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Hindi Section ( 10 Feb 2013, NewAgeIslam.Com)

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An Interview with Allama Tahirul Qadri अल्लामा ताहिरुल क़ादरी से एक मुलाक़ात

 

मोहम्मद अकरम चौधरी

30 जनवरी 2013

(उर्दू से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम)

अल्लामा ताहिरुल क़ादरी से मेरे लाख मतभेद सही लेकिन उनकी बातें सुनने वाले को उनसे मतभेद करने की गुंजाइश नहीं मिलती। उनके राजनीति के फलसफे (दर्शन) को समझने के लिए उनसे एक मुलाकात ज़रूरी थी और फिर वो वक्त भी आ गया। उनसे मिलने से पहले हमें उन्हीं चरणों से गुज़रना पड़ा जो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या बड़े राजनीतिज्ञों से मिलने से पहले सामने आते हैं लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने बहुत सभ्य तरीके और शिष्टता से इन चरणों से हमें गुज़ारा....... अच्छा लगा, शिष्टता मुश्किल चरणों को भी आसान कर देती है। मेरी ढाई घंटे की मुलाकात में मेरे साथ एक धार्मिक कार्यक्रम के प्रमुख एंकर अनीक़ अहमद भी शामिल थे। अनौपचारिक बातचीत के दौरान हमने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिसका खुलासा निम्नलिखित है।

ये खुलासा मैं अपनी याददाश्त के मुताबिक बिल्कुल वैसा ही पेश कर रहा हूँ। मेरी अपनी राय इस बारे में सुरक्षित है। नेता अपने श्रद्धा और ज्ञान के आधार पर निर्णय करें। मुलाकात के दौरान मैंने उनसे सवाल किया कि वो एक ऐतिहासिक लांग मार्च लेकर इस्लामाबाद रवाना हो गए थे और उनकी सीधी टक्कर सरकार और विपक्ष दोनों से थी तो क्या वो नतीजे से आगाह थे जिस पर ताहिरुल क़ादरी साहब ने कहा कि 23 दिसंबर के कामयाब जलसे के बाद पंजाब सरकार ने उनके लिए परेशानी खड़ी करनी शुरू कर दी थीं क्योंकि पंजाब सरकार ये सोच भी नहीं सकती थी कि 23 दिसम्बर का जलसा इस हद तक कामयाब होगा और वो एक ऐतिहासिक जलसा साबित होगा और इस जलसे में पंजाब सरकार को अधिक हस्तक्षेप का इसलिए मौक़ा नहीं मिल सका क्योंकि इसमें शामिल होने वालों का सम्बंध लाहौर और उसके आसपास के इलाक़ों से था इसलिए लांग मार्च से पहले पंजाब सरकार और मुस्लिम लीग (एन) के नेताओं ने लांग मार्च के लिए बुक की गई 25 हज़ार से अधिक गाड़ियों की ज़बरदस्ती बुकिंग रद्द करवाई और ताक़त के बलबूते पर उनसे एडवांस रक़म भी वापस कराई। इसके बाद लांग मार्च लिए जो मुश्किलता पैदा की जा सकती थी वो की गईं, सभी शहरों के दाखिल होने वाले रास्तों को बंद करने की कोशिश की गई, वैकल्पिक परिवहन के साधन छिपा दिये गए। लोगों को लांग मार्च में शिरकत करने से रोकने के लिए कई हथकंडे अपनाए गए लेकिन इसके बावजूद हमने पाकिस्तान के इतिहास का सबसे सफल लांग मार्च किया और उसमें अवाम की दिलचस्पी का अंदाज़ा आप इस बात से लगा लें कि लाहौर से इस्लामाबाद का 5 घंटे का सफर 38 घंटों में पूरा हुआ और इस्लामाबाद के डी चौक पहुंचने के बाद ये तादाद हर घंटे के साथ बढ़ती चली गई। ये इतिहास का पहला लांग मार्च है जो इस्लामाबाद पहुंचा वरना इससे पहले नवाज़ शरीफ़ और श्रीमती बेनज़ीर के लांग मार्च के नतीजे तयशुदा थे और रास्ते में ही खत्म हो गए।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरे चार्टर ऑफ डिमांड से हर पाकिस्तानी सहमत है और मेरी इस बात की पुष्टि पाकिस्तान के सबसे विश्वसनीय गैलप सर्वे ने भी कर दी है जिसके मुताबिक़ 80 फीसद से अधिक पाकिस्तानी मेरे चार्टर का समर्थन कर रहे हैं। याद रहे कि ये वही गैलप सर्वे है जिसे लेकर पीपुल्स पार्टी और मुस्लिम लीग (एन) ढिंढोरा पीटते रहे हैं। मौलाना ताहिरुल क़ादरी ने कहा कि वो इस बात से बिल्कुल चिंतित नहीं हैं कि उनके बारे में नकारात्मक प्रोपगंडा और राय पैदा की जा रहा है उन्होंने कहा कि न वो और न उनके बेटे चुनावों में भाग लेंगे लेकिन पाकिस्तानी जनता की बेहतरी, व्यवस्था के बदलाव और बेहतर उम्मीदवारों के चयन के बारे में अपना किरदार भरपूर अंदाज़ में अदा करते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि ये ज़रूरी नहीं कि उनके संघर्ष के परिणाम तुरंत सामने आयें। मेरे संघर्ष का फल धीरे धीरे सामने आएगा। अगर अगले चुनाव में 50 फीसद या कम से कम 50 लोग संविधान की दफ़ा 62, 63 के तहत विधान सभाओं में पहुंच जाते हैं तो कम से कम उसे इंक़लाब की शुरुआत करार दिया जा सकता है। ताहिरुल क़ादरी का कहना था कि अगर उनके साथ किए गए समझौते पर सरकार ने अमल नहीं किया तो वो अपनी रणनीति का फौरन एलान नहीं करेंगे बल्कि जनता की मदद से उन्हें इस चार्टर पर अमल करने पर मजबूर कर देंगे। उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें जनता, विभिन्न राजनीतिक दलों और देश की अहम शख्सियतों का पूरा समर्थन हासिल है और वो दो पार्टियों को आपस में हर चीज की बंदर बांट का और मौक़ा नहीं देंगे। एक सवाल के जवाब में ताहिरुल क़ादरी ने कहा कि उन्हें फ़ख़रुद्दीन जी इब्राहीम की ईमानदारी पर कोई शक नहीं लेकिन उनकी उम्र और सेहत उन्हें इस मुश्किल काम को करने की इजाज़त नहीं दे रही और फिर वो चाहें भी तो चुनाव आयोग में अपनी मनमानी नहीं कर सकते क्योंकि उनके नीचे चार सदस्यों का संबंध सीधे सरकार और विपक्ष से है। सूचना ये है कि राज्य सरकारों ने अपने राज्यों के इलेक्शन कमीश्नरों को खरीद लिया हैं और ऐसे हालात में उनसे किसी प्रकार की ईमानदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती।

उनसे सवाल किया गया कि आप चुनाव आयोग को भंग करने की मांग कर रहे थे तो क्या आपको मालूम नहीं था कि ये गैर-संवैधानिक मांग है तो उन्होंने कहा कि मांग में सुधार की स्थिति पेश की जा सकती थी। उन्हें इस बात का अंदाज़ा था कि वो इसमें तब्दीली ले आएंगे और इन परिवर्तनों के लिए संसद की मंज़ूरी ही ज़रूरी नहीं एक आर्डिनेंस (अध्यादेश) ही काफी है। ताहिरुल क़ादरी ने कहा कि उन्होंने लांग मार्च के लिए मिन्हाजुल क़ुरान के फण्ड का इस्तेमाल नहीं किया बल्कि ये वो फण्ड है जो लोगों ने अपनी मदद आपके तहत जमा कराए। ताहिरुल क़ादरी ने अब्दुस शकूर के नाम पर इमिग्रेशन लेने के इल्ज़ाम को एक घटिया इल्ज़ाम करार दिया। उन्होंने कहा कि असल सूरतेहाल इस तरह है कि उन्होंने 1999 में कनाडा की नागरिकता हासिल कर ली थी लेकिन पासपोर्ट हासिल नहीं किया था। जब 2005 में उन्होंने असेम्बली से इस्तीफा दिया तो उन्होंने कनाडा का पासपोर्ट भी हासिल कर लिया जो अब्दुस शकूर नहीं ताहिरुल क़ादरी के नाम से है। मैं जानता था कि दोहरी नागरिकता के साथ मुझे मेम्बर असेम्बली नहीं रहना चाहिए लेकिन मेरे अलावा अब तक बेशुमार मुनाफ़िक़ अपनी नागरिकता छिपाते रहे हैं, जो धीरे धीरे सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा की किसी अदालत ने उन्हें तलब नहीं किया, ये नकारात्मक प्रोपगंडा है।

अतीत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने मियां साहिबान की दरख्वास्त पर इत्तेफ़ाक़ मस्जिद में शर्त के साथ खिताबत की ज़िम्मेदारी ली थी वो जुमा का खत्बा इस मस्जिद में दिया करेंगे और किसी क़िस्म का मुआवजा नहीं लेंगे, इसी तरह शरीफ फैमिली मिन्हाजुल क़ुरान संस्थान और उसकी मस्जिदों का राजनीतिक प्रयोग नहीं कर सकेंगे। मुलाक़ात के आखीर में एक चीनी महिला भी तशरीफ़ लाईं जिनके बारे में मौलाना ने कहा कि रोज़ा नमाज़ की पाबंद ये खातून अब तक चीन के हुक्मरान खानदान के 13 लोगों को अपनी तब्लीग़ (प्रचार) और चरित्र से मुसलमान कर चुकी हैं। मौलाना ने कहा कि इस्लाम का प्रचार और उसका पैग़ाम पहुंचाने के लिए दुनिया के 90 देशों में मेहनत कर रहे हैं और वो दिन दूर नहीं जब इस्लाम का सूरज पूरी दुनिया में चमकेगा।

30 जनवरी, 2013 स्रोत: नवाये वक्त, पाकिस्तान

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