं जानते हो"।
इस आयत का उक्त अनुवाद कुरआन के (अंग्रेजी) तीनों प्रसिद्ध अनुवादकों के अनुवाद के साथ पूरी तरह से संगत है और इसकी पुष्टि कोई आसानी से कर सकता है, नीचे वे तीनों मानक अनुवाद प्रदान किए जा रहे हैं:
"और तुमसे पहले और भी पुरुष पैगम्बर ही भेजे गए थे जिन्हें हम ने वहि से सम्मानित किया: अगर तुमहें यह याद नहीं तो उनसे पूछ लो जिन्हें संदेश याद है।" - यूसुफ अली
"और तुमसे पहले हम ने (अपना पैग़म्बर बनाकर) पुरुषों को ही भेजा जिन पर हमने अपनी वही नाज़िल की -अगर आप नहीं जानते तो अहले ज़िक्र मुत्तबेइन से पूछ लो।" -पीकथाल
"और हमने नहीं भेजा (पैग़म्बर बनाकर) तुमसे पहले (ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) किसी को मगर पुरुष ही, जिन पर हमने अपनी वही नाज़िल की (मानव जाति को अल्लाह के एकेश्वरवाद पर ईमान लाने की दावत व तबलीग करने के लिए),इसलिए उनके बारे में खोज करो [जिन्हें किताब तौरात और इंजील का ज्ञान है] यदि तुम नहीं जानते। "- मोहसिन खान
इन अनुवादों से यह पता चलता है कि 1) आयत में संबोधन हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से है, और 2) इस में अहले ज़िक्र का मतलब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दौर के ईसाई और यहूदी हैं जिनके बारे में यह माना जाता था कि उनके पास उनके सहीफों का ज्ञान है।
वहि के तौर पर ज़िक्र की उपरोक्त व्याख्या को मजबूती आयत 16:44 से मिलती है कि 16:43 के बाद ही मौजूद है:
'' उन्हें हमने भेजा) स्पष्ट तर्क और पुस्तकों के साथ, और (ऐ रसूल) हमने आपकी तरफ (भी) ज़िक्र उतारा है ताकि आप लोगों के लिए वह खूब स्पष्ट कर दें जो उनकी तरफ उतारे गए हैं और ताकि वे विचार करें.''- यूसुफ अली
"स्पष्ट सबूत और लेखन के साथ, और हमने तुम पर (ज़िक्र) नाज़िल किया है ताकि लोगों को वे स्पष्ट कर बताओ जो उनके लिए नाज़िल की गई है, और ताकि वह (इसमें) विचार करें" - पीकथाल
"स्पष्ट संकेत और पुस्तकों के साथ (हमनें रसूलों को भेजा)। और हमने तुम पर भी (ए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! ज़िक्र और नसीहत (कुरआन) नाज़िल किया ताकि जो उनके लिए आप पर नाज़िल किया गया है वह आप उन्हें स्पष्ट कर बताओ "- मोहसिन खान।
परिणाम: व्यक्तिगत रूप से और साथ ही उसके बाद वाली आयत 16:44 के साथ उक्त आयत के पाठ का विश्लेषण इस बात को स्पष्ट करता है कि आयत 16:43में संबोधन पैगम्बरे इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से है और शब्द ज़िक्र से पिछले नबियों पर नाज़िल की गई आयतें होती हैं और अहले ज़िक्र से संकेत पैगम्बरे इस्लाम के युग के उन ईसाइयों और यहूदियों की तरफ है जिनके बारे में यह माना जाता है कि उन्हें वह दिव्य संदेश और आयत याद होंगे जो उनके नबियों के पास किए गए थे। अगर कुछ मुस्लिम उलेमा अहंकार के साथ खुद को आयत 16:43का मिसदाक़ बताते हैं ताकि वे एक बैठक में तीन तलाक जैसे अत्यधिक ज़न बेज़ार सामाजिक परंपरा को मजबूती पहुंचा सकें,तो लेखक को मजबूरन यह कहना होगा कि सख्त ज़न बेज़ार व्यवहार और तुरंत तीन तलाक के शिकार गरीब मुस्लिम महिलाओं की पीड़ा की लगातार उपेक्षा किए जाने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से (तलाक देने में समय सेटिंग के बारे में और आयत 16:43 के बारे में भी) कुरआन में जो लिखा है उसके खिलाफ उनके मन पर पर्दा डाल दिया है या उनके आध्यात्मिक चेतना को तहो बाला कर दिया है इसलिए वे तलाक की रक्षा करने के लिये कुरआन के बारे में झूठ झूठ बोले जा रहे हैं- و اللہ اعلم بالصواب۔
चूंकि यह लेख तीन तलाक के निषेध पर हिंदुस्तानी मुसलमान उलेमा को राक़िमुल हुरूफ़ की पांचवीं याद देहानी है इसीलिए राक़िमुल हुरूफ़ इस मामले में संबंधित मुस्लिम उलेमा की चुप्पी के कारण पर अटकलें लगाने के लिए मजबूर है। इस विषय पर राक़िमुल हुरूफ़ के पिछले लेख नीचे सूचीबद्ध हैं।
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The Author’s Previous Articles On the Subject Dating From Jan۔ 2012:
मोहम्मद यूनुस ने आईआईटी से केमिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल की है और कार्पोरेट exicutive के पद से रिटायर हो चुके हैं और 90के दशक से क़ुरआन के गहन अध्ययन और उसके वास्तविक संदेश को समझने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी किताब 'इस्लाम का असल पैगाम को 2002में अल अज़हर अल शरीफ, काहिरा की मंज़ूरी प्राप्त हो गयी थी और यूसीएलए के डॉo खालिद अबुल फ़ज़ल का समर्थन भी हासिल है। मोहम्मद यूनुस की किताब 'इस्लाम का असल पैग़ाम'मैरीलैंड,अमेरिका ने 2009में प्रकाशित किया।
URL for English article: https://www.newageislam.com/islamic-ideology/muhammad-yunus-new-age-islam/who-all-are-ahle-zikr-in-the-quran-–-a-textual-analysis-of-quranic-passage-16-43-44-to-get-a-clear-answer/d/111165
URL for Urdu: https://www.newageislam.com/urdu-section/all-ahle-zikr-quran-/d/111347
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