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Hindi Section ( 18 May 2019, NewAgeIslam.Com)

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Make Time Valuable, during Ramadan रमज़ान उल मुबारक में समय को कीमती बनाएं


मौलाना मोहम्मद अनसर उस्मानी, न्यू एज इस्लाम

अल्लाह पाक ने मोमिन मुसलामानों को इबादत करने के लिए एक ख़ास महीना अता फरमायाl इस महीने में खैर व बरकत के दरिया जारी फरमा दिएl और फरमाया कि रमजान उल मुबारक में शैतानों को कैद कर लिया जाता है ताकि वह अपना शर ना फैला सकेंl मोमिन अपने माबूद ए हक़ की बंदगी बजा लाने का विशेष एहतिमाम करेंl रमज़ान उल मुबारक में अल्लाह पाक की अथाह रहमतें दिन रात नाज़िल होती हैंl कोई क्षण उन रहमतों से खाली नहीं होताl मोमिन बंदा उन क्षणों में इबादत कर के अपने दिल को मुनव्वर करता हैl जिस प्रकार सावन का महीना हरियाली के लिए होता है उसी प्रकार रमजान का महीना मुसलमानों की रूहानी तरक्की का महीना हैl रमज़ान उल मुबारक में हर नफ्ल अमल का सवाब फर्ज़ के बराबर और फर्ज़ का सवाब सत्तर गुना बढ़ा दिया जाता हैl रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया रमज़ान उल मुबारक में जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नम का दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैंl सरकश शैतानों को कैद कर लिया जाता हैl रमजान का पहला अशरा (दस दिन) रहमत, दोसरा मगफिरत और तीसरा अशरा दोज़ख से आज़ादी का हैl इस महीने में शबे कद्र की एक रात मोमिनों को दी गई है, जो बे हिसाब बरकतों वाली और हज़ार महीनों की रातों से बेहतर हैl

अल्लाह पाक के अनगिनत इनामों में से अपने बन्दों के लिए बेहतरीन इनाम रमज़ान हैl मोमिन रमजान उल मुबारक में अपने समय को कीमती बनाने की कोशिश करता हैl क्योंकि दुनिया के निजाम में हर चीज समय के अनुसार हो रही हैl आसमान व ज़मीन अपने निर्धारित समय पर चलते हैंl अंधेरा, उजाला, दिन, महीने, साल हर चीज का समय निर्धारित कर दिया गया हैl अल्लाह पाक ने इंसान को बनाने से पहले ही इंसान की मौत व जिंदगी, रहने सहने का तरीका, कौम कबीला, ख़ुशी, गमी, शादी और औलाद सब लिख दिया हैl मुसलमानों को अपने समय को कार आमद बनाने, आखिरत की खूब तैयारी के लिए अल्लाह ने अपने आखरी रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को भेजाl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पैगाम इ रिसालत की तबलीग की और उम्मत तक दीन की अमानत पहुंचा दीl उम्मत की खैर ख्वाही के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि कलाम इ इलाही बरहक हैl बेहतरीन दीन इस्लाम है और मेरी सीरत मुसलमानों के लिए निजात का एक अकेला रास्ता हैl

रमजान उल मुबारक में अहल ए ईमान के रिजक को कुशादा कर दिया जाता हैl यह चूँकि कुरआन की नुज़ूल का महीना है इसलिए कुरआन की बरकत से जिंदगियों में ईमान व यकीन की रौशनियाँ पैदा होती हैंl हर जगह अमन व भाई चारे की फिज़ा बन जाती हैl तंग दिल नर्म पड़ जाते हैंl साइन खुल जाते हैं और मुसलामानों में आपसी रंजिशे व खुल्फिशार समाप्त हो जाते हैंl अल्लाह पाक की तरफ से रमजान के महीने में एक एक पुकारने वाला एलान करता है कि ऐ खैर की तलब करने वालों! भलाई के काम की और आ जाओ और ऐ बुराई चाहने वालों! बुराई से रुक जाओl एक रमजान उल मुबारक से पहले हुजुर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा को खुतबा दिया और रमजान उल मुबारक की फ़ज़ीलत व अहमियत बयान फरमाईl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि रमजान में इबादत के लिए हमह तन तैयार हैं और अपने मामुलात में सभी इबादतों को दाखिल कर देंl जिस मकसद के लिए रमजान की मुबारक घड़ियाँ मिली हैं, उनमें इबादत के सिवा कुछ नहीं किया जाएl क्योंकि यह महीना इबादतों का मौसम और नेकियों के सीजन का हैl मोमिन मुसलमानों को चाहिए कि वह रमज़ान में इबादत के लिए खुद को फारिग और ताअत में सरगरदां हो जाएंl

मुसलमानों को रमज़ान उल मुबारक में आमाल की चिंता करना लाजिम हैl गुनाहों से दुरी, अच्छे कामों में रगबतl यही रमजान का बेहतरीन एहतिराम हैl आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कई खुतबात रमजान उल मुबारक के एहतिराम और ताज़ीम में बयान फरमाएl रमजान का एहतिराम यह नहीं कि केवल ज़ाहिरी गुनाहों को छोड़ दिया जाए और बातिनी गुनाहों की दलदल में फंसे रहेंl असल रमजान की रूह तो बातिन की पाकी हैl इस महीने का एहतिराम करना गोया अल्लाह पाक का एहतिराम करना हैl क्योंकि यह महीना अल्लाह का मेहमान है जिसे अल्लाह ने हमारी तरफ भेजा हैl इसका एहतिराम करना अल्लाह पाक के नजदीक सबसे अजीम नेकी हैl हम रमजान की कद्र करके अल्लाह पाक के मोहतरम बन्दे बन सकते हैंl हम यह तो जानते हैं कि इस महीने में सवाब बढ़ा दिया जाता है, लेकिन यह बात नहीं जानते कि अगर नाफ़रमानी कर दी तो इसकी सज़ा में भी इज़ाफा होगाl इसलिए हमें अपने आमाल की फ़िक्र में लगे रहना चाहिए और रमज़ान उल मुबारक में बे एहतेरामी वाले कामों से एहतिराज़ करना चाहिएl

बेहतर यही है कि रमजान उल मुबारक से पहले ही अपने मामुलात ए ज़िन्दगी को तरतीब दे दिया जाएl मश्गुलियात व मसरुफियात में से इबादत के लिए समय निकालिएl कोई भी निज़ाम, निज़ामुल अमल के बिना नहीं चल सकता, तो फिर इबादत के लिए नज़्म व ज़ब्त के बिना समय कैसे निकाला जा सकता हैl इसलिए फ़ालतू कामों से बचते हुए सलीके और सहूलत के साथ समय की पाबंदी करते हुए रमज़ान गुज़ारियेl हज़रत शैखुल इस्लाम हज़रत मोहम्मद तकी उस्मानी साहब दामत बरकातुहुम फरमाते हैं कि मेरे वालिद माजिद हज़रत मुफ़्ती शफीअ साहब फरमाते थे कि रमजान उल मुबारक से पहले उसकी तैयारी करनी चाहिएl रमजान से पहले आप अपने कामों का जायज़ा लें अगर आप अपने प्रतिदिन के कामों को टाल सकते हैं तो टाल दिजियेl जैसे व्यापार, नौकरी, खेती को छोड़ सकते हैं तो फ़ौरन छोड़ दीजिये और इन औकात (समय) को इबादत में खर्च कीजियेl अगर इस तरह रमजान गुज़ारा जाए तो कोई मोमिन ऐसा नहीं होगा जो नेकियों को ना समेटे और अच्छे कामों को पुरे लगन से अंजाम ना देl फिर इस निज़ामुल औकात से किसी के पास रमजानुल मुबारक को फुजूल खर्चने का मौक़ा नहीं होगाl

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