माइकल एच. जेनकिंस
17 जनवरी, 2013
(अंग्रेज़ी से अनुवाद- न्यु एज इस्लाम)
बहुविवाह कई धर्मों और संस्कृतियों में आम है। इस्लाम में इस पर अमल ईमान वालों के बीच क़ुरान की विभिन्न व्याख्याओं के कारण बहस और चर्चा का विषय रहा है। बहुविवाह के बारे में मुसलमानों का नज़रिया समय और स्थान पर इस्लामी विश्वास की विविधता को दर्शाता है।
बहुविवाह और बहुपत्नित्व
बहुविवाह कई महिलाओं के साथ शादी करना है, जबकि सही शब्दावली बहुपत्नित्व (Polygyny) है – यानि कई महिलाओं के साथ शादी करना। मुस्लिम मर्दों को एक से अधिक पत्नी रखने की इजाज़त है जबकि मुस्लिम औरतों को सिर्फ एक ही पति की इजाज़त है। हालांकि क़ुरान में इस अमल पर चर्चा की गई है, लेकिन बहुविवाह के बारे में नज़रिया और क़ानून पूरी मुस्लिम दुनिया में व्यापक रूप से भिन्न हैं। ये कुछ मुस्लिम समाजों में आम है, जबकि दूसरे समाजों में निषिद्ध या गैरक़ानूनी है।
क़ुरान
क़ुरान की सूरे 4 में बहुविवाह का उल्लेख किया गया है। आयत 3 में यतीमों के साथ बर्ताव का ज़िक्र किया गया है, और लोगों के कल्याण में शादी की भूमिका का उल्लेख है। 'और अगर ये अंदेशा हो कि (सभी औरतों) के साथ समान व्यवहार न कर सकोगो तो एक औरत (काफी है) या लौण्डी (दासी) जिसके तुम मालिक हो। इससे तुम नाइंसाफी करने से बच जाओगे'' ये आयत बहुविवाह के मुख्य नियमों पर आधारित है: एक व्यक्ति चार बीवियों से शादी कर सकता है बशर्ते वो उन सभी के साथ इंसाफ का मामला कर सके। और अगर वो इन चारों के साथ इंसाफ करने के क़ाबिल नहीं है, तो वो सिर्फ एक से शादी करेगा, जिससे वो इंसाफ कर सके। सूरे 4 आयत 129 से इस बात का समर्थन होता है कि कई बीवियों के बीच पूरा इसांफ करना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल ज़रूर है और ये आयत शौहरों को पक्षपात से बचने का हुक्म देती है।
सांस्कृतिक जड़ें
एक इतिहासकार और क़ुरान के एक विद्वान सैय्यद मौदूदी ये कहते हैं कि बहुविवाह के प्रति इस्लामी नज़रिया एक विशिष्ट सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदर्भ से अस्तित्व में आए और ये उस ज़माने की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए व्यवस्था थी। इस्लाम से पहले की अरब दुनिया में मर्द जितनी औरतों से चाहें शादी कर सकते थे- संभवतः इसकी सीमा सिर्फ रहने की जगह और बजट पर निर्भर थी। इसमें शामिल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के एक तरीके के रूप में क़ुरान मजीद ने इंसाफ को सुनिश्चित करने के लिए बीवियों की संख्या को सीमित कर दिया। बहुविवाह की कुरानी अवधारणा को उस ज़माने की कई कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ा। अरब दुनिया में लगातार जंग के हालात ने मर्दों और औरतों की तादाद में बड़ा असंतुलन पैदा कर दिया और यहाँ तक कि बड़ी संख्या में अनाथों को भी जन्म दिया। बहुविवाह ने इस बात को सुनिश्चित किया कि हर औरत से इस्लामी क़ानून के तहत शादी की जा सकती है और अनाथों की देखभाल और उनकी ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है।
आधुनिक व्याख्याएं
एक वैश्विक धर्म के रूप में इस्लामी कानून विभिन्न व्याख्याओं के अधीन है। कुछ इस्लामी देशों में बहुविवाह अपेक्षाकृत आम है, जबकि तुर्की, ट्यूनीशिया और बोस्निया हर्ज़ेगोवेनिया सहित दूसरे देशों में ये अमल पूरी तरह से गौरक़ानूनी है। यहां तक कि इंडोनेशिया जैसे बड़े मुस्लिम देश में जो इसकी इजाज़त देता है, वहाँ पर ये अमल तेज़ी से अलोकप्रिय हो रहा है। इस्लामी समुदायों के साथ काम करने वाले गैरमुसलमानों को मान्याएं बनाने में सावधानी बरतनी चाहिए और व्यक्तिगत मुसलमानों, उनके परिवारों और समुदायों को खुद के लिए बोलने का मौक़ा देना चाहिए।
बहुविवाह की प्रथा को हमेशा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। ऐतिहासिक रूप से वो अक्सर न्यायपूर्ण व्यवहार की ज़रूरत का हवाला पेश करते हैं। और ये दलील देते हैं कि एक शौहर (पति) हमेशा एक बीवी के मुक़ाबले दूसरी के साथ पक्षपात करेगा। समकालीन कई देशों ने एक बार फिर नाइंसाफी और क़ुरान के अनुसार एक बीवी के अधिकार के उल्लंघन की संभावनाओं का हवाला देता हुए इस अमल पर क़ानूनी तौर पर पाबंदी लगा रखी है। इसके अलावा सदियों से विभिन्न नारीवादी और प्रोटॉन नारीवादी इस्लामी आंदोलन औरतों के प्रति व्यवहार में बदलाव के लिए तर्क देते रहे हैं। एक औरत के अधिकारों के उल्लंधन की बहुविवाह की क्षमता अक्सर उनके मुद्दों में से एक रहा है।
संदर्भ
क़ुरान
दि मीनिंग आफ क़ुरान, सैय्यद अब्दुल्लाह मौदूदी
इस्लाम, ए शार्ट हिस्ट्री, कैरेन आर्मस्ट्रांग
स्रोत: http://people.opposingviews.com/polygamy-islamic-culture-2786.html
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http://www.newageislam.com/islamic-culture/michael-h-jenkins/polygamy-in-the-islamic-culture/d/10058
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